AIIMS के अधिकारी की बहन ने अंगदान कर चार लोगों को दी नई जिंदगी
एम्स प्रशासन के अतिरिक्त निदेशक के रूप में तैनात IAS अधिकारी रवींद्र अग्रवाल की बहन स्नेहलता चौधरी को पिछले महीने सुबह की सैर के दौरान सिर में गंभीर चोट लग गई थी. 30 सितंबर को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया.
राजधानी दिल्ली स्थित एम्स (AIIMS) के एक वरिष्ठ IAS अधिकारी की बहन दुनिया से जाते-जाते भी 4 लोगों को नया जीवन दे गईं. अधिकारी की बहन को कुछ दिन पहले ही ब्रेन डेड घोषित किया गया था.
यहां एम्स प्रशासन के अतिरिक्त निदेशक के रूप में तैनात IAS अधिकारी रवींद्र अग्रवाल की बहन स्नेहलता चौधरी को पिछले महीने सुबह की सैर के दौरान सिर में गंभीर चोट लग गई थी. इस संबंध में एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि 63 वर्षीय चौधरी का पहले झारखंड के जमशेदपुर में सिर की चोट के लिए ऑपरेशन किया गया था और फिर आगे के इलाज के लिए एम्स ट्रॉमा सेंटर लाया गया.
चौधरी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक थीं और पिछले 25 वर्षों से नियमित रूप से सुबह की सैर के लिए जाती थीं. डॉक्टर ने कहा, ‘तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और 30 सितंबर को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. वह एक गृहिणी और सामाजिक कार्यकर्ता थीं.’
डॉक्टर ने कहा, ‘वह नेत्रदान अभियान की प्रबल समर्थक थीं और उन्होंने जीवन भर अंगदान का समर्थन किया. उन्होंने कौन बनेगा करोड़पति के लिए भी क्वालीफाई किया था.’
राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रतिरोपण संगठन की व्यवस्था के अनुसार चौधरी का दिल, एक किडनी और कॉर्निया एम्स के मरीजों को दान किए गए, जबकि उनके लिवर का इस्तेमाल सेना के आरआर अस्पताल में किया जाएगा. उनकी दूसरी किडनी राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक मरीज को दी गई. डॉक्टर ने कहा कि फॉरेंसिक मेडिसिन टीम ने ‘वर्चुअल ऑटोप्सी’ और अंग निकालने के दौरान पोस्टमॉर्टम भी किया.
एक नौकरशाह के परिवार के एक सदस्य द्वारा अंगदान ऐसे समय में किया गया है जब सरकार इस मुद्दे पर जागरूकता उत्पन्न करने की कोशिश कर रही है. डॉक्टर ने कहा, ‘अप्रैल से, दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर में 12 दान हुए हैं, जो 1994 के बाद से यहां सबसे अधिक है. ट्रॉमा सेंटर की टीम ने ‘ब्रेन डेथ’ प्रमाणन और अंग प्राप्त करने की प्रक्रियाओं में बड़े बदलाव किए हैं, जिससे अंग दान के मामलों में निरंतर वृद्धि हुई है.’
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Edited by Vishal Jaiswal