अपने स्टार्टअप के जरिए ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए काम कर रही हैं अमेजॉन की एक्स एंप्लाई संयुक्ता विजयन
भारत में, ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को लेकर बहुत सारी गलत अवधारणाएं है। कई को उनके परिवार छोड़ देते हैं, उन्हें आगे बढ़ने के लिए उचित शिक्षा का मौका नहीं मिलता है, जिससे वे मुख्यधारा की नौकरियों से दूर कर दिए जाते हैं। ट्रांस लोगों को भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ा है। उन्हें समाज से इसलिए दूर कर दिया जाता है क्योंकि वे समाज द्वारा बनाए गए मानदंडों के अनुरूप नहीं होते हैं। लेकिन इसके विपरीत जब ट्रांस लोगों के पास उनके परिवारों का बिना शर्त समर्थन होता है, तो वे सफल होने में सक्षम होते हैं, समाज पर प्रभाव डालते हैं और अपने समुदाय को भी सपोर्ट करते हैं। ऐसी ही कहानी है, एक एक्स अमेजॉन एप्लाई, 34 वर्षीय ट्रांस महिला संयुक्ता विजयन की, जो कोयम्बटूर की रहने वाली हैं।
स्टूडियो की स्थापना
जब संयुक्ता विजयन अमेरिका में अमेजॉन के साथ काम कर रही थीं, तो उनके पास वर्कप्लेस पर ट्रांस महिलाओं के ग्रुप का अद्भुत समर्थन था, यही वजह थी कि वे बिना किसी संघर्ष के वहां घुल मिल गईं। हालांकि, उन्होंने महसूस किया कि भारत में ट्रांस समुदाय के लिए स्थिति आदर्श से बहुत दूर थी। उन्होंने अमेजॉन से नौकरी छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया, ताकि अपने समुदाय को बेहतर जीवन जीने में मदद कर सकें। इस साल फरवरी में, संयुक्ता विजयन ने TouteStudio शुरू किया। यह बेंगलुरु स्थित भारतीय-पहनावे वाला फैशन बुटीक है। TouteStudio शादी के कपड़े तैयार करने में माहिर है जिसे खुद संयुक्ता डिजाइन करती हैं, और लगभग पंद्रह इन-हाउस कारीगरों की एक टीम द्वारा ये तैयार किए जाते हैं।
सभी कपड़े रेशम या कपास बेस्ड होते हैं, और कढ़ाई व सजावट के लिए असली चांदी का उपयोग करते हैं। जो चीज TouteStudio को सबसे अलग रखती है वह ये कि यह केवल किराए पर अपना कलेक्शन ऑफर करता है, जो कि ज्यादातर अन्य बुटीक के विपरीत है, जो केवल बेचने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उन्होंने यह निर्णय क्यों लिया, इस पर संयुक्ता एक महत्वपूर्ण और दिलचस्प बात बताती हैं। वह कहती हैं, “बहुत से लोग किसी विशेष कार्यक्रमों के लिए कपड़े खरीदने में अपना पैसा खर्च करते हैं, और अंत में होता क्या है कि वे या उन कपड़ों का उपयोग नहीं करते हैं, या बस उन्हें एक-दो बार पहनने के बाद फेंक देते हैं। लेकिन उन्हें इस बात का एहसास नहीं होता कि वे एक बड़ी पर्यावरणीय गड़बड़ी कर रहे हैं। मैं चाहती हूं कि लोग ये सोचना शुरू करें कि उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने के बाद उन कपड़ों का क्या होता है।”
अमेरिका में, रेंट द रनवे जैसे ब्रांड फैशन को सर्कुलेट करने के अभ्यास को बढ़ावा दे रहे हैं, जहां लोग कपड़े शेयर करते हैं और हर रोज लैंडफिल में जाने वाले कपड़े के कचरे की मात्रा को कम करते हैं। संयुक्ता कहती हैं कि यह अवधारणा भारत में काफी अनसुनी है। साथ ही बहुत से भारतीय ऐसा कुछ पहनने से हिचकिचाएंगे भी जो किसी और ने पहले पहना हो, लेकिन TouteStudio के माध्यम से हमारा इस मानसिकता को बदलने का लक्ष्य है।
जीवन परिवर्तन
संयुक्ता कहती हैं, “मुझे हमेशा से पता था कि मैं एक लड़की हूँ। और मेरे माता-पिता ने कभी भी मुझ पर कोई विशेष लिंग को लेकर भूमिका नहीं थोपी। मुझे अपने लड़की होने के बारे में किसी भी भावना को दबाने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि मुझे मेकअप करने और जो मैं चाहूं उस तरह के कपड़े पहनने की अनुमति थी। बचपन से ही मैं जो करना चाहती थी उसके लिए फ्री थी।”
संयुक्ता भरतनाट्यम सीखने और पारंपरिक रूप से स्त्री वेशभूषा में तैयार होने के लिए प्रोत्साहित किए जाने को याद करती हैं। उनके माता-पिता ने कभी आपत्ति नहीं की, और उन पर गर्व किया। संयुक्ता कहती हैं कि अपने माता-पिता से मिले मजबूत समर्थन ने उन्हें अपने एकेडमिक और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति दी, और साथियों या रिश्तेदारों की कभी-कभार की गई टिप्पणी से परेशान नहीं होने दिया।
