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तीन दोस्तों की कहानी: समोसे बेचने से लेकर आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस तक

तीन दोस्तों की कहानी: समोसे बेचने से लेकर आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस तक

Thursday June 13, 2019 , 5 min Read

Parallel Dots

अंगम, अंकित और मुक्ताभ



आईआईटी-खड़गपुर और बीआईटीएस, पिलानी से पढ़े इन तीन दोस्तों ने कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही यह फ़ैसला कर लिया था कि वे अपना बिज़नेस करेंगे। कैंपस से प्लेसमेंट के बाद भी तीनों दोस्तों ने अपना बिज़नेस शुरू करने का इरादा नहीं छोड़ा। 2012 में उन्होंने तय किया कि वे बेंगलुरू में समोसे बेचने का काम शुरू करेंगे। फ़ूडटेक इंडस्ट्री अपने शुरूआती दौर में थी, लेकिन बेंगलुरू में उत्तर-भारतीयों की पर्याप्त आबादी होने की वजह से तीनों दोस्तों को समोसे का बिज़नेस एक बेहतर विकल्प दिखाई दे रहा था।


इन तीनों में से एक दोस्त, अंगम पाराशर (29) का कहना है, "हम तीनों दोस्त बेंगलुरू में समोसा बेचने से लेकर आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने तक, हर बिज़नेस आइडिया पर विचार करते थे।" अंगम ने आईआईटी-खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। 2 सालों बाद 2014 में उन्होंने अंततः फ़ैसला किया और गुरुग्राम में अपने आर्टफ़िशियल इंटेलिजेंस आधारित 'पैरलल डॉट्स' नाम के स्टार्टअप का सेटअप जमाया। अंगम बताते हैं कि समोसे बेचने का आइडिया महज़ मज़ाक के तौर पर था, पैरलल डॉट्स की शुरुआत करने के संबंध में उन्होंने तय किया था कि वे ऐसा कोई काम शुरू करेंगे, जिसमें तीनों दोस्तों की विशेषज्ञता हो।





स्टार्टअप का नाम पैरलल डॉट्स रखने के पीछे एक दिलचस्प कहानी थी और साथ ही, इस नाम की कहानी स्टीव जॉब्स से भी इत्तेफ़ाक़ रखती थी। 2005 में ऐपल के फ़ाउंडर स्टीव जॉब्स ने स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में एक भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने ज़िंदगी में छोटी-छोटी चीज़ों को मिलाकर सोचने की बात कही थी और साथ ही, उन्होंने अपने मन का काम करने की सलाह भी दी थी। जॉब्स की इस बात का अंगम, अंगल के क्लासमेट अंकित नारायण सिंह और बीआईटीएस से पढ़े उनके दोस्त मुक्ताभ मयंक श्रीवास्तव पर काफ़ी गहरा असर हुआ।


मुक्ताभ से अंगम की मुलाक़ात आईआईटी के बाद पहली नौकरी के दौरान हुई थी। दोनों एक टेक कंपनी में काम करते थे, जिसका मुख्यालय यूएस में था। उनकी गहरी दोस्ती हो गई। इस दौरान ही, अंकित की नौकरी रियो टिंटो नाम की ऑस्ट्रेलियन माइनिंग फ़र्म में लग गई। वह अक्सर भारत आया करते थे और इस तरह से तीनों की दोस्ती मुकम्मल हुई। अंगम कहते हैं कि माइनिंग से लेकर डेटा माइनिंग तक, अंकित की यात्रा काफ़ी दिलचस्प है। दो सालों की नौकरी के बाद, तीनों ने पैरलल डॉट्स की शुरूआत करने का इरादा पक्का किया।


