बेरोजगारी का दंश झेल रहे मणिपुर में लोगों को अपने हुनर में यकीन करना सिखा रहे हैं थांगजाम जॉयकुमार
आतंकवाद से ग्रस्त मणिपुर में बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवाओं के लिए उम्मीद की किरण हैं जॉयकुमार...
एक राज्य, जो पिछले पांच दशकों से आतंकवाद से ग्रस्त है, वहां 500 से ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाली एक निजी क्षेत्र की फर्म ने महान मिसाल कायम की है। कंपनी की ये उपलब्धि तब और बड़ी हो जाती है, जब हमें पता चलता है कि 2011 की गणना के मुताबिक इस राज्य में 7,54,000 शिक्षित और बेरोजगार युवक हैं। इस पूरा श्रेय जाता है थांगजाम जॉयकुमार को...
इस कंपनी का नाम है थंगजम एग्रो इंडस्ट्रीज और वो राज्य है मणिपुर। इस कंपनी के कर्ता धर्ता थांगजाम जॉयकुमार, जिन्होंने 1985 में इम्फाल में सिर्फ चार कर्मचारियों के साथ अपना कारोबार शुरू किया था। आज उनकी कंपनी 15 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार करते हुए तेजी से आगे बढ़ रही है।
जॉयकुमार युवाओं को बाहर आने और अपने सपनों को समझने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और कहते हैं, मणिपुर इच्छुक उद्यमियों के लिए एक संभावनों भरी भूमि है, यकीन मानिए यहां बहुत गुंजाइश हैं।
एक राज्य, जो पिछले पांच दशकों से आतंकवाद से ग्रस्त है, वहां 500 से ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाली एक निजी क्षेत्र की फर्म के लिए एक महान मिसाल कायम की है। कंपनी की ये उपलब्धि तब और बड़ी हो जाती है, जब हमें पता चलता है कि 2011 की गणना के मुताबिक इस राज्य में 7,54,000 शिक्षित और बेरोजगार युवक हैं। इस कंपनी का नाम है थंगजम एग्रो इंडस्ट्रीज और वो राज्य है मणिपुर। इस कंपनी के कर्ता धर्ता थांगजाम जॉयकुमार, जिन्होंने 1985 में इम्फाल में सिर्फ चार कर्मचारियों के साथ अपना कारोबार शुरू किया था। आज उनकी कंपनी 15 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार करते हुए तेजी से आगे बढ़ रही है। थंगजाम एग्रो इंडस्ट्रीज ने अनानास का रस निकालकर बेचने के काम से अपनी कंपनी शुरू की थी।
पर्याप्त नौकरियां बनाने में असफल राज्य मणिपुर से अधिकांश युवा भारत में और विदेशों में कहीं और रोजगार के लिए भटकते हैं। हालांकि, मणिपुर में बदलते समय और जागरूकता के साथ उद्यमिता के प्रति झुकाव वाले कुछ दूरदर्शी व्यक्तियों ने बदलाव लाने में सफलता पाई है। थांगजाम जॉयकुमार इस फेहरिस्त में एक बड़ा नाम हैं। थांगजेम एग्रो को एक लघु उद्योग के रूप में स्थापित करने की यात्रा 1991 में शुरू हुई थी, जब थांगजाम जॉयकुमार को अनानास की विक्रय क्षमता का एहसास हुआ। गौरतलब है अनानास मणिपुर भर में एक व्यापक रूप से उपलब्ध फल के रूप में जाना जाता है। वास्तव में, मणिपुर देश में अनानास का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। दूरदर्शी उद्यमी थांगजाम ने इम्फाल के चिंगमिरॉन्ग में अपना उपक्रम शुरू किया, जहां उन्होंने और उनके चार कर्मचारी अनानास से रस निकालने और पैकेजिंग शुरू करने लगे। सबसे पहले जॉयकुमार अपने आंगन से अनानास रस बेचकर ही अनौपचारिक रूप से खुद को बेचते थे। फिर उन्होंने इसे एक औपचारिक व्यापार में बदलने का फैसला किया।
