क्या अनिल अग्रवाल Vedanta में से अपनी हिस्सेदारी बेचने जा रहे हैं? जानिए उन्होंने क्या कहा?
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अपने विशाल कारोबार के कर्ज को कम करने के लिए अग्रवाल मुंबई में सूचीबद्ध वेदांता लिमिटेड में अल्पांश हिस्सेदारी की बिक्री पर विचार कर रहे हैं.
भारतीय अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) ने वेदांता
में से अपनी हिस्सेदारी बेचने से इनकार कर दिया है. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब गुरुवार की सुबह, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अपने विशाल कारोबार के कर्ज को कम करने के लिए अग्रवाल मुंबई में सूचीबद्ध वेदांता लिमिटेड में अल्पांश हिस्सेदारी की बिक्री पर विचार कर रहे हैं.रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, खबर पर प्रतिक्रिया करते हुए, वेदांता लिमिटेड ने गुरुवार को कहा कि प्रमुख खनन कंपनी में किसी भी हिस्सेदारी की बिक्री की बात "असत्य और निराधार" है.
रिपोर्ट में कहा गया था कि अग्रवाल मुंबई में सूचीबद्ध कंपनी में 5 फीसदी से कम की हिस्सेदारी बेचने की संभावना पर विचार कर रहे हैं. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि वेदांता में हिस्सेदारी की बिक्री अरबपति खनन कारोबारी के लिए अंतिम विकल्प है और इस पर केवल तभी विचार किया जाएगा जब पैसे जुटाने के सभी विकल्प विफल हो जाएंगे.
इससे पहले ब्लूमबर्ग न्यूज ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि अग्रवाल की वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड, जिसके पास वेदांता का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा है, कम से कम तीन बैंकों के साथ 1 अरब डॉलर के ऋण के लिए बातचीत कर रही है.
गुरुवार के शुरुआती कारोबारी सत्र के दौरान, बीएसई पर वेदांता के शेयरों में 6% तक की गिरावट आई. पिछले हफ्ते, वेदांता रिसोर्सेज ने बर्कलेज बैंक और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से लिए गए 250 मिलियन डॉलर के ऋण का भुगतान किया.
कंपनी ने पहले कहा था कि उसके पास आने वाली तिमाहियों में कर्ज चुकाने की देनदारियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त साधन हैं क्योंकि वह अपनी वित्तीय स्थिति को लेकर निवेशकों की चिंताओं को दूर करने पर विचार कर रही है.
मुंबई में सूचीबद्ध खनन और तेल और गैस कंपनी वेदांता लिमिटेड के बहुसंख्यक मालिक वीआरएल ने बर्कलेज बैंक से उधार लिए गए 150 मिलियन अमरीकी डालर का पुनर्भुगतान किया.
फरवरी में की गई एक एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, वेदांता ने चालू वित्त वर्ष में अपने शुद्ध ऋण में 2 बिलियन डॉलर की कमी की है और अगले दो वित्तीय वर्षों में अपने ऋण भार को कम करना जारी रखने की योजना बना रही है, जो कि शुरुआत में 7.7 बिलियन डॉलर था.
इस बीच, वेदांता समूह की कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) के निदेशक मंडल ने शेयरधारकों को 26 रुपये प्रति शेयर का चौथा अंतरिम लाभांश देने का फैसला किया है.
इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए एचजेडएल की तरफ से शेयरधारकों को दिया जाने वाला कुल लाभांश रिकॉर्ड 32,000 करोड़ रुपये हो गया है. इस तरह एचजेडएल देश में सर्वाधिक लाभांश देने वाली कंपनियों में शामिल हो गई है.
बता दें कि, देश में जिंक, सीसा और चांदी के सबसे बड़े उत्पादक हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) की 64.92 प्रतिशत हिस्सेदारी वेदांता समूह के पास है जबकि 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार के पास है.
Edited by Vishal Jaiswal