ऐसे 'ईज ऑफ डूइंग' बिजनेस में टॉप-50 में पहुंचेगा भारत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि भारत अब टॉप 50 में जगह बनाने से कुछ ही दूर है। उन्होंने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैकिंग में सुधार से लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार आएगा।
'जब हर रोज भ्रष्टाचार, घोटालों की खबरें आ रही हों, अर्थव्यवस्था डांवाडोल हो, फिस्कल डेफिसिट बेकाबू हो, दुनिया भारत से ये कह रही हो कि आप तो डूबेंगे ही, अन्य दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था को भी ले डूबेंगे, तो इस तरह का अविश्वास स्वाभाविक है।'
भारत ने हाल ही में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस यानी कारोबारी सुगमता में लंबी छलांग लगाई है। अब भारत 77वें स्थान पर पहुंच चुका है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि भारत अब टॉप 50 में जगह बनाने से कुछ ही दूर है। उन्होंने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैकिंग में सुधार से लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार आएगा। भारतीय उद्योग जगत के साथ कारोबार सुगमता पर चर्चा के लिये बुलाई गई बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि सरकार के स्तर पर नीतिगत अपंगता का दौर खत्म हो चुका है।
मोदी ने कहा कि सरकार ने नीति आधारित शासन दिया है, जिससे विश्वबैंक की 190 देशों की कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत 142वें से स्थान से ऊपर चढ़कर इस साल 77वें स्थान पर पहुंच गया। उन्होंने कहा, ' 2014 से पहले पॉलिसी पैरालिसिस को स्थिति थी, किसी को उम्मीद नहीं थी कि भारत ईज ऑफ डूइंग बिजनस में टॉप 100 में पहुंच सकता है लेकिन 4 सालों में 180 डिग्री का बदलाव देखा। भारत एशिया में चौथे नंबर पर है, जबकि महज 4 साल पहले यह छठे स्थान पर था। टॉप-50 में पहुंचने में हम सिर्फ थोड़े पीछे हैं। राज्य सरकारों से, हर स्टेक होल्डर से इस रैंक को आगे बढ़ाने के लिए लगातार बातचीत की जा रही है।'
उन्होंने कहा, 'पॉलिसी पैरालिसिस देखी थी, उनके लिए यकीन करना मुश्किल था कि भारत टॉप 100 में भी जगह बना सकता है। मैं ऐसे लोगों की कोई गलती नहीं मानता। जब हर रोज भ्रष्टाचार, घोटालों की खबरें आ रही हों, अर्थव्यवस्था डांवाडोल हो, फिस्कल डेफिसिट बेकाबू हो, दुनिया भारत से ये कह रही हो कि आप तो डूबेंगे ही, अन्य दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था को भी ले डूबेंगे, तो इस तरह का अविश्वास स्वाभाविक है। लेकिन सिर्फ चार साल के भीतर देश में जो 180 ड्रिग्री चेंज आया है, वो आज आप भी देख रहे हैं।'
इन सभी रास्तों में आईं मुश्किलों की बात करते हुए मोदी ने कहा कि ये सारे सुधार, सारे फैसले इतने आसान नहीं थे। तकनीक में बदलाव करना, कानून से लेकर साफ्टवेयर तक बदलना, और कभी-कभी सॉफ्टवेयर बदलना सरल होता है, स्वाभाव बदलना जरा ज्यादा मुश्किल होता है। इन सुधारों के लिए सिस्टम को तैयार करना आसान नहीं था। लेकिन बहुत कम समय में हम ये करने में सफल रहे हैं। अनेक स्तर पर उलझे सिस्टम को आज हम Business और Citizen Friendly बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं।
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