शून्य से शिखर तक का सफर
उन्होंने मणिपुर औद्योगिक विकास निगम से 5 लाख रुपए और इम्फाल शहरी सहकारी बैंक से 1.5 लाख रुपये ऋण लेकर अपना व्यवसाय बड़ा करना शुरू किया। करीब 10 लाख के कुल निवेश के साथ जॉयकुमार ने कारोबार शुरू कर दिया। जिसके बाद लगभग 4 लाख रुपये का सालाना कारोबार हुआ। जॉयकुमार के मुताबिक, 'पहले चार या पांच साल के लिए कारोबार में काफी गति नहीं थी। उन दिनों मैं एक जीप चलाता था और शहर के चारों ओर बिक्री के लिए जूस उत्पादों को लेकर और दूर-दराज के क्षेत्रों को खुद करता था।'
सफलता के रथ पर सवार जॉयकुमार ने जल्द ही अपना खुद का ब्रांड लिकला मार्केट में उतार दिया। जिसमें फलों का रस और अन्य पेय पदार्थों के अलावा पैक किए गए पेयजल और बेकरी वस्तुओं की पेशकश की गई। लिकला का मतलब होता है, ओस की बूंदें। लिकला का दावा है कि मणिपुर के पैकेज वाले पानी और फलों का जूस बाजार में सबसे बड़ा हिस्सा होगा। जॉयकुमार अब 1,000 टन से अधिक प्रसंस्कृत खाद्य और पेय उत्पादों का सालाना उत्पादन करते हैं, जिसमें बोतलबंद अनानास रस भी शामिल है। साथ ही थांगजम एग्रो इंडस्ट्रीज हर साल केरल में 10 टन अनानास के रस का निर्यात करता है।
लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं थांगजाम
यह उद्योग एक साल में कम से कम 300 दिनों तक काम करता है। यहां के स्टाफ तीन पाली में 12 घंटे काम करते हैं। और मिस्टर जॉयकुमार जो खुद एक कामयाब उद्यमी बन चुके हैं वो भी नॉनस्टॉप काम करते हैं। 2010 में उन्होंने बड़े पैमाने पर विस्तार परियोजना के माध्यम से कंपनी का संचालन किया। जिसे बैंक ऑफ बड़ौदा, इंफाल द्वारा वित्त पोषित किया गया। जॉयकुमार के मुताबिक, हमने इंफाल से 7 किमी दूर नीलाकुथी फूड पार्क परिसर में एक विनिर्माण संयंत्र की स्थापना की। शुरुआत में कठिनाइयों और बाधाओं के कई अवरोध आए लेकिन सब एक एक करके दूर हो गए।
आज की तारीख में थंगजम एग्रो इंडस्ट्रीज प्रति वर्ष लगभग 1,000 टन संसाधित भोजन और पेय का उत्पादन करता है। जॉयकुमार मणिपुर के बढ़ते औद्योगिक क्षेत्र को देखकर खुश हैं। आज यहां का युवा स्थानीय रूप से निर्मित उत्पादों के साथ विभिन्न आयातित उत्पादों का विकल्प चुन सकता है। जॉयकुमार के मुताबिक, एक समय पर पैक किए गए पेयजल आयातित वस्तुओं की सूची के शीर्ष पर था लेकिन अब लगभग सभी राज्यों के उत्पादन के साथ प्रतिस्थापित किया गया है।
थंगजम एग्रो इंडस्ट्रीज में 98 फीसदी कर्मचारी स्थानीय हैं। जिनमें तकनीशियन और मशीन ऑपरेटर शामिल हैं। और 70 फीसदी कर्मचारी महिलाएं हैं। जॉयकुमार ताकतवर मणिपुरी महिलाओं की काबिलियत देखकर अक्सर विस्मित हो जाते हैं। जॉयकुमार अब संयंत्र के परिसर में एक बाल देखभाल केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहे हैं ताकि विवाहित महिलाओं के कर्मचारी अपने बच्चों को ला सकें, जहां पर प्रशिक्षित नर्सें बच्चों का ध्यान रखेगीं। जॉयकुमार युवाओं को बाहर आने और अपने सपनों को समझने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और कहते हैं,मणिपुर इच्छुक उद्यमियों के लिए एक संभावनों भरी भूमि है, यकीन मानिए यहां बहुत गुंजाइश हैं।
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