सरकार की विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों को मिलेंगे 15,000 रुपये
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कहा था कि सरकार एक महीने के भीतर इस योजना को लागू करेगी.
केंद्र सरकार आगामी 17 सितंबर को कारीगरों और श्रमिकों को समर्थन देने के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना (PM Vishwakarma scheme) शुरू करने के लिए तैयार है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजधानी में इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर, द्वारका में इस योजना का शुभारंभ करेंगे.
योजना के तहत, लाभार्थियों को रियायती ब्याज दर पर संपार्श्विक मुक्त (collateral free) उद्यम विकास ऋण के अलावा, ई-वाउचर या eRUPI के माध्यम से टूलकिट प्रोत्साहन के रूप में प्रत्येक को ₹15,000 मिलेंगे. इसके अलावा, कारीगरों को प्रति माह अधिकतम 100 लेनदेन के लिए प्रति लेनदेन ₹1 का प्रोत्साहन भी मिलेगा. MSME मंत्रालय द्वारा तैयार की गई एक प्रजेंटेशन में इसकी जानकारी दी गई है.
कारीगरों को कौशल सत्यापन चरण से गुजरना होगा और उसके बाद पांच दिवसीय प्रशिक्षण सत्र से गुजरना होगा. प्रेजेंटेशन में दिखाया गया कि वे 15 या अधिक दिनों के लिए उन्नत प्रशिक्षण सत्र प्रदान करेंगे और प्रशिक्षण अवधि के दौरान उन्हें प्रति दिन ₹500 का वजीफा मिलेगा.
इस योजना में गुणवत्ता प्रमाणन, ब्रांडिंग, विज्ञापन, प्रचार और अन्य मार्केटिंग गतिविधियों के लिए ₹250 करोड़ का कोष भी है.
इस योजना को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने 16 अगस्त को पांच साल (FY24-28) की अवधि के लिए ₹13,000 करोड़ के परिव्यय के साथ मंजूरी दी थी.
कैबिनेट की मंजूरी के बाद मंत्रालय ने एक बयान में डिजिटल लेनदेन के लिए टूलकिट प्रोत्साहन और रियायतों का जिक्र किया था.
इसमें कहा गया है कि योजना के तहत, कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से 5% की रियायती ब्याज दर के साथ ₹1 लाख (पहली किश्त में) और ₹2 लाख (दूसरी किश्त) तक की क्रेडिट सहायता प्रदान की जाएगी.
प्रेजेंटेशन में दिखाया गया है कि रियायती ब्याज दर 8% तक ब्याज सबवेंशन कैप के अधीन होगी और एक क्रेडिट निरीक्षण समिति मौजूदा ब्याज दरों के अनुरूप सबवेंशन कैप को संशोधित कर सकती है. क्रेडिट गारंटी शुल्क केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा.
यह योजना देश भर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी और 18 पारंपरिक व्यापारों को प्रारंभिक लाभार्थी क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया है. पहचाने गए कारीगरों और शिल्पकारों में बढ़ई, नाव निर्माता, लोहार, हथौड़े और टूल किट निर्माता, ताला बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाले, मोची, जूते बनाने वाले, राजमिस्त्री, कॉयर बुनकर, पारंपरिक खिलौना निर्माता, नाई माला निर्माता, धोबी और दर्जी शामिल हैं.
पात्रता आवश्यकताओं में न्यूनतम आयु 18 वर्ष शामिल है और आवेदकों को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP), प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर की आत्मनिर्भर निधि, मुद्रा योजना जैसे अन्य केंद्रीय और पिछले पांच वर्षों में राज्य सरकार की योजना समेत समान क्रेडिट आधारित स्व-रोज़गार योजनाओं के तहत ऋण नहीं लेना चाहिए.
आवेदकों को एक स्व-घोषणा पत्र देना होगा और उचित परिश्रम बैंकों द्वारा किया जाएगा. पंजीकरण और लाभ भी परिवार के एक सदस्य तक ही सीमित रहेंगे.
प्रेजेंटेशन के अनुसार, कार्यान्वयन एक राष्ट्रीय संचालन समिति, राज्य निगरानी समितियों, जिला कार्यान्वयन समितियों के निर्माण के साथ किया जाएगा और कार्यान्वयन संगठनात्मक संरचना के सबसे निचले स्तर पर बैंकों और कौशल केंद्रों सहित क्षेत्रीय स्तर की एजेंसियां होंगी.
FY24 के केंद्रीय बजट में पहली बार उल्लेख किया गया है कि सरकार पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को समर्थन देने के लिए योजना लेकर आएगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कहा था कि सरकार एक महीने के भीतर इस योजना को लागू करेगी.