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13 साल बाद फिर देश को मिलेगी एक और महिला राष्ट्राध्यक्ष?

13 साल बाद फिर देश को मिलेगी एक और महिला राष्ट्राध्यक्ष?

Thursday July 21, 2022 , 4 min Read

देश को गुरुवार को यानी आज पता चल जाएगा कि देश का 15वां राष्ट्रपति कौन होगा. राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान हो चुका है, जिसमे एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू और यूपीए की तरफ से यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति पद के लिए आमने-सामने हैं. सोमवार को हुई वोटिंग के बाद आज पूर्वाह्न 11 बजे संसद भवन में मतगणना शुरू हो चुकी है. जिसमें मुर्मू की जीत की काफी संभावना जताई जा रही है. यदि वह जीत हासिल करती हैं, तो देश में यह पहला मौका होगा जब आदिवासी महिला सर्वोच्च पद संभालेंगी. वहीं, राष्ट्रपति बनने वाली वह दूसरी महिला भी हो सकती हैं. बात इतिहास की निकली है तो आप को बता दें कि देश को अपना पहला महिला राष्ट्रपति -प्रतिभा पाटील- आज से ठीक 13 साल पहले- 21 जुलाई, 2007- को ही मिला था. 


साल 2007 में एपीजे अब्दुल कलाम के राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद देश को अगले राष्ट्रपति का इंतज़ार था. यूपीए ने उस वक़्त की राजस्थान की राज्यपाल प्रतिभा पाटिल को अपना राष्ट्रपति उमीदवार बनाया जो 3 लाख वोट से अपने विपक्षी भैरोसिंह शेखावत को हरा कर भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं.

प्रतिभा पाटील:

प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का जन्म महाराष्ट्र के जलगांव जिले में 19 दिसंबर, 1934 को हुआ. उनके पिता भी एक राजनेता थे. प्रतिभा पाटिल के पास राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में एम.ए. की डिग्री है, जिसके बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और प्रैक्टिस भी किया. वह टेबल टेनिस प्लेयर रह चुकी हैं. राजनीति में आने से पहले वह एक समाज सेविका की तरह कार्य करती थीं.


27 साल की उम्र में उन्होंने राजनीति में कदम रखा. महाराष्ट्र के ही जलगांव सीट से प्रतिभा पाटिल ने विधानसभी सदस्य का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. ये उनकी लोकप्रियता ही थी कि लगातार चार बार प्रतिभा पाटिल ने मुक्ति नगर विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की और एमएलए बनी रहीं. बाद में साल 1967-72 के बीच प्रतिभा पाटिल महाराष्ट्र सरकार में उप मंत्री और 1972 से 1974 तक समाज कल्याण मंत्री रहीं. इसके अलावा उन्होंने दूसरे मंत्रालय का पदभार भी संभाला. प्रतिभा पाटिल 1986 से 1988 तक राज्यसभा उपसभापति के पद पर रहीं. 1991 के चुनाव में प्रतिभा पाटिल ने अमरावती लोकसभा सीट पर जीच दर्ज कराई. बाद में 2004 से 2007 तक राजस्थान की राज्यपाल रहीं. जिसके बाद साल 2007 में देश की पहली महिला राष्ट्रपति चुनी गईं और 2012 तक देश को अपनी सेवा दी.

द्रौपदी मुर्मू:

इस बार एनडीए ने महिला उमीदवार उतारा है जो एक सराहनीय कदम है. उनकी उमीदवार द्रौपदी मुर्मू एक ऐसे समाज से आती हैं जो सामाजिक विकास के पायदान पर सबसे नीचे है, ऐसे में उनके समाज का कोई देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन हो तो यह देश के लिए एक अच्छी खबर है.


द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से हैं और संथाल आदिवासी समाज से आती हैं. मुर्मू का जन्म साल 1958 में उड़ीसा राज्य के मयूरभंज इलाके में 20 जून को हुआ था. इन्होने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई भुवनेश्वर के रामा देवी महिला कॉलेज से की. ग्रेजुएशन करने के बाद ओडिशा गवर्नमेंट में बिजली डिपार्टमेंट में जूनियर असिस्टेंट के तौर पर इनकी पहली नौकरी लगी. इसके बाद इन्होंने साल 1994 में रायरंगपुर में अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में टीचर के तौर पर 1997 तक काम किया.


साल 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत का चुनाव जीतने के बाद वार्ड पार्षद बनाने के साथ शुरू हुआ मुर्मू का राजनीतिक सफ़र, भाजपा के साथ. उसके बाद साल 2000 से 2002 तक वह वह वाणिज्य और परिवहन स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहीं, साल 2002 से 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के तौर पर काम किया. जिसके बाद वे ओडिशा के रायगंज विधानसभा सीट से विधायक भी बनी. साल 2015 में झारखण्ड के राज्यपाल के रूप में नियुक्त की गईं. इसके साथ ही द्रौपदी मुर्मू झारखंड राज्य की पहली महिला गवर्नर बनीं और ओडिशा की एकमात्र महिला नेता जिसे किसी राज्य में राज्यपाल नियुक्त किया गया. और अब वो देश की राष्ट्रपति पद की प्रबल दावेदार हैं.


(फीचर ईमेज क्रेडिट: pratibhapatil.info/presidential and @DroupadiMurmu_)