ये है वो कंपनी जो नौकरी छीन नहीं रही, दे रही है; इस साल करेगी 13,000+ लोगों की भर्ती
छंटनी के इस दौर में एयरबस (Airbus) उम्मीद की नई किरण बनकर सामने आई है. यूरोपीय विमान निर्माता ने 26 जनवरी को जारी एक बयान में कहा कि वह 2023 में दुनिया भर में 13,000 से अधिक लोगों की भर्ती करने की योजना बना रही है.
कंपनी ने कहा है कि नई भर्तियां इसके वाणिज्यिक विमानों के रैंप-अप का समर्थन करेंगी, और रक्षा, अंतरिक्ष और हेलीकाप्टरों में चुनौतियों का सामना करेंगी, जिसमें कहा गया है कि इनमें से लगभग 7,000 नौकरियां नए पदों पर होंगी. 9,000 से अधिक नए पद यूरोप में होंगे, और शेष फर्म के वैश्विक नेटवर्क में होंगे.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एयरबस ने कहा कि 2022 में कंपनी पहले ही इतनी संख्या में भर्तियां कर चुकी है और फिलहाल दुनिया भर में उसके 1,30,000 कर्मचारी हैं. नई भर्तियों में से एक तिहाई हाल ही में पास हुए ग्रेजुएट्स को दी जाएंगी.
एविएशन इंडस्ट्री का भविष्य तैयार कर रही कंपनी
यह वैश्विक भर्ती नए कौशल पर ध्यान केंद्रित करेगी जो टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ नई ऊर्जा, साइबर और डिजिटल जैसे कंपनी की दीर्घकालिक दृष्टि का समर्थन करती है. नई भर्तियां कंपनी के महत्वाकांक्षी रोडमैप को डीकार्बोनाइजेशन और विमानन के भविष्य को आकार देने पर ध्यान केंद्रित करेंगी.
एयरबस में भर्ती से जुड़ी ये खबर इसलिए भी अहम है क्योंकि इन दिनों सोशल मीडिया छंटनी से जुड़ी खबरों से भरा हुआ है. कंपनियां लागत में कटौती और मंदी के डर से हजारों लोगों की छंटनी कर रही हैं. माना जा रहा है कि छंटनी का यह दौर 2023 में भी जारी रहेगा. इस साल पहले महीने में ही करीब 67,268 लोगों को निकाला जा चुका है.
रतन टाटा Airbus के साथ मिलकर बनाएंगे डिफेंस एयरक्राफ्ट
देश के सबसे सम्मानित उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा (Ratan Tata) ने एक बार फिर देशवासियों का दिल छू लिया है. अब वे इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force - IAF) के लिए डिफेंस एयरक्राफ्ट (Defence aircraft) बनाएंगे. इसके लिए उन्होंने यूरोप की विमानन प्रमुख कंपनी एयरबस (Airbus) के साथ हाथ मिलाया है. Airbus Defence and Space और टाटा ग्रुप (Tata Group) मिलकर भारत में कम से कम 40 सी-295 (C295) ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाएंगे. दोनों दिग्गज कंपनियों के बीच 21,935 करोड़ रुपये की डील हुई है. 'मेक इन इंडिया' (Make In India) पहल के तहत ये एयरक्राफ्ट गुजरात के वडोदरा में बनाए जाएंगे.
इस प्रोजेक्ट पर 2010 से काम चल रहा है और यह 1961 में पहली बार उड़ान भरने वाले एवरो (Avro) ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के पुराने बेड़े की जगह लेने के लिए तैयार है.