Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

स्टार्टअप में आटा चक्की और पान की दुकान!

स्टार्टअप इंडिया: बिहार सरकार नई पॉलिसी के तहत स्टार्टअप्स के लिए दे रही है दस लाख रुपए तक...

स्टार्टअप में आटा चक्की और पान की दुकान!

Monday May 07, 2018 , 6 min Read

औरों की तो छोड़िए, स्वयं केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु कहते हैं कि देश में बहुत से स्टार्टअप शुरू होते ही दम तोड़ दे रहे हैं। बिहार में तो स्टार्टअप मद में युवा आटा चक्की और पान की दुकान खोलने के लिए पैसा मांग रहे हैं। उधर उत्तर प्रदेश सरकार इस मद में ढाई सौ करोड़ रुपए आवंटित कर बड़े-बड़े दावे करने लगी है।

सांकेतिक तस्वीर

सांकेतिक तस्वीर


बिहार में स्टार्टअप के आवेदक युवा कह रहे हैं कि उन्हें गांव में आटा चक्की खोलनी है, पान की दुकान लगानी है, ऑटो खरीदना है, आदि-आदि। दरअसल बिहार सरकार नई पॉलिसी के तहत स्टार्ट अप के लिए दस लाख रुपए तक दे रही है। 

माना कि स्टार्ट अप युवा भविष्य के लिए बड़े काम का साबित हो रहा है लेकिन उसकी विफलताएं और चुनौतियां विचलित तो करती ही हैं, उसके सम्बंध में कई बार हास्यास्पद किस्म की जानकारियां इसे हतोत्साहित भी करती हैं। औरों की तो छोड़िए, स्वयं केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु कहते हैं कि देश में बहुत से स्टार्टअप शुरू होते ही दम तोड़ दे रहे हैं। ऐसे में हमें स्टार्ट अप की स्थितियों में सुधार लाना होगा। प्रभु बताते हैं कि देश में स्टार्टअप की आधिकारिक संख्या लगभग बीस हजार है लेकिन वास्तविकता कुछ और है। यह आंकड़ा काफी कम बताया गया है। हमें स्टार्टअप की शुरुआत के समय ही बंद हो जाने की दर को कम करना होगा।

स्टार्ट अप से जुड़े युवा भविष्य के सफल कारोबारी हैं। इनको नवजात शिशुओं की तरह सहारा दिया जाना चाहिए। सुरेश प्रभु के इस अभिमत के परिप्रेक्ष्य में बिहार की स्टार्टअप योजना में आटा चक्की और पान दुकान के लिए आवेदन की कड़ी स्वतः जुड़ जाती है। बिहार स्टार्ट अप योजना के पोर्टल पर आटा चक्की और पान की दुकान खोलने के लिए युवा आवेदन कर रहे हैं। बिहार स्टार्ट अप के लिए लगभग पांच हजार आवेदनों में से मात्र 29 का ही इसलिए चयन किया जा सका कि उनमें ज्यादातर गैरवाजिब रहे। जबकि उद्योग विभाग मात्र 71 लाख रुपए मुहैया कराकर बिहार में औद्योगिक क्रांति का दावा कर रहा है और इस योजना के नाम पर अबतक 295 लाख रुपए सरकार के खर्च हो चुके हैं।

बिहार में स्टार्ट अप के आवेदक युवा कह रहे हैं कि उन्हें गांव में आटा चक्की खोलनी है, पान की दुकान लगानी है, ऑटो खरीदना है, आदि-आदि। दरअसल बिहार सरकार नई पॉलिसी के तहत स्टार्ट अप के लिए दस लाख रुपए तक दे रही है। जिन युवाओं को पता नहीं, स्टार्ट अप है क्या चीज, वे तो आटा चक्की, पान की दुकान, ऑटो के लिए पैसा मांग रहे हैं। इससे एक बात और साफ होती है कि सरकार भी अपने राज्य के युवाओं को अपनी स्टार्ट अप पॉलिसी से ठीक से कन्विंस नहीं कर पा रही है। ऐसा तब हो रहा है, जबकि बिहार की 'निवेश सलाहकार समिति' में स्टार इंडिया के उदय शंकर समेत पांच बड़ी हस्तियों को रखा गया है। इसके लिए 500 करोड़ रुपए का फंड भी है। यही वजह है कि बिहार में बड़े निवेश के लिए ग्लोबल समिट के बाद जिस दस हजार करोड़ के निवेश का दावा किया जा रहा था, उसमें भी मात्र 720 करोड़ रुपए ही जुट सके हैं।

स्टार्ट अप में एक तरफ तो ऐसी कड़वी सच्चाइयां हैं, दूसरी तरफ यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका और भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी की ओर से स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त रूप से पहल की जा रही है। इसके लिए यूनाइटेड स्टेट-इंडिया साइंस एंड टेक्नोलॉजी फंड की शुरुआत की गई है। इसमें स्टार्टअप और आंत्रप्रेन्योर को बढ़ावा देने के लिए उन्हें बेहतर प्रपोजल के आधार पर फंडिंग की जाएगी। इसमें अधिकतम 2.50 करोड़ रुपए की तक की फंडिंग का प्रावधान है। इसके लिए क्राइटेरिया पूरा करने वाले प्रतिभागी प्रपोजल भेज सकेंगे।

