बनारस में चलने वाली ये पहली और इकलौती सोलर बोट भारत की प्रगतिशील तस्वीर है
जब आप बनारस में चेतसिंह घाट पर जाएंगे तो वहां आपको नए भारत की एक बुलंद तस्वीर देखने को मिलेगी।
डीजल से चलने वाली भयंकर धुंआ और शोर अपने पीछे छोड़ती हुई बोटों की भीड़ से अलग एक सौर ऊर्जा से संचालित नाव आपने देखी है आपने कभी?
नाव के चालक सोनू बताते हैं कि उनकी ये सोलर बोट बनारस के गंगा घाट पर इकलौती है। अगर उनकी बात मानी जाए तो पहली भी।
बनारस, दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक। एक ऐसा शहर जो दुनिया भर के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। वो जगह जहां दूर-दूर से लोग ज्ञानार्जन के लिए आते हैं। गंगा के घाटों पर बैठकर चिंतन करते रहते हैं। घाटों की बहुसंस्कृतीय, बहुदेशीय चहलपहल ऐसी होती है कि मन खुश हो जाए। गंगा के चौरासी घाट अपने आप में अलग और अद्भुत हैं। हर एक घाट की अपनी ही विशेषता है। ऐसे ही जब आप बनारस में चेतसिंह घाट पर जाएंगे तो वहां आपको नए भारत की एक बुलंद तस्वीर देखने को मिलेगी। डीजल से चलने वाली भयंकर धुंआ और शोर अपने पीछे छोड़ती हुई बोटों की भीड़ से अलग एक सौर ऊर्जा से संचालित नाव दिख जाएगी। जिसके चालक बड़े प्यार से इस नाव की सवारी करने के लिए आपको बुलाएंगे।
नाव के चालक सोनू बताते हैं कि उनकी ये सोलर बोट बनारस के गंगा घाट पर इकलौती है। अगर उनकी बात मानी जाए तो पहली भी। सोनू की ये सोलर बोट बिल्कुल भी शोर नहीं करती है और न ही वायु प्रदूषण जैसी कोई समस्या है इसमें। साथ ही डीजल का खर्चा भी बचता है। ये बोट एक सोलर बैटरी से चलती है, जिसे कुछ घंटों की चार्जिंग की जरूरत होती है। सोनू ने घाट पर ही एक होटल की छत पर सोलर पैनल लगा रखा है जहां से वो निरंतर अपनी बैटरी चार्ज करते हैं। सोनू दशाश्वमेध घाट से लेकर अस्सी घाट का नौका-सफर छः सौ रुपए में करवाते हैं। बाकी की डीजल बोटों का भी तकरीबन यही रेट है।
सोनू के मुताबिक, उनको ये सोलर बोट चलाने का आईडिया एक सरकारी अधिकारी ने दिया था। उनके बड़े भाई ये पूरा सेटअप ले आए थे। उसके बाद से वो ये बोट लगातार चलाने लगे। जरा सोचिए तो, सोलर बोट में हर तरफ से फायदा है। डीजल का खर्चा बचता है। शोर नहीं होता, धुआं नहीं होता। बस थोड़ी सी मेहनत लगती है कि बैटरी छत से लाकर लगानी पड़ती है। क्या अपने और गंगा के फायदे के लिए लोग इतना भी नहीं कर सकते हैं। सोनू कहते हैं कि इस बोट से हमारे ग्राहकों को बड़ा आराम रहता है। बाकी की बोटों में इतना शोर होता है कि सिर दर्द करने लगे।
शाम ढलते ही और गंगा आरती के समय पास होने की वजह से घाटों पर बोटों के आवागमन का सिलसिला काफी बढ़ जाता है, साथ ही बढ़ जाता है बेशुमार धुआं और शोर। सरकार को चाहिए कि वो इस तरह की सोलर बोट को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन दें। ये पूरा सोलर सेटअप नौकाचालकों को कम दरों में उपलब्ध कराया जाए। गंगा ऐसे ही नहीं साफ हो जाएगी, प्रयत्न करने पड़ेंगे। सोलर बोट चालक सोनू का ये प्रयत्न वाकई काबिले तारीफ है।
सोलर ऊर्जा, नवीनीकृत ऊर्जा में सबसे बढ़िया विकल्प है। सूर्य ऊर्जा का अक्षय स्रोत है। सौर ऊर्जा का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करके हम एक स्वस्थ वातावरण, पर्यावरण और समाज का निर्माण कर सकते हैं। सोलर पैनल तो हरएक घर में, कल-कारखाने में, स्कूल-कॉलेज में लगना ही लगना ही चाहिए। धीरे-धीरे एक वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत से हम इसका उपयोग बड़े पैमाने पर कर सकते हैं।
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