डॉ. हरिओम की कहानी: सपना देखा था सिंगर बनने का मगर बन गए आईएएस
यूपी के सीनियर आईएएस डॉ हरिओम तमाम जिलो के डीएम ही नहीं रहे हैं, वह कवि-कथाकार, ग़ज़ल गायक के रूप में भी देश-दुनिया में मशहूर हैं। उन्हें देश-विदेश के तमाम प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। डॉ हरिओम वही आईएएस हैं, जिन्होंने कभी मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ को जेल भेजा था।
उन्होंने तो इलाहाबाद में ही आईएएस बनने का सपना देख लिया था था, आखिरी वर्ष 1997 में आईएएस में सेलेक्शन हो गया। बाद में उन्होंने हिंदी में ही पीएचडी भी कर डाली। जेएनयू में ही उनकी लाइफ पार्टनर मालविका बनीं, जो उनकी क्लासमेट थीं।
देश की प्रशासनिक सेवाओं में तमाम नाम ऐसे हैं, जो अपनी शासकीय प्रतिभा ही नहीं, कलात्मक अभिरुचियों के नाते भी एक अतिविशिष्ट पहचान के हकदार हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश के एक ऐसे ही प्रशासक हैं आईएएस डॉ हरिओम। वह बताते हैं - 'पिता कहते थे, मेहनत करते रहो, कलेक्टर बन जाओगे लेकिन बारहवीं क्लास तक तो उनको आईएएस-वाईएएस की कोई हवा ही नहीं थी।' ये वही आईएएस डॉ. हरिओम हैं, जिन्होंने कभी गोरखपुर में डीएम रहते हुए कानून का उल्लंघन करने पर वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जेल पहुंचा दिया था। इसकी कीमत उन्हें एक दशक बाद अप्रैल 2017 में चुकानी पड़ी। सीएम बनते ही सीएम योगी ने उन्हे प्रतीक्षा सूची में डाल दिया। हुआ क्या था कि जनवरी 2007 में गोरखपुर में सांप्रदायिक तनाव के दौरान वहां के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने धरने का ऐलान कर दिया था।
पूरे शहर में कर्फ्यू लगे होने की वजह से डीएम डॉ. हरिओम ने उन्हें गोरखपुर में घुसने से पहले ही रोक दिया लेकिन सांसद योगी अपनी जिद पर अड़ गए तो प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। यद्यपि डीएम डॉ. हरिओम गिरफ्तार न कर सर्किट हाउस में रखने के पक्ष में थे। तब सांसद योगी ने स्वयं दवाब बनाया कि उन्हें जेल भेजा जाए। उसके बाद सांसद योगी 11 दिनों तक जिला कारागार में कैद रहे। योगी जब जेल से छूटे तो लोगों के सामने रो-रोकर कहने लगे कि जनता के लिए संघर्ष करने पर प्रशासन ने उन्हें जेल भेज दिया। उधर डॉ. हरिओम इसी आरोप में सस्पेंड कर दिए गए। रातोरात सीतापुर के डीएम राकेश गोयल ने हेलिकॉप्टर से गोरखपुर पहुंचकर उनका चार्ज ले लिया। मजेदार बात तो ये रही कि एक सप्ताह में ही डॉ. हरिओम पुनः गोरखपुर के डीएम बना दिए गए।
आईएएस डॉ. हरिओम वस्तुतः मन से कलाकार, लेखक, सुरीले गायक लेकिन विवेक से प्रशानिक अधिकारी हैं। उनका जन्म अमेठी (उ.प्र.) के गांव कटारी में हुआ है। बारहवीं कक्षा तक उनकी पढ़ाई-लिखाई गांव के आसपास के सरकारी स्कूलों में हुई। हरिओम पढ़ाकू थे। अपनी हर क्लास में टॉपर, हर बार फर्स्ट। स्कूल के मास्टर भी उनकी खूब तारीफ किया करते। इसके बाद बीए करने के लिए 1989 में इलाहाबाद पहुंच गए। संयोग से अमरनाथ झा हॉस्टल में रह रहे पढ़ाकू छात्रों को साथ उन्हे रहने का कमरा मिल गया। वे सभी छात्र हर वक्त आईएएस बनने के सपने देखा करते। उन दिनो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्र राजनीति का अड्डा थी लेकिन डॉ हरिओम सम्मेलन, डिबेट्स में रुचि लिया करते। कभी कभार छात्रों के दबाव में झंडा-बैनर लेकर भी निकल पड़ते। इलाहाबाद से वह 1992 में पढ़ने के लिए जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) दिल्ली पहुंच गए, जहां 1997 तक पांच साल रहकर हिंदी लिटरेचर में एमए-एमफिल किया।
