आशा पारेख को दिया जाएगा इस साल का दादा साहब फाल्के पुरस्कार
दादा साहब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा का एक एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है. भारत सरकार द्वारा हर साल यह पुरस्कार उस भारतीय सिनेमा की प्रमुख हस्ती को दिया जाता है जिसने अपने जीवन काल में सिनेमा जगत में उल्लेखनीय काम किया है. इस साल, 2022, का दादा साहब फाल्के पुरस्कार अभिनेत्री आशा पारेख को फिल्म जगत में उनके योगदान के लिए दिया जा रहा है.
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दादा साहेब फाल्के के नाम पर दिया जाता है जिन्होंने भारत की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ साल 1913 में बनाई थी. इनके इस योगदान के सम्मान में साल 1969 से भारत सरकार द्वारा दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की शुरुआत की गई. यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा और फिल्म इंडस्ट्री में उत्कृष्ठ योगदान के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार फिल्म समारोह निदेशालय द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाता है. 1969 में देविका रानी को इस सम्मान से सर्वप्रथम सम्मानित किया गया था.
‘60 और ‘70 के दशक की मशहूर अदाकारा आशा पारेख ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर की थी. बिमल रॉय द्वारा निर्देशित फिल्म ‘माँ’ इनकी पहली फिल्म थी. इनकी परफोर्मेंस को देखते हुए बिमल रॉय ने उन्हें अपनी एक और फिल्म ‘बाप बेटी’ में भी काम दिया. 1959 में आई फिल्म ‘दिल देके देखो’अभिनेत्री उनकी पहली फिल्म थी. कई सफल फिल्मों में काम करने के कारण इन्हें ‘जुबिली गर्ल’ का खिताब मिला था. प्रतिष्ठित फिल्मफेयर पुरस्कार शक्ति सामंत की फिल्म ‘कटी पतंग’ (1970) में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए मिल चूका है.
’90 की शुरुआत में ‘कोरा कागज़’ जैसी बहुत पॉप्युलर टेलीविजन सीरियल का निर्देशन आशा पारेख ने ही किया था. जिसके बाद उन्होंने साल 1995 में फिल्मों में एक्टिंग पूरी तरह से छोड़ दी. उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी “आकृति” बनाई जिसके तहत टेलीविजन के लिए कई सीरियल का निर्देशन और निर्माण किया.
एक्टिंग की दुनिया में उनके योगदान के लिए उन्हें साल 2002 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाज़ा गया. और इस साल उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलने की घोषणा की जा चुकी है. सिनेमा में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा 1992 में आशा पारेख को पद्म श्री से सम्मानित किया जा चूका है.