पहले स्टेज पर स्क्रीनिंग होगी और दूसरी स्टेज पर टेक्निकल एक्सपर्ट की कमेटी रिव्यू करेगी। इसके बाद शॉर्ट लिस्ट की गई टीम प्रजेंटेशन देगी। स्टेज-चार पर वित्तीय जानकारी देनी होगी और आखिरी स्टेज पर फंड दिया जाएगा। इसके लिए आवेदक को पंद्रह जून 2018 तक अपने-अपने प्रपोजल सबमिट करने होंगे। यूनाइटेड स्टेट्स-इंडिया साइंस एंड टेक्नोलॉजी फंड की शुरुआत हो गई है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में बायोमेडिकल उपकरण, फूड और न्यूट्रीशन प्रोडक्ट के अलावा कृषि, शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी और पानी पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। इसी क्रम में भारत सरकार जापान की मदद से बेंगलुरु में एक स्टार्टअप हब विकसित करने जा रही है। जापान के वित्त, व्यापार और उद्योग मंत्री हीरोशिगे सेको और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं आइटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद की एक मुलाकात के बाद बताया गया है कि बेंगलुरु में स्टार्टअप हब विकसित करने के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई। इससे प्रधानमंत्री की स्टार्टअप इंडिया स्कीम को प्रोत्साहन मिलेगा।

जमा-जुबानी सुरेश प्रभु के शब्दों में जैसा हाल स्टार्ट अप का बयान किया जा रहा है, वैसा ही देश में नौकरियों की बाढ़ आने को लेकर है। स्‍टॉफिंग फर्म टीमलीज सर्विस की एक रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार को यूनिक्‍यू इंटरप्राइज नबंर, इम्‍पलाई सेलरी च्‍वॉइस, पीपीसी कम्‍पेंट पोर्टल, फैक्‍टरी अमेंडमेंट बिल 2016, स्‍मॉल फैक्‍ट्री एक्‍ट सहित अन्‍य कुछ फैसले ले सके तो सेल्‍स के क्षेत्र में तेजी से नौकरी मिलने का रास्‍ता साफ हो सकता है। कंपनी के को-फाउंडर रितुपर्णा चक्रवर्ती कहना है कि फैसले से तीन साल में एक करोड़ नौकरियां क्रिएट हो सकती हैं। बढ़ता शहरीकरण, मिडिल क्‍लास की बढ़ती संख्‍या, युवाओं की तरफ से बढ़ता खर्च और सरकार के कदम जिनमें जीएसटी शामिल है, ये सब कारण सेल्‍स के क्षेत्र में तीन साल में एक करोड़ नौकरियों का सबब बन सकते हैं।

लेबर कानून में सुधार के बाद ही कंपनियां इसका फायदा उठा सकती हैं। अगर लेबर लॉ में सुधार नहीं किए जाते हैं तो अगले तीन साल में 90 हजार ही नए जॉब क्रियेट हो पाएंगे। खैर नौकरियों की बात छोड़िए, इस बीच उत्तर प्रदेश में स्टार्ट अप को लेकर दावा किया जा रहा है कि लखनऊ स्टार्ट अप का हब बनने जा रहा है। पिछले दिनो यहां देश के शीर्ष पैनलिस्टों ने इस बात पर जोर दिया कि किस तरह प्रदेश सरकार यूपी में स्टार्टअप के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करने के लिए लगातार काम कर रही है। आईटी विभाग के अपर मुख्य सचिव संजीव सरन कहते हैं कि प्रदेश सरकार लखनऊ में देश का सबसे बड़ा इनक्यूबेटर स्थापित करने जा रही है। सरकार ने सिडबी (लघु उद्योग विकास बैंक ऑफ इंडिया) की सहायता से 1000 करोड़ रुपये का स्टार्टअप फंड भी स्थापित किया है। स्टार्टअप के लिए सरकार ढाई सौ करोड़ का बजट में आवंटित कर चुकी है।

सरकार उत्तर प्रदेश के सभी 18 डिवीजनों में स्टार्टअप कार्यशालाएं आयोजित करेगी। नए स्टार्टअप्स के मार्गदर्शन के लिए सौ सलाहकारों का एक पैनल भी बन चुका है। यह सब तो हो चुका है लेकिन यूपी और बिहार के बारे के बाकी काम-काज के बारे में जैसी आम धारणाएं रही हैं, यूपी के स्टार्ट अप के सम्बंध में ये दावे भी कहीं अंततः असफल न साबित हो जाएं क्योंकि मशीनरी तो वही है और युवाओं में भी ज्यादातर बिहार की तरह। जरूरत उन बातों पर ध्यान देने की है, जो सुरेश प्रभु आगाह कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें: लखनऊ के इस युवा इंजीनियर ने ड्रोन के सहारे बचाई नाले में फंसे पिल्ले की जान