उन्होंने तो इलाहाबाद में ही आईएएस बनने का सपना देख लिया था था, आखिरी वर्ष 1997 में आईएएस में सेलेक्शन हो गया। बाद में उन्होंने हिंदी में ही पीएचडी भी कर डाली। जेएनयू में ही उनकी लाइफ पार्टनर मालविका बनीं, जो उनकी क्लासमेट थीं। उनको भी लोकगीत काने का शौक था, सो गायन कला ने दोनों को एक-दूसरे के नजदीक आने का अवसर दिया। आईएएस की ट्रेनिंग के बाद एसडीएम के पद पर उनकी पहली पोस्टिंग रुद्र प्रयाग (उत्तराखंड) में हुई। तब यह प्रदेश यूपी का हिस्सा हुआ करता था। इसके बाद वह वर्ष 2002 में (इलाहाबाद के निकट) कौशांबी के डीएम तैनात हुए। इसके बाद वह इलाहाबाद, कानपुर, मुरादाबाद, सहारनपुर, मिर्जापुर, फतेहपुर, गोरखपुर आदि के डीएम रहे।
डॉ हरिओम के दिलोदिमाग पर बचपन से ही गाने-गुनगुनाने का नशा छाने लगा था, जब उनके गांव में लोक संगीत, नाटक-नौटंकी, कव्वाली, मंदिरों में भजन-कीर्तन होता था। इसके साथ ही वह फिल्मी गाने गुनगुनाते रहते। यह टैलेंट उस समय सामने आया, जब उन्हें लोग मंचों के लिए पकड़-पकड़कर ले जाने लगे। गायन में उनका जलवा खास मौकों पर स्कूल में भी बिखरने लगा। वह शौक इलाहाबाद, जेएनयू तक जारी रहा। वह सांस्कृतिक कार्यक्रमों में फिल्मी गाने गाते रहे। धीरे-धीरे उन्हे ग़ज़लें गाने का शौक हो गया। उस वक्त गुलाम अली साहब, फिल्म निकाह, पाकिस्तानी हिरोइन सल्मा आगा, मेंहदी हसन, जगजीत सिंह उनके मन पर छाते चले गए। आईएएस बन जाने से आज तक वह सुर-सरिता में गोते लगाते आ रहे हैं।
वर्ष 2006 में, जब वह गोरखपुर के डीएम थे, उनका 'रंग पैराहन' नाम से पहला म्यूजिक एल्बम भी आ गया। इसके बाद वर्ष 2011 में दूसरा एल्बम 'इंतिसाब', 2015 में कानपुर के डीएम रहते तीसरा एल्बम आया 'रौशनी के पंख'। इसके बाद 'रंग का दरिया' नाम से चौथा एल्बम भी इसी साल जनवरी में रिलीज हो चुका है। हरिओम ग़ज़ल गायक के साथ-साथ कवि और कहानीकार भी हैं। हाल के वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक संस्थान (द हेग, नीदरलैंड) से ‘रीथिंकिंग द रोल ऑफ़ इन्फार्मेशन एजुकेशन एंड कम्युनिकेशन इन पार्टिसिपेटरी रूरल सैनिटेशन इन उत्तर प्रदेश : असेसिंग पॉसिबल पॉलिसी लेसंस फ्रॉम बांग्लादेश’ विषयक शोध कार्य यूनीसेफ (उत्तर प्रदेश इकाई) और जर्मन के ग्लोब एडिट प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है।
उनके ‘धूप का परचम’ और ‘ख़्वाबों की हँसी’ दो ग़ज़ल संग्रह, ‘अमरीका मेरी जान’ नाम से एक कहानी संग्रह और ‘कपास के अगले मौसम में’ कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनका एक और कहानी संग्रह है ‘तितलियों का शोर’। वह अब तक श्रेया घोषाल, कैलाश खेर जैसे बड़े बॉलीवुड कलाकारों के साथ मंच साझा कर चुके हैं। नीदरलैंड, लन्दन,, दुबई आदि में अनेक लाइव म्यूजिक कार्यक्रम अटेंड कर चुके हैं। उनको अपनी साहित्यिक-सांस्कृतिक उपलब्धियों के लिए फ़िराक़ सम्मान, राजभाषा अवार्ड, तुलसी श्री सम्मान, अंतरराष्ट्रीय वातायन पुरस्कार (लन्दन), कुवैत हिंदी-उर्दू सोसायटी की ओर से ‘साहित्य श्री’ अवार्ड मिल चुका है।
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