'अलगाव और लगाव' की कहानी कहने वाली झुंपा लाहिड़ी को नेशनल ह्यूमैनिटीज मेडल
भारतीय मूल की लेखिका झुंपा लाहिड़ी को मिलेगा नेशनल ह्यूमैनिटीज मेडलवर्ष 2014 के प्रतिष्ठित नेशनल ह्यूमैनिटीज मेडल के लिए चुना गया झुंपा को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मेडल प्रदान करेंगेझुंपा को पहले पुलित्जर पुरस्कार मिल चुका हैझुंपा का असली नाम नीलांजना सुदेशना हैप्यार से लोग उन्हें झुंपा कहते हैं
पीटीआई
पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित की जा चुकीं भारतीय मूल की अमेरिकी लेखिका झुंपा लाहिड़ी को वर्ष 2014 के प्रतिष्ठित नेशनल ह्यूमैनिटीज मेडल के लिए चुना गया है। उन्हें यह मेडल अगले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रदान करेंगे।
व्हाइट हाउस ने कल बताया कि इस पुरस्कार के लिए 48 वर्षीय झुंपा का चयन मानव गाथा को विस्तार देने के लिए किया गया है।
व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा, ‘‘अपने लेखन के जरिए लाहिड़ी ने अलगाव और लगाव के भारतीय-अमेरिकी अनुभवों को खूबसूरती से गढ़ते हुए बयां किया है।’’ अन्य पुरस्कृत लोगों में इतिहासकार, लेखक, एक दार्शनिक, अध्येता, संरक्षणविद, खाद्य कार्यकर्ता और एक शिक्षाविद शामिल हैं।
10 सितंबर को व्हाइट हाउस में आयोजित होने वाले पुरस्कार समारोह में प्रथम महिला मिशेल ओबामा भी शिरकत करेंगी।
नेशनल एनडाउमेंट फॉर द ह्यूमैनिटीज :एनएचई: के प्रमुख विलियम एडम्स ने कहा, ‘‘एनएचई को मेडल प्राप्त करने वाले इन लोगों की सफलता का जश्न मनाने के लिए राष्ट्रपति ओबामा के साथ जुड़कर बहुत गर्व महसूस हो रहा है।’’ झुंपा भारतीय मूल की अमेरिकी लेखिका हैं, जिनका असली नाम नीलांजना सुदेशना है। घर वाले उन्हें प्यार से झुंपा कहते हैं और वह इसी नाम का इस्तेमाल करती हैं।
लघु कहानियों के उनके पहले संग्रह ‘इंटरप्रेटर ऑफ मालडीज’ को वर्ष 2000 में काल्पनिक लेखन के वर्ग में पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया था। उनकी पुस्तक ‘द लोलैंड’ को मैन बुकर प्राइज के लिए नामित किया गया था।
फिलहाल वह प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में रचनात्मक लेखन की प्रोफेसर हैं।