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नोबेल का 'मीटू' स्कैंडल: एक और महिला का इस्तीफा!

नोबेल का 'मीटू' स्कैंडल: एक और महिला का इस्तीफा!

Thursday November 08, 2018 , 5 min Read

एक साल पूर्व नोबेल पुरस्कार एकेडमी के चेहरे पर पुती 'मीटू' स्कैंडल की कालिख छंटने की बजाए और गाढ़ी होती जा रही है। गत दिवस एक और महिला जेन स्वेनसन ने एकेडमी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। गौरतलब है कि स्कैंडल के केंद्र में रहे जीन-क्लाउड अरनाल्ट को पिछले दिनो ही दुष्कर्म का दोषी करार दिया है।

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स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम की एक जिला अदालत ने सर्वसम्मिति से 72 वर्षीय अरनाल्ट को साल 2011 में एक महिला से दुष्कर्म का दोषी करार दिया। स्वीडन में दुष्कर्म के मामले में न्यूनतम दो और अधिकतम छह साल की ही सजा होती है। 

पचास साल बाद पिछले दिनो जब फिजिक्स में नोबल पुरस्कार पाने वालों में एक महिला का भी नाम आया तो दुनिया चौंक गई लेकिन गत दिवस साहित्य का नोबेल पुरस्कार देने वाली अकादमी की एक और सदस्य जेन स्वेनसन ने इस अतिप्रतिष्ठित संस्था से इस्तीफा दे दिया तो साहित्य जगत में एक बार फिर से मायूसी पसर गई। संस्था के यौन उत्पीड़न और वित्तीय अपराध मामले में घिरने के बाद अकादमी छोड़ने वाली वह सबसे नई सदस्य एवं अकादमी के अठारह सदस्यीय बोर्ड को छोड़ने या छोड़ने के लिए बाध्य की जाने वाली आठवीं सदस्य हैं।

स्वीडिश ब्रॉडकास्टर एसवीटी की रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर में अकादमी में शामिल होने वाली स्वेनसन ने सोच-विचार के बाद संस्था को छोड़ने की घोषणा की है। कनाडा की डोना स्ट्रिकलैंड नोबेल प्राइज के इतिहास में फिजिक्स में यह सम्मान पाने वाली तीसरी महिला हैं। इससे पहले 1903 में मैरी क्यूरी को रेडिएशन के आविष्कार और इसके साठ साल बाद मारिआ गोएपार्ट मेयर को परमाणु संरचना में नया आयाम जोड़ने के लिए यह सम्मान मिला था। माउरो और स्ट्रिकलैंड की खोज से आंखों के लेजर से इलाज में बड़ी प्रगति हुई है और इससे लाखों लोगों को फायदा पहुंचा है। डोना को इस बात पर हैरानी भी होती है कि आखिर क्यों इतनी कम महिलाओं को यह सम्मान मिला है।

खैर, फिलहाल बात साहित्य की, 'नोबेल' साहित्य पुरस्कार देने वाली एकेडमी के 'मीटू' स्कैंडल का । इस साल नोबेल साहित्य पुरस्कार की घोषणा नहीं होने की वजह बने सेक्स स्कैंडल और वित्तीय अनियमितताओं के केंद्र में रहे फ्रांसीसी नागरिक जीन-क्लाउड अरनाल्ट को अभी पिछले दिनो ही दुष्कर्म का दोषी करार दिया गया है। नोबेल पुरस्कार से जुड़ी स्वीडिश अकादमी की सदस्य कैटरीना फ्रोस्टेनसन के पति जीन-क्लाउड अरनाल्ट को दो साल जेल की सजा सुनाई गई है। इस सेक्स स्कैंडल की वजह से नोबेल पुरस्कार देने वाली स्वीडिश अकादमी की छवि खराब हुई है। पिछले सत्तर वर्षों में पहली बार साहित्य के नोबेल का एलान नहीं किया जा सका।

स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम की एक जिला अदालत ने सर्वसम्मिति से 72 वर्षीय अरनाल्ट को साल 2011 में एक महिला से दुष्कर्म का दोषी करार दिया। स्वीडन में दुष्कर्म के मामले में न्यूनतम दो और अधिकतम छह साल की ही सजा होती है। अभियोजकों ने अरनाल्ट के लिए तीन साल सजा की मांग की थी। अरनाल्ट को हालांकि दुष्कर्म के दूसरे मामले में बरी कर दिया गया क्योंकि पीड़िता ने कहा कि वारदात के वक्त वह नींद में थी। इस पर जजों ने कहा कि उसका बयान विश्वसनीय नहीं लगता। स्वीडिश अकादमी पिछले साल नवंबर में उस समय विवादों में घिर गई थी जब स्वीडन के एक अखबार ने 18 महिलाओं के बयान प्रकाशित किए थे। इन महिलाओं ने अरनाल्ट पर दुष्कर्म और यौन शोषण के आरोप लगाए थे।

जाने-माने फोटोग्राफर अरनाल्ट पर यह संदेह भी है कि उन्होंने 1996 की शुरुआत में एक सदी पुरानी स्वीडिश अकादमी के नियमों का उल्लंघन कर प्रतिष्ठित पुरस्कार के विजेताओं के नाम लीक किए थे। यह हालांकि साफ नहीं है कि इस मामले में जांच हुई या नहीं। अरनाल्ट पर आरोप लगने के बाद 18 सदस्यीय अकादमी में मतभेद खुलकर सामने आ गए। इसके चलते अकादमी की स्थायी सचिव सारा डेनियस समेत छह सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अरनाल्ट की पत्नी कैटरीना फ्रोस्टेनसन ने भी पद छोड़ दिया। कवयित्री कैटरीना को साल 1992 में अकादमी का सदस्य बनाया गया था। उन पर भी इस साल भ्रष्टाचार और पति के संस्कृति केंद्र को सब्सिडी देने के आरोप लगे हैं। फिलहाल, नोबल पुरस्कार की गरिमा को बनाए रखने के प्रयास जारी हैं और इसी को देखते हुए नोबल फाउण्डेशन ने स्वीडिश अकादमी को साहित्य के नोबल पुरस्कार चयन के अधिकार को छीनने जैसे कठोर कदम उठाने की चेतावनी देते हुए समय रहते ठोस कदम उठाने के संकेत दिए हैं। स्वीडिश अकादमी ने भी सुधार की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।

एक वर्ष पूर्व जब स्वीडिश अकादमी की चयन समिति के एक सदस्य के पति के खिलाफ मीटू अभियान के चलते स्वीडिश राजकुमारी विक्टोरिया समेत 18 महिलाओें ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी, विश्व साहित्य के चेहरे से आज तक वह मायूसी छंटी नहीं है। अब 18 सदस्यों वाली अकादमी में केवल 10 सदस्य बचे हैं। सदस्यों को हटाने और नए सदस्य शामिल करने की प्रक्रिया जारी है। अकादमी ने अपने नियमों में बदलाव, नए सदस्यों को शामिल करने, दागी सदस्यों को हटाना शुरू किया है पर नोबल फाउंडेशन के प्रमुख लार्स हिकिंस्टन इसे अपर्याप्त ठहराते हुए अभी और सुधार और लोगों का भरोसा जीतने की आवश्यकता महसूस करते हैं। नोबल पुरस्कारों की अपनी प्रतिष्ठा है। ऐसे में इस तरह के सेक्स स्कैण्डल और वित्तीय अनियमितता के आरोपों का उजागर होना अपने आप में बहुत गंभीर मामला माना जा रहा है।

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