अमूल की कंपनी ने खाने के तेल में लगाया Petrol वाला गणित, कभी 'महंगा' नहीं होगा ये ऑयल!
अब अमूल की पैरेंट कंपनी GCMMF ने भी खाने के तेल की फील्ड में एंट्री मार ली है. कंपनी ने एक फिक्स्ड प्राइस एडिबल ऑयल बिजनेस मॉडल शुरू किया है. इसके तहत खाने के तेल का हमेशा एक जैसा रहेगा, वह कभी नहीं बढ़ेगा. अगर तेल महंगा होता है तो पैकेट में क्वांटिटी घटा दी जाएगी.
हाइलाइट्स
अब अमूल की पैरेंट कंपनी GCMMF ने भी खाने के तेल की फील्ड में एंट्री मार ली है.
कंपनी ने एक फिक्स्ड प्राइस एडिबल ऑयल बिजनेस मॉडल शुरू किया है.
इसके तहत खाने के तेल का हमेशा एक जैसा रहेगा, वह कभी नहीं बढ़ेगा.
अगर तेल महंगा होता है तो पैकेट में क्वांटिटी घटा दी जाएगी.
पिछले कुछ सालों में खाने के तेल की कीमतों में बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. इसकी वजह से खाने के तेल के बिजनेस में कई नए खिलाड़ियों ने भी कदम रखे हैं. अब अमूल (AMUL) की पैरेंट कंपनी गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) ने भी इस फील्ड में एंट्री मार ली है. कंपनी ने Janmay ब्रांड के तहत खाने के तेल के 6 वैरिएंट लॉन्च किए हैं. हालांकि, अमूल की कंपनी ने इस बार खाने के तेल की मार्केटिंग में पेट्रोल (Petrol) वाला गणित लगाया है. अभी तो कंपनी ये तेल सिर्फ गुजरात में ही बेच रही है, लेकिन आने वाले दिनों में इसे पूरे देश में ले जाने की योजना है. यहां लोगों के मन में एक बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर ये कैसे बिजनेस मॉडल (Business Model) है. आइए समझते हैं इसे.
क्या है ये पेट्रोल वाला गणित?
जब कभी कोई पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भरवाने जाता है तो वह कभी 1 लीटर 2 लीटर या 10 लीटर या जितना भी पेट्रोल उसकी मात्रा यानी क्वांटिटी के हिसाब से नहीं खरीदता है. हर कोई पेट्रोल पंप पर रुपयों के हिसाब से पेट्रोल लेता है. जैसे 100 रुपये, 500 रुपये या हजार रुपए. कुछ लोग टंकी फुल करवाते हैं और पूछते हैं कितने रुपये हुए. इस तरह से पेट्रोल खरीदना लोगों को वैल्यू फॉर मनी लगता है. यही वजह है कि कंपनी पेट्रोल वाला ये गणित खाने के तेल में भी लगाया है.
खाने के तेल में कैसे काम करेगा ये गणित?
कंपनी ने खाने के तेल को जो वैरिएंट लॉन्च किए हैं, उनकी कीमत 100 रुपये रखी है. यह कीमत हमेशा 100 रुपये ही रहेगी और इसमें कोई भी बदलाव नहीं होगा. यानी आप जब भी बाजार जाकर अमूल की कंपनी का ये तेल खरीदेंगे तो आपको उसके एक पैकेट के लिए सिर्फ 100 रुपये ही चुकाने होंगे. जब कभी खाने का तेल महंगा या सस्ता होगा तो कंपनी उसी हिसाब से खाने के तेल में तेल की क्वांटिटी को कम या ज्यादा कर देगी.
ऐसा करने से क्या फायदा होगा?
कंपनी की इस स्ट्रेटेजी के तहत जो खाने के तेल के पैकेट बिकेंगे, उसे खरीदने वाले ग्राहकों को खाने के तेल की कीमत में होने वाले छोटे-मोटे बदलाव पता ही नहीं चलेंगे. अभी बिनौला तेल (Refined Cottonseed Oil) का 650 एमएल का पैक 100 रुपये का है. अगर ये तेल महंगा होता है तो कंपनी कीमत बढ़ाने के बजाय पैकेज में तेल की मात्रा घटा देगी. ग्राहकों का ध्यान तेल की मात्रा पर बहुत बाद में जाएगा, जिससे उन्हें थोड़ी-बहुत महंगाई का अहसास ही नहीं होगा.
तो क्या अब तक किसी ने नहीं किया ऐसा?
देखा जाए तो पूरे एफएमसीजी मार्केट में ये प्रैक्टिस कोई नई चीज नहीं है. बिस्कुट के पैकेट से लेकर नमकीन और साबुन-सर्फ तक के पैकेट छोटे होते देखे गए हैं. तमाम कंपनियां शुरुआत में अपने प्रोडक्ट के छोटे पैक्स को महंगा करने के बजाय उनका वजन घटा देती हैं. हालांकि, किसी ने भी इस स्ट्रेटेजी के तहत कोई प्रोडक्ट निकालने की बात नहीं कही है. वहीं अमूल की कंपनी ने खाने के तेल में ये फॉर्मूला अप्लाई किया है, जिसके दाम सिर्फ बढ़ते नहीं, बल्कि घटते भी हैं. यानी इस कंपनी के तेल का पैकेट सिर्फ छोटा ही नहीं होगा, बल्कि हो सकता है कि कभी बड़ा भी हो जाए यानी उसी कीमत में आपको कभी उसमें अधिक तेल भी मिलने लगे.
साइकोलॉजिकल प्राइसिंग मार्केटिंग है ये
अमूल की कंपनी Janmay ने जो तरीका अपनाया है, वह दरअसल साइकोलॉजिकल प्राइसिंग मार्केटिंग का हिस्सा है. इसके तहत प्रोडक्ट की कीमत ऐसी रखी जाती है कि ग्राहक उसकी ओर आकर्षित हों और प्रोडक्ट उन्हें सस्ता लगे. जैसे तमाम सेल में प्रोडक्ट की कीमत 199, 499 जैसी रखी जाती है, जिससे लोगों को प्रोडक्ट सस्ता लगता है. 499 रुपये के प्रोडक्ट को पहली बार में देखकर वह 400 के बेहत करीब लगता है और 500 से दूर, जबकि होता इसका उल्टा है. ठीक इसी तरह 100 रुपये का तेल का पैक हमेशा इतना ही रहेगा, जबकि मात्रा बदलती रह सकती है. ऐसे में ग्राहकों को हमेशा यही लगेगा कि वह पहले भी 100 रुपये में एक पैकेट तेल खरीदते थे और अब भी उसी दाम में उन्हें तेल मिल रहा है.