अल्फा केयर- अब अस्पताल का हर विभाग मरीज़ की उंगलियों पर, नर्सों को मिल रही काम में सहूलियत
27 वर्षीय प्रणय अग्रवाल एकबार अपनी एक रिश्तेदार से मिलने अस्पताल गए थे, जिनकी डिलिवरी हाल ही में हुई थी। इस दौरान उन्होंने देखा कि आज के डिजिटल दौर में भी अस्पताल की कार्यप्रणाली बिल्कुल भी संगठित तौर पर काम नहीं कर रही है। प्रणय तकनीकि पृष्ठभूमि से आते हैं, इसलिए उन्हें लगा कि एक साधारण आईओटी-आधारित सॉल्यूशन से इस समस्या को सुलझाया जा सकता है। इस उद्देश्य के साथ ही 2017 में उन्होंने बेंगलुरु से अल्फा केयर की शुरुआत की।
प्रणय ने एमआईटी कॉलेज के अपने साथियों और दोस्तों कृतार्थ मोहन, साक्षी अग्रवाल और डैनियल डिसूज़ा के साथ इसकी शुरुआत की। यह उत्पाद एक ऑपरेशनल टूल की मदद से इन-पेशेंट रिक्वेस्ट्स की रियल-टाइल ट्रैकिंग की सुविधा देता है। अल्फा केयर इन चार दोस्तों का दूसरा वेंचर है। इससे पहले 2014 में इन्होंने एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस विकसित किया था, जो कॉलेज और कंपनियों को आईओटी डिवाइसेज़ बनाने में लगने वाले ज़रूरी कॉम्पोनेंट्स बेचता था। चारों दोस्तों की टीम प्रोडक्ट डिवेलपमेंट में रुचि रखती थी और इसलिए उन्होंने दोबारा से स्टार्टअप शुरू करने का फ़ैसला लिया। कंपनी के को-फ़ाउंडर्स ने अपने परिवार और दोस्तों से आर्थिक मदद के साथ-साथ अपने पहले स्टार्टअप से कमाए पैसों को निवेश के रूप में अल्फा केयर में इस्तेमाल किया।
अल्फा केयर, स्टार्टअप का पहला प्रोडक्ट है, जो एक इन-पेशेंट सर्विर्सेज़ मैनजमेंट सिस्टम है, जो मरीज़ों के अनुभव को बेहतर बनाने और नर्सिंग की जिम्मेदारियों को हल्का करने के उद्देश्य पर केंद्रित है। यह उत्पाद मरीज़ों की अर्ज़ियां अलग-अलग करके संबंधित विभाग तक पहुंचाता है।
प्रणय कहते हैं,
"हमने प्रोडक्ट डिवेलपमेंट की अपनी यात्रा, इस क्षेत्र के कुछ दिग्गज़ों के साथ बातचीत करने के बाद शुरू की थी। इसके बाद ही हमने प्रोडक्ट का बीटा वर्ज़न तैयार किया था। पायलेट फ़ेज़ के दौरान, हम लगातार चीज़ों को बेहतर बनाने की कोशिश करते रहे और अपने प्रोडक्ट को अधिक से अधिक कारगर बनाने की कोशिश में लगे रहे।"
कंपनी के फ़ाउंडर प्रणय बताते हैं कि इस पूरी प्रक्रिया में उन्हें एक साल से अधिक समय लगा और 15 लाख रुपए खर्च हुए। प्रणय बताते हैं कि उन्होंने उपभोक्ताओं के फ़ीडबैक, हॉस्पिटल के इन्फ़्रास्ट्रक्चर/ऑपरेशन्स से संबंधित मुद्दों और अलग-अलग प्रकार के मरीज़ों की विभिन्न ज़रूरतों के हिसाब से अपने प्रोडक्ट में कई परिवर्तन किए और उसे बेहतर बनाया।
किस काम आता है यह प्रोडक्ट?
इन-पेशेंट मैनेजमेंट टूल सोर्स के स्तर पर मरीज़ों की अर्ज़ियों को क्लिनिकल और नॉन-क्लिनिकल दो श्रेणियों में बांटता है। स्टार्टअप मरीज़ के पास एक प्लग-ऐंड-प्ले डिवाइस लगाता है, जिसे संबंधित विभाग (जैसे कि हाउलकीपिंग, एफ़ ऐंड बी आदि) के पास सीधे अपनी अर्ज़ी पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस काम के लिए उन्हें बार-बार नर्स को परेशान करने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
इतना ही नहीं, मरीज़ की अर्ज़ी पर कितनी देर में कार्रवाई हुई इसका भी रेकॉर्ड रखा जाता है और अगर हॉस्पिटल द्वारा स्वीकृत सर्विस लीज़ ऐग्रीमेंट के अनुसार किसी भी तरह की गड़बड़ी पाई जाती है तो उसकी जानकारी संबद्ध पर्यवेक्षक और विभागाध्यक्ष को दी जाती है। प्रणय बताते हैं कि अल्फा केयर का सिस्टम बिज़नेस इंटेलिजेंस रिपोर्टस भी तैयार करता है, जिसका इस्तेमाल करके अस्पताल मरीज़ों पर केंद्रित कई महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं।
अल्फा केयर की टीम का दावा है कि उनके इस उत्पाद की बदौलत में अस्पतालों में नर्सों के पास आने वाली शिकायतों या अर्ज़ियों में करीब 40 प्रतिशत तक की कमी आई है।
अल्फा केयर प्लैटफ़ॉर्म को एक साल पहले लॉन्च किया गया था और तब से अभी तक टीम मनीपाल हॉस्पिटल्स और रेन्बो हॉस्पिटल को बतौर क्लाइंट्स अपने साथ जोड़ चुकी है। अल्फा केयर ग्लोबल मार्केट तक विस्तार की कोशिश में लगा हुआ है। इस संबंध में रॉयल बहरीन हॉस्पिटल्स के साथ उनकी बातचीत चल रही है।
बीटूबी हेल्थकेयर मार्केट तेज़ी के साथ विकास कर रहा है। रिसर्च ऐंड मार्केट्स के अनुसार, ऐसा अनुमान है कि डायग्नोस्टिक सर्विसेज़ का मार्केट आने वाले पांच सालों में 27.5 प्रतिशत की दर से विकास करेगा। प्रणय कहते हैं कि हेल्थकेयर इंडस्ट्री में काम कर रहे स्टार्टअप्स/कॉर्पोरेट्स क्लीनिकल सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
भविष्य की योजनाएं
यह स्टार्टअप अभी पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड है और बीटूबी मॉडल पर काम करता है। अल्फा केयर अपने प्रोडक्ट के लिए 100 बेड वाले अस्पतालों से हर महीने 30 से 45 हज़ार रुपए तक चार्ज करता है।
भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए प्रणय कहते हैं,
"हम हेल्थकेयर ऑपरेशन्स पर काम कर रहे हैं और ऐसे उत्पाद विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिनसे अस्पतालों को ऑपरेशन्स में सुलभता हो और साथ ही, सभी कामों का एक मानक तय हो सके। इसके अलावा अस्पताल के स्टाफ़ की कार्यक्षमता भी बेहतर हो सके।"