उर्जित पटेल बने रिज़र्व बैंक के 24वें गवर्नर
रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल को केन्द्रीय बैंक का नया गवर्नर नियुक्त किया गया है। वह मौजूदा गवर्नर रघुराम राजन का स्थान लेंगे। इसके साथ ही रिज़र्व बैंक गवर्नर को लेकर लगाई जा रही अटकलें समाप्त हो गईं। पटेल रिज़र्व बैंक के 24वें गवर्नर होंगे और गवर्नर बनने वाले आठवें डिप्टी गवर्नर होंगे।
यहां जारी एक आधिकारिक वक्तव्य के अनुसार 52 वर्षीय पटेल को तीन साल के लिये रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया गया है। पटेल डिप्टी गवर्नर के तौर पर रिज़र्व बैंक में मौद्रिक नीति विभाग को देखते रहे हैं। उन्हें राजन के महंगाई के खिलाफ लड़ने वाले सैनिक के तौर पर जाना जाता है।
उर्जित पटेल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ कई अन्य संगठनों में काम कर चुके हैं। राजन के चार सितंबर को रिजर्व बैंक गवर्नर के पद से मुक्त होने पर वह केन्द्रीय बैंक के गवर्नर का कार्यभार संभालेंगे।
उर्जित पटेल उन कुछ लोगों में हैं जो कापरेरेट जगत में काम करने के बाद रिज़र्व बैंक के गवर्नर बने हैं। मिंट स्ट्रीट के इस शीर्ष पद पर अब तक ज्यादातर आर्थिक संस्थानों के अर्थशास्त्री और नौकरशाह ही बैठते रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल इस केंद्रीय बैंक के 24वें गवर्नर होंगे। वह रघुराम राजन का स्थान लेंगे जो चार सितंबर को पदमुक्त होंगे। पटेल की उम्र 52 वर्ष है। उन्हें 11 जनवरी 2013 को रिजर्व बैंक में डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया था और इस साल जनवरी में उन्हें सेवाविस्तार दिया गया।
रिजर्व बैंक में डिप्टी गवर्नर के तौर पर पटेल ने आरबीआई की उस समिति की अध्यक्षता की जिसे मौद्रिक नीति रपट का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। बाद में यही रपट केंद्रीय बैंक में चल रहे वर्तमान सुधारों का आधार बनी। पटेल समिति की इसी रपट के आधार पर ही मौद्रिक नीति समिति का गठन हुआ। इसके गठन से आरबीआई और उसके गवर्नर की कई सारी शक्तियां समिति के पास चली गई। इसके अलावा सार्वजनिक रिण प्रबंधन एजेंसी बनाने का कदम भी इसी रपट के आधार पर उठाया गया है।
स्वतंत्र मौद्रिक नीति समिति के तहत सरकार आरबीआई के लिए एक महंगाई लक्ष्य तय करेगी और आरबीआई गवर्नर यदि उस महंगाई लक्ष्य को पाने में नाकाम रहते हैं तो वह संसद के प्रति जवाबदेह होगा। इस समिति का गठन किया जा रहा है। आरबीआई में डिप्टी गवर्नर नियुक्त होने से पहले पटेल दि बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप में सलाहकार :उर्जा एवं बुनियादी ढांचा: थे। उन्होंने 1990 में येल विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की और 1986 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड से एम.फिल किया था। वह 2009 से द ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन में एक अनिवासी वरिष्ठ फैलो रहे हैं।
पटेल ने 1990 से 1995 के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष :आईएमएफ: में अमेरिका, भारत, बहमास और म्यांमार डेस्क पर काम किया। वह 1996-1997 तक आईएमएफ से रिजर्व बैंक में प्रतिनियुक्त पर रहे। इस दौरान उन्होंने रिण बाजार के विकास, बैंकिंग क्षेत्र के सुधार, पेंशन कोष सुधार, वास्तविक विनिमय दर लक्ष्य और विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार के विकास पर सलाह दी। वर्ष 1998 से 2001 के बीच वह वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में एक सलाहकार रहे।
