क्या अडानी ग्रुप में लगाए गए LIC के 30000 करोड़ रुपये डूबने वाले हैं?
गुरुवार को, अडानी समूह की कंपनियों (अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी को छोड़कर) में एलआईसी की हिस्सेदारी का बाजार मूल्य 26,861.9 करोड़ रुपये था, जो इसके 30,127 करोड़ रुपये के खरीद मूल्य से लगभग 11 प्रतिशत कम था.
अडानी समूह
की पांच बड़ी कंपनियों में सरकारी स्वामित्व वाली जीवन बीमा निगम (LIC) की हिस्सेदारी का बाजार मूल्य पहली बार इसके खरीद मूल्य से नीचे गिर गया है.इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को, अडानी समूह की कंपनियों (अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी को छोड़कर) में एलआईसी की हिस्सेदारी का बाजार मूल्य 26,861.9 करोड़ रुपये था, जो इसके 30,127 करोड़ रुपये के खरीद मूल्य से लगभग 11 प्रतिशत कम था.
एलआईसी अडानी समूह की कंपनियों में सबसे बड़ा घरेलू संस्थागत शेयरधारक है और दिसंबर 2022 को समाप्त तिमाही में इसकी हिस्सेदारी अडानी पोर्ट्स में 9.14 प्रतिशत, अडानी कुल गैस में 5.96 प्रतिशत, अडानी एंटरप्राइजेज में 4.23 प्रतिशत, अडानी ट्रांसमिशन में 3.65 प्रतिशत और अडानी ग्रीन एनर्जी में 1.28 प्रतिशत है.
एक ऐसे समय में जब म्यूचुअल फंडों ने भी अडानी समूह की कंपनियों से किनारा कर लिया था, तब एलआईसी ने दिसंबर 2022 तक पिछली नौ तिमाहियों में अडानी समूह की कंपनियों में लगातार शेयरों का अधिग्रहण किया. एलआईसी ने अडानी समूह की सात सूचीबद्ध कंपनियों में से चार में अपनी हिस्सेदारी में तेजी से बढ़ोतरी की है, और उनमें से कम से कम एक में लगभग छह गुना है.
अडानी समूह की कंपनियों के शेयर पिछले लगभग एक महीने से भारी दबाव में हैं, क्योंकि बीते 24 जनवरी को अमेरिकी रिसर्च फर्म और शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने ‘अडानी ग्रुपः हाउ द वर्ल्ड थर्ड रिचेस्ट मैन इज पुलिंग द लारजेस्ट कॉन इन कॉरपोरेट हिस्ट्री' नामक रिपोर्ट में दावा किया कि अडानी परिवार द्वारा टैक्स हैवन देशों में नियंत्रित की जा रही ऑफशोर कंपनियों के माध्यम से भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी को अंजाम दिया जा रहा है. इसके साथ ही, ये शेल कंपनियां अडानी ग्रुप के शेयर के दाम बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रही हैं.
रिपोर्ट जारी होने से पहले 24 जनवरी को अडानी समूह की नौ सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 19.18 लाख करोड़ रुपये था, जो गुरुवार को 61 प्रतिशत घटकर 7,36,671 करोड़ रुपये रह गया.
हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद एलआईसी निवेश और अडानी समूह के बैंक जोखिम के बारे में विपक्षी राजनीतिक दल लगातार चिंता जता रहे हैं. इस दौरान, एलआईसी ने आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की.
30 जनवरी को एलआईसी ने एक बयान में कहा: "पिछले कई सालों में खरीदे गए इक्विटी का कुल खरीद मूल्य, अडानी समूह की सभी कंपनियों के तहत 30,127 करोड़ रुपये है और 27 जनवरी, 2023 को बाजार बंद होने तक इसका बाजार मूल्य 56,142 करोड़ रुपये था.
स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों से पता चलता है कि 27 जनवरी को, एलआईसी की 1 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी वाली अडानी समूह की पांच कंपनियों (एसीसी और अंबुजा सीमेंट्स को छोड़कर) का बाजार मूल्य, 55,565 करोड़ रुपये था.
एलआईसी के खुद के 56,142 करोड़ रुपये के अनुमान और इंडियन एक्सप्रेस के 55,565 करोड़ रुपये के अनुमान के बीच का अंतर, अडानी पावर और अडानी विल्मर में 1 प्रतिशत से कम हिस्सेदारी के कारण हो सकता है. इसका कारण है कि कंपनियों को 1 प्रतिशत से कम शेयरों वाले निवेशकों का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है.
पिछली नौ तिमाहियों में, सरकारी स्वामित्व वाली एलआईसी ने अडानी समूह की सात सूचीबद्ध कंपनियों में से चार (अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी को बाहर कर दिया गया है, क्योंकि उन्हें 2022 में अडानी समूह द्वारा अधिग्रहित किया गया था) में अपनी हिस्सेदारी में तेजी से बढ़ोतरी की, और उनमें से कम से कम एक में लगभग छह गुना बढ़ोतरी हुई है.
सितंबर 2020 और दिसंबर 2022 के बीच, अडानी ग्रुप की प्रमुख कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज में एलआईसी की हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से कम से बढ़कर 4.23 प्रतिशत, अडानी टोटल गैस में 1 प्रतिशत से कम से बढ़कर 5.96 प्रतिशत, अडानी ट्रांसमिशन में 2.42 प्रतिशत से बढ़कर 3.65 प्रतिशत, अडानी ग्रीन एनर्जी में 1 फीसदी से कम से बढ़कर 1.28 फीसदी हो गई.
एकमात्र अपवाद अडानी पोर्ट्स हैं, जहां एलआईसी की हिस्सेदारी सितंबर 2022 तक 9.61 प्रतिशत से घटकर दिसंबर 2022 में 9.14 प्रतिशत हो गई; और दो अन्य कंपनियां अडानी पावर और अडानी विल्मर हैं, जिनमें यह 1 प्रतिशत से कम है.
Edited by Vishal Jaiswal