विश्वविद्यालयों का सम्प्रदायबोधक नामकरण क्यों?
यूजीसी ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से सिफारिश की है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नाम से 'मुस्लिम' और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के नाम से 'हिंदू' शब्द हटाया जाए।
पैनल सदस्यों के सुझाव के पीछे यह तर्क है कि एएमयू, केंद्र द्वारा वित्त पोषित होने के कारण सेक्युलर संस्था है। कमेटी ने एएमयू की प्रकृति को 'सामंती' बताया है और कैंपस में गरीब मुस्लिमों को ऊपर उठाने के लिए कदम उठाने की जरूरत बताई है।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर ब्रिटिश राज के समय बनाया गया पहला उच्च शिक्षण संस्थान था। मूलतः यह मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कालेज था। कई प्रमुख मुस्लिम नेताओं, उर्दू लेखकों और उपमहाद्वीप के विद्वानों ने विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।
कहते हैं कि नाम में क्या रखा है, लेकिन समाज चिंतकों, विद्वानों और शोधार्थियों के निष्कर्ष रहे हैं कि नाम अपने आसपास के वातावरण को प्रभावित करता है। वक्त से सबक लेते हुए बेहिचक मान लेना चाहिए कि कुछ गंभीर गलतियां तो हमारे पुरखे भी कर गए हैं। उस समय उनकी विवशता और सोच चाहे जो रही है, अब उनमें से जिन भी गलतियों में सुधार संभव हो, कर लेने में हर्ज नहीं। ऐसी ही गलतियों में शुमार है वाराणसी और अलीगढ़ के दो विश्वविद्यालयों का सम्प्रदायबोधक नामकरण - बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय। अब पुरखों की गलती सुधारने की दिशा में यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) ने स्वागत योग्य पहल की है। यूजीसी ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से सिफारिश की है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नाम से 'मुस्लिम' और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के नाम से 'हिंदू' शब्द हटाया जाए।
आयोग की पांच कमेटियों ने मानव संसाधन मंत्रालय के कहने पर एक जांच की थी। मंत्रालय 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनियमितताओं की शिकायतों की जांच चाहता था। एएमयू ऑडिट में बीएचयू शामिल नहीं था मगर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इसका संदर्भ दिया है। एएमयू से इतर जिन विश्वविद्यालयों का 'शैक्षिक, शोध, वित्तीय और मूलभूत संरचना ऑडिट' कराया गया, उनमें पांडिचेरी यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, उत्तराखंड की हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, झारखंड की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, राजस्थान की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, जम्मू की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, वर्धा का महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, त्रिपुरा की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, मध्य प्रदेश की हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी शामिल हैं।
एएमयू और पुडुचेरी का निरीक्षण करने वाली कमेटी में आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर श्रीपाद करमालकर, महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी के वीसी कैलाश सोदानी, गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मज़हर आसिफ और आईआईएम बेंगलुरु के प्रोफेसर संकर्षण बसु शामिल थे। एएमयू ऑडिट में कमेटी ने सुझाव दिया कि संस्थान को या तो सिर्फ 'अलीगढ़ यूनिवर्सिटी' कहा जाए या फिर इसके संस्थापक, सर सैयद अहमद खान के नाम पर रख दिया जाए। यही वजह बीएचयू का नाम बदलने के लिए भी बताई गई।
पैनल सदस्यों के सुझाव के पीछे यह तर्क है कि एएमयू, केंद्र द्वारा वित्त पोषित होने के कारण सेक्युलर संस्था है। कमेटी ने एएमयू की प्रकृति को 'सामंती' बताया है और कैंपस में गरीब मुस्लिमों को ऊपर उठाने के लिए कदम उठाने की जरूरत बताई है। कमेटी ने संस्था के अल्पसंख्यक दर्जे पर कोई टिप्पणी नहीं की है क्योंकि इससे जुड़ा वाद न्यायालय में चल रहा है। नामों पर धर्म और जाति का प्रभाव भी होता है और वे धर्म या महाकाव्यों से लिये हुए हो सकते हैं। भारत के लोग विविध प्रकार की भाषाएं बोलते हैं और भारत में विश्व के लगभग प्रत्येक प्रमुख धर्म के अनुयायी मौजूद हैं। यह विविधता नामों और नामकरण की शैलियों में सूक्ष्म, अक्सर भ्रामक, अंतर उत्पन्न करती है।
जाति-आधारित भेद-भाव के कारण या जाति के प्रति तटस्थ रहने के लिए कई बार आनुवांशिक नाम रखने का प्रचलन है। पिछले 70 सालों में शोधकर्ताओं ने यह जानने की कोशिश की है कि एक असामान्य नाम होने पर उसका व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। सार्वजनिक संस्थाओं का नाम जाति या समुदाय बोधक हो तो निश्चित ही उसका सामाजिक वातावरण पर गंभीर असर पड़े बिना रहता है। ऐसे में यदि शिक्षण संस्था का ही नामकरण हिंदू और मुस्लिम बोधक हो तो हमारी समरस समाज व्यवस्था में वह कत्तई स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।
यद्यपि देश प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय सभी जाति, पंथ, धर्म या लिंग के छात्रों के लिए है। यह एक आवासीय शैक्षणिक संस्थान है। इसकी स्थापना 1875 में सर सैयद अहमद खान द्वारा की गई थी और 1920 में भारतीय संसद के एक अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर ब्रिटिश राज के समय बनाया गया पहला उच्च शिक्षण संस्थान था। मूलतः यह मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कालेज था। कई प्रमुख मुस्लिम नेताओं, उर्दू लेखकों और उपमहाद्वीप के विद्वानों ने विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा के पारंपरिक और आधुनिक शाखा में 250 से अधिक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं। कई विभागों और स्थापित संस्थानों के साथ यह प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालय दुनिया के सभी कोनों से, विशेष रूप से अफ्रीका, पश्चिमी एशिया और दक्षिणी पूर्व एशिया के छात्रों को आकर्षित करता है। कुछ पाठ्यक्रमों में सार्क और राष्ट्रमंडल देशों के छात्रों के लिए सीटें आरक्षित हैं। इसी तरह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना महामना पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा सन् 1916 में की गई थी। इस विश्वविद्यालय के मूल में डॉ॰ एनी बेसेन्ट द्वारा स्थापित और संचालित सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज की प्रमुख भूमिका थी।
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