इसके अलावा वह रिलायंस इंडस्ट्री में अध्यक्ष :कारोबार विकास:, आईडीएफसी में कार्यकारी निदेशक एवं प्रबंधकीय समिति के सदस्य, एकीकृत उर्जा नीति समिति के सदस्य और गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम लिमिटेड में निदेशक मंडल के सदस्य भी रहे हैं वर्ष 2000 से 2004 के बीच पटेल ने कई उच्च स्तरीय राज्य एवं केंद्रीय समितियों में कार्य किया। इनमें प्रत्यक्ष कर पर कार्यबल, वित्त मंत्रालय, शोध परियोजनाओं और बाजार अध्ययन पर सलाहकार समिति, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग, अवसंरचना पर प्रधानमंत्री के कार्यबल के लिए सचिवालय, दूरसंचार मामलों पर मंत्री समूह और नागर विमानन सुधार समिति इत्यादि शामिल हैं। पटेल ने कई तकनीकी प्रकाशन, दस्तावेज और भारतीय वृहद अर्थव्यवस्था पर टिप्पणियां भी लिखी हैं।
मौजूदा गवर्नर रघुराम राजन की पहचान सरकार की विभिन्न आर्थिक और यहाँ तक कि गैर-आर्थिक नीतियों की मुखर आलोचना करने वाले गवर्नर के तौर पर बनी है। हाल के महीनों में भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रमणयम स्वामी सहित विभिन्न वगोर्ं से उन पर राजनीतिक हमले होते रहे हैं। ये हमले उनकी नीतियों को लेकर हुये हैं। आलोचकों का आरोप है कि राजन ने आर्थिक वृद्धि को नजरंदाज करते हुये केवल महंगाई नियंत्रण पर ही ध्यान दिया। रिज़र्व बैंक गवर्नर के तौर पर 53 वर्षीय राजन उन कुछेक व्यक्तियों में होंगे जिनका कार्यकाल सबसे कम रहा है। वह तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चार सितंबर को पदमुक्त होंगे।
पटेल ने मौद्रिक नीति में सुधार को लेकर बनी समिति का नेतृत्व किया है। इसी समिति ने मुद्रास्फीति के बारे में मध्यकालिक लक्ष्य तय किये जाने का सुझाव दिया है। इसी समिति की रिपोर्ट के आधार पर मुद्रास्फीति लक्ष्य तय करने को लेकर रिजर्व बैंक और सरकार के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किये गये। येल विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डाक्टरेट और आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एम फिल की डिग्री प्राप्त पटेल ने जनवरी 2011 में डिप्टी गवर्नर के तौर पर रिजर्व बैंक में प्रवेश किया था और इसी साल जनवरी में उनका कार्यकाल बढ़ाया गया।
गवर्नर के पद पर पटेल की नियुक्ति को राजन की नीतियों को ही आगे बढ़ाने के तौर पर देखा जा रहा है। रिज़र्व बैंक गवर्नर के पद पर पटेल की नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से उपर निकल चुकी है और थोक मुद्रास्फीति भी 23 माह के शीर्ष स्तर पर पहुंच गई है। पटेल को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एनपीए की सफाई करने के अधूरे काम को भी आगे बढ़ाना होगा।
उद्योग जगत, विशेषज्ञों ने उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किये जाने का जोरदार स्वागत करते हुये कहा है कि ऐसे समय जब अर्थव्यवस्था कठिन दौर से गुजर रही है, नीतियों में निरंतरता बनाये रखने के लिहाज से यह सबसे बेहतर चयन है।
पटेल के साथ डिप्टी गवर्नर एस.एस. मुंद्रा ने कहा, ‘‘हम सभी बहुत खुश हैं। एक साथी के तौर पर वह बेहतर निरंतरता और मेल जोल रखेंगे। उन्हें इस बात की बेहतर समझ है कि क्या चल रहा है।’’ उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक गवर्नर नियुक्त करने के मामले में ऐसा लगता है कि भाजपा सांसद सुब्रमणियम स्वामी का भी समर्थन है। स्वामी ने मौजूदा गवर्नर रघुराम राजन पर उनकी नीतियों को लेकर लगातार हमला किया है।
स्वामी ने अपने ट्विटर पर उनके प्रशंसको के जवाब में कहा कि ऐसा सोचना काफी बेतुका होगा कि वह पटेल पर इसलिये हमला करें कि उनका :पटेल का: जन्म केन्या में हुआ है। पटेल रिवर्ज बैंक के आठवें डिप्टी गवर्नर हैं जिन्हें गवर्नर बनाया गया। इससे पहले वाई वी रेड्डी को गवर्नर बनाया गया था।- पीटीआई