गौतम अडानी लाने वाले हैं 20 हजार करोड़ का FPO, जानिए फिर भी क्यों गिरता जा रहा है शेयर
अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ सबसे बड़ा हो सकता है, जो करीब 20 हजार करोड़ रुपये का होगा. इससे पहले 2020 में यस बैंक करीब 15 हजार करोड़ का एफपीओ लाया था.
हाल ही में खबर आई थी कि गौतम अडानी (Gautam Adani) की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) अपना फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) लेकर आ रही है. एफपीओ के लिए कंपनी ने सेबी के पास करीब दस्तावेज जमा भी करा दिए हैं. जानकारी के अनुसार कंपनी करीब 20 हजार करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी में है. यह अब तक का सबसे बड़ा एफपीओ हो सकता है. इससे पहले 2020 में यस बैंक करीब 15 हजार करोड़ का एफपीओ लाया था. खबर तो ये भी है कि यह एफपीओ बजट 2023-24 से पहले आ सकता है. हालांकि, जब से ये खबर बाजार में आई है, तब से कंपनी के शेयरों में तगड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. यहां एक सवाल ये है कि आखिर ये गिरावट क्यों आ रही है?
बताया जा रहा है कि यह एफपीओ आंशिक भुगतान वाले शेयरों के रूप में आ सकता है. यानी इसका भुगतान किस्तों में किया जा सकता है. हालांकि, अडानी एंटरप्राइजेज की तरफ से इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है. बताया जा रहा है कंपनी इस एफपीओ की मदद से अपने बिजनेस का विस्तार करते हुए डायवर्सिफिकेशन की ओर जा सकती है. यानी भले ही अभी कंपनी के शेयरों में गिरावट दिख रही है, लेकिन आने वाले वक्त में इसमें तेजी का रुख देखने को मिल सकता है.
अभी क्या है कंपनी के शेयरों का हाल?
अगर अडानी एंटरप्राइजेज के शेयरों को देखें तो एफपीओ की खबर के बाद से ही इसमें गिरावट का रुख देखने को मिल रहा है. पिछले दो दिनों में अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर गिरावट के साथ बंद हुआ है. आज यानी 18 जनवरी, बुधवार को भी शुरुआती दौर में कंपनी के शेयरों में गिरावट देखी जा रही है. मंगलवार को कंपनी का शेयर 3,639.35 रुपये के लेवल पर बंद हुआ था.
क्या होता है एफपीओ?
एफपीओ किसी भी कंपनी के लिए पैसे जुटाने का एक तरीका होता है. जब कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट होती है तो वह आईपीओ (IPO) लाती है. इसके तहत कंपनी की तरफ से बिल्कुल नए शेयर इश्यू किए जाते हैं. वहीं जब कोई कंपनी आईपीओ के बाद और अधिक शेयर जारी करना चाहती है तो वह एफपीओ लेकर आती है. एफपीओ से जरिए कंपनी अतिरिक्त पैसे जुटाती है, जिनका इस्तेमाल कर्ज चुकाने, अधिग्रहण करने, बिजनेस का विस्तार करने या किसी दूसरे काम के लिए किया जा सकता है. कंपनी ये अतिरिक्त शेयर जारी करने के लिए प्रमोटर्स अपनी मौजूदा हिस्सेदारी को कम करते हैं.
क्या है कंपनी का शेयरहोल्डिंग पैटर्न?
मौजूदा वक्त में कंपनी के प्रमोटर्स के पास इसके करीब 75 फीसदी शेयर हैं. वहीं एफआईआई के पास 15.59 फीसदी, डीआईआई के पास 5.33 फीसदी और 6.46 फीसदी शेयर पब्लिक के पास हैं. यानी एफपीओ आने के बाद प्रमोटर्स की हिस्सेदारी घट जाएगी, क्योंकि नए शेयर इसी हिस्सेदारी से जारी किए जाएंगे.
निवेशकों पर एफपीओ का असर
एफपीओ को किसी भी कंपनी के शेयर की कीमत से कुछ कम भाव पर लाया जाता है. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि यह शेयर डिस्काउंट पर जारी किए जाते हैं. अब आप शेयरों में गिरावट की वजह समझ ही रहे होंगे निवेशकों को लग रहा है कि एफपीओ डिस्काउंट पर आएगा, तो अभी मुनाफा लेकर निकल जाते हैं और एफपीओ के जरिए फिर से एंट्री मार ली जाएगी.
एफपीओ के जरिए किसी कंपनी के शेयर लेना आईपीओ की तुलना में काफी अच्छा होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि आप कंपनी की हालत जान चुके होते हैं. आपको पता होता है कि पिछले सालों में कंपनी की वित्तीय हालत कैसी रही है. कंपनी का मैनेजमेंट कैसे है. कंपनी के फ्यूचर प्लान क्या हैं और इन सबके आधार पर आप अपना फाइनल डिसीजन बना पाते हैं.