इंदौर के स्टार्टअप ने बनाया चौराहों का प्रदूषण सोखने वाला एयर प्यूरीफायर
इंदौर के तीन छात्र दोस्तों हर्ष, दिव्यांक और गगन ने प्रदूषण सोख लेने वाला एक अनोखा एयर प्यूरीफायर ईजाद किया है। अब तक वे 16 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक की कीमत वाले करीब 80 हज़ार के एयर प्यूरीफायर बेच चुके हैं। इस बीच उन्होंने एक ऐसी डिवाइस भी बना ली है, जो धुँआ सोखकर उसे काली स्याही में बदल देगी।
स्टार्टअप में एक अनोखी कामयाबी की यह दास्तान लिखी है इंदौर (म.प्र.) के 'नोवोर्बिस आईटिस प्राइवेट लिमिटेड' के तीन दोस्त फॉउंडर्स हर्ष निखरा, दिव्यांक गुप्ता और गगन त्रिपाठी ने।
वैसे भी इंदौर शहर इनोवेशन में पूरे देश में मिसाल बनता जा रहा है।
हर्ष बताते हैं कि कॉलेज के दूसरे वर्ष की पढ़ाई के दौरान एक दिन उनका ध्यान दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर गया। उन्होंने देखा कि ज्यादा प्रदूषण से वाहन दुर्घटनाग्रस्त भी होने लगे हैं। उसके बाद अपने दो अन्य छात्र दोस्तों दिव्यांक और गगन को साथ लेकर लगभग छह लाख रुपए की लागत से वह आउटडोर एयर प्यूरीफायर बनाने के काम में जुट गए।
इनोवेशन में विशेष नैनो मटेरियल का उपयोग किया गया, जिससे शहरों के चौराहों पर टॉवर बनाकर उपकरण स्थापित करते हुए जहरीली गैस को रोका जा सके। सोलर एनर्जी से उपकरण अपने आप काम करते हुए वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैसों को फिल्टर करते रहेंगे। इसके साथ ही उन्होंने अपने स्टार्टअप के इस प्रदूषणरोधी उपकरण को पेटेंट के लिए भी अप्लाई कर दिया। प्रोडक्ट को पूरी तरह मार्केट में लाने के लिए इन्वेस्टर की तलाश होने लगी।
हर्ष बताते हैं कि पिछले साल इनोवेशन के दौरान ही मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा इंस्टिट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (सीआईआई) के तहत दिल्ली में प्रतियोगिता आयोजित हुई तो उसमें देशभर के 950 शिक्षण संस्थानों से 1500 छात्र अपने-अपने इनोवेटिव स्टार्टअप के साथ शामिल हुए। कंपटीशन में उनके आउटडोर एयर प्यूरीफायर को देश के टॉप फॉइव में जगह मिली।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने उनको अवार्ड से नवाज़ा। तीनो दोस्तों ने बताया कि करीब तीन साल की रिसर्च के बाद एयर प्यूरीफायर तैयार हो गया। इसमें सफलता मिलते ही शहर के एक शिक्षण संस्थान ने एक प्रोडक्ट खरीद लिया। फंडिंग के बाद उन्होंने और भी एयर प्यूरीफायर तैयार कर दिए।
अब वे दुनिया के पहला बिना फिल्टर वाले आउटडोर एयर प्यूरीफायर को बाज़ार में उतारने के लिए 'नोवोर्बिस आईटिस प्राइवेट लिमिटेड' कंपनी बना ली है। इस समय एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च (इंदौर) में इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियर के छात्र तीनों दोस्तों में कंपनी के हेड हर्ष निखरा, टेक्निकल एंड मैन्युफैक्चरिंग हेड गगन त्रिपाठी और मार्केटिंग एंड मैनेजमेंट हेड दिव्यांक गुप्ता हैं।
हर्ष, गगन और दिव्यांक बताते हैं कि शुरू से ही वह कुछ ऐसा कर दिखाने के जुनून में रहे हैं, जिससे देश का भला हो। प्यूरी फायर पर काम करने से पहले उन्होंने विंड टर्बाइन पर भी काम किया लेकिन अर्थाभाव में हाथ पीछे खींच लिए।
एक दिन अचानक यमुना एक्सप्रेस हाईवे का एक वीडियो मैसेज उन्हें मिला, जिसमें प्रदूषण के कारण दिल्ली एनसीआर में गहरे धुंध में एक दर्जन वाहन आपस में टकराने की उनको सूचना मिली। उस हादसे ने उन्हे जैसे उठ खड़े होने के लिए ललकारा। उसके बाद वे अपने एयर प्यूरी फायर के प्रोजेक्ट में जुट गए।
इसके लिए उन्होंने सर्वप्रथम दो साल पहले एक छोटा सा कमरा नौ माह के लिए किराए पर ले लिया। कॉलेज टाइम से खाली होते तीनो उस कमरे पर पहुंच कर अपने मिशन में लग जाते। आखिर उन्हे एक दिन अपना जीरो वेस्ट एयर प्यूरीफायर बनाने में सफलता मिल गई।
अब तक वे 16 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक की रेंज वाले करीब 80 हज़ार रुपये के एयर प्यूरीफायर बेच चुके हैं। इनकी कीमत छोटे-बड़े प्रदूषित स्पेस को ध्यान में रखते हुए तय की गई है।
इस समय उनका स्टार्टअप पोर्टेबल एयर प्यूरिफिकेशन सिस्टम डेवलप कर रहा है। इस बीच उन्होंने एक ऐसा डिवाइस भी बना लिया है, जो काले धुँए को सोखकर उसे काली स्याही में बदल देगा।