स्टार्टअप की शुरू करने के लिए शुरुआती पैसा निजी बचत से जमा हुआ और साथ ही, उन्हें टाइम्स इंटरनेट के स्टार्टअप ऐक्सीलरेटर 'टी लैब्स' से 10 लाख रुपए का निवेश भी मिला। यह स्टार्टअप कॉन्टेन्ट पब्लिशिंग का काम करता था और इसके लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था। एआई की मदद से प्रकाशकों के आर्काइव से प्रासंगिक कॉन्टेन्ट को हाल में प्रचलित कॉन्टेन्ट के साथ उपभोक्ताओं के सामने रखा जाता था। 2016 में स्टार्टअप ने अपने ऑपरेशन्स बंद कर दिए क्योंकि उनका आइडिया मार्केट और उपभोक्ताओं को कुछ ख़ास रास नहीं आ रहा था। अंगम बताते हैं कि उनकी कंपनी को रेवेन्यू तो मिल रहा था, लेकिन उसकी ग्रोथ अच्छी नहीं थी।




Parallel Dots


तीनों दोस्तों ने तीन महीने का ब्रेक लेने का फ़ैसला लिया। इस दौरान उन्होंने काफ़ी रिसर्च की और कई नए विचारों पर काम करना शुरू किया। 2017 के जून में तीनों ने पैरलल डॉट्स नाम से ही एक नई कंपनी की शुरुआत की। कुछ समय बाद, उनकी कंपनी ने मल्टीपॉइंट कैपिटल के ज़रिए 1.5 मिलियन डॉलर का निवेश हासिल किया। अंगम ने बताया कि उनकी टीम प्राइमरी प्रोडक्ट के संबंध में उस समय तक भी स्पष्ट नहीं थी। वे एक ऐसा एआई आधारित प्लेटफ़ॉर्म विकसित करना चाहते थे, जिसे वे एंटरप्राइज़ेज़ को बेच सकें।


उनका उत्पाद कर्ण.एआई कंपनी का प्राइमरी बिज़नेस बना और रेवेन्यू भी आने लगा। इस प्रोडक्ट के बारे में जानकारी देते हुए अंगम बताते हैं कि यह एक एआई प्लेटफ़ॉर्म है, जो उपभोक्ता के रूप में जुड़े ब्रैंड्स और रीटेलर्स को रीटेल डेटा इकट्ठा करने, उसका विश्लेषण करने और फिर आगे की रणनीति तय करने में मदद करता है। कंपनी की क्लाइंट लिस्ट में भारत, यूएस, यूरोप और जापान की कई बड़ी एफ़एमसीजी और सीपीजी (कन्ज़्यूमर प्रोडक्ट गुड्स) कंपनियां शामिल हैं।




Parallel Dots

Parallel Dots की टीम



अपने प्लेटफ़ॉर्म द्वारा उपलब्ध कराई जा रहीं सुविधाओं का ज़िक्र करते हुए अंगम ने एक उदाहरण दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि मान लीजिए की कोका-कोला किसी स्टोर को ब्रैंडिंग के लिए अपना फ़्रिज देता है। दुकानदार को इस फ़्रिज में सिर्फ़ कोक के उत्पाद ही रखने होते हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं है और अक्सर दुकानदार अन्य प्रतियोगी कंपनियों जैसे कि पेप्सी के उत्पाद रखने लगते हैं। अंगम बताते हैं कि उनका प्रोडक्ट एआई की मदद से इन चीज़ों की जानकारी कंपनी तक पहुंचाता है। अंगम बताते हैं कि उनकी कंपनी कस्टमाइज़्ड सॉफ़्टवेयर तैयार करने की सर्विस भी मुहैया कराती है। हाल ही में, पैरलल डॉट्स ने टेक फ़ॉर फ़्यूचर प्रतियोगिता में 50 हज़ार डॉलर की राशि जीती है।


अंगम ने सटीक आंकड़े तो नहीं बताए, लेकिन उनका दावा है कि पिछले एक साल में कंपनी का रेवेन्यू 5 गुना हो गया है। उन्हें उम्मीद है कि 2019 ख़त्म होने तक यह रेवेन्यू दोगुना हो जाएगा। कंपनी की योजना है कि डेढ़ से दो सालों में उनका एक ऑफ़िस यूएस में भी हो।