आखिरकार, उन्होंने अपने स्कूल में टॉप पर रहते हुए ग्रेजुएट किया और एक प्रतिष्ठित प्राइवेट इंजीनियरिंग युनिवर्सिटी में स्थान हासिल किया। चार साल बाद, उन्होंने युनिवर्सिटी द्वारा दी जाने वाली सबसे अधिक भुगतान वाली नौकरियों में से एक हासिल की। इसके तुरंत बाद, वह भारत में अमेजॉन में शामिल हो गईं, और 2012 में, काम पर लक्जमबर्ग चली गईं। उन्होंने 2014 में यूके और 2015 में यूएस ट्रैवल किया।
2016 की शुरुआत में, जब संयुक्ता सिएटल में थी, तो उन्होंने मेडिकल के जरिए खुद को बदलने का फैसला किया। अमेजॉन में अन्य ट्रांस महिलाओं के अपार समर्थन के साथ, वह जल्द रिकवर करने में सक्षम रहीं। वह कहती हैं, “मेरे लिए दुनिया घूमते समय सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मुझे यह देखने को मिला कि LGBTQ + समुदाय के लोगों के पास एक खुली जगह है और उन्हें पता है कि वे कौन हैं। आर्थिक रूप से स्थिर और पूरा सपोर्ट होने के बाद, मैं सोचने लगी कि समाज को वापस देने के लिए मैं क्या कर सकती हूं।”
संयुक्ता का यह भी कहना है कि ट्रांसजेंडर ग्राहक बुटीक में सुरक्षित महसूस करते हैं, और फोटोशूट के माध्यम से खुद को व्यक्त करना पसंद करते हैं। यह समझने के लिए कि स्टार्टअप से जुड़ने के बाद से उनका जीवन कैसे बदल गया इसके लिए HerStory ने TouteStudio में कार्यरत ट्रांस महिलाओं के साथ बात की।
रोजगार ही शक्ति है
29 साल की रोजा फेलिसिया स्टोर को मैनेजकरती हैं और ग्राहकों के साथ बातचीत करती हैं। वे 2016 में पहली बार बाहर आईं थी, उनके माता-पिता ने उन्हें नहीं अपनाया और उन्हें अपने दम पर छोड़ दिया। रोजा को जीवित रहने में मदद करने के लिए लोगों का एक समूह था, लेकिन वह तब तक बेरोजगार रही जब तक उसे TouteStudio में नौकरी नहीं मिल गई। रोजा ने बुटीक में अपनी नौकरी के माध्यम से प्राप्त वित्तीय स्थिरता के चलते खुद को बदलना शुरू कर दिया है।
समाज किस तरह से ट्रांस लोगों को मानता है, इस पर वह कहती है: “ट्रांस लोगों को लेकर आस-पास बहुत सारी अवधारणाएं हैं, जैसे वे भीख माँगते हैं या सेक्स का काम करते हैं, लेकिन लोग यह स्वीकार नहीं करते कि इन तरीकों से अपनी आजीविका कमाने वाले सिजेंडर पुरुष और महिलाएं भी तो हैं। मुझे पता है कि मैं समाज के सोचने के तरीके को नहीं बदल सकती, लेकिन मैं खुद को किसी सिजेंडर (पुरुष या महिला) के लिए भी नहीं बदलने जा रही हूं। एक कदम आगे बढ़ाने और अपने जीवन के साथ आगे बढ़ने का निर्णय करके, मैं अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ट्रैक पर हूं।”
रोजा यह भी कहती हैं कि उनका नाम अमेरिकी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता रोजा पार्क्स से प्रेरित है। जिन्होंने एक व्हाइट व्यक्ति द्वारा दिए ऑर्डर जाने के बावजूद बस की अपनी सीट नहीं छोड़ी थी।
हकीकत बनते सपने
26 वर्षीय व्यगा, TouteStudio में डिजाइनर हैं। अपनी सच्चाई को जीने के लिए, वह एक दोस्त के माध्यम से संयुक्ता के पास पहुंची। वह अब मानती है कि बुटीक में उनकी नौकरी उसे खुद को सही मंच देती है। वह कहती हैं, "मैं हमेशा खुश रहती हूं। मैं सकारात्मक ऊर्जा रखती हूं। मैं किसी दिन पेशेवर रूप से संगीत, नृत्य, मॉडलिंग और अभिनय के बारे में सपने देखती हूं और मैं शादी भी करना चाहती हूं और बच्चों की परवरिश करना चाहती हूं। हालाँकि मैं काफी हंसमुख हूँ, लेकिन स्ट्रेट फॉरवर्ड भी हूँ। यदि कोई मुझे परेशान करता है, तो मुझे पता है कि मुझे क्या करना है।” व्यगा ने अपना ये नाम इसलिए चुना क्योंकि जर्मन में इसका मतलब है 'फाइटर' होता है।
मुसीबत पर काबू
ट्रांसजेंडर लोगों को सम्मान दिया जाना चाहिए और उन्हें जीवन में समान अवसर दिए जाने चाहिए। सही समर्थन और प्रोत्साहन के साथ, वे अपने अभिनव और प्रभावशाली विचारों के साथ महान ऊंचाइयों को माप सकते हैं।