SEBI को आ रही साजिश की बू, दर्जनों शॉर्ट सेलर्स रडार पर, गौतम अडानी की भी हो रही जांच
अडानी ग्रुप को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की वजह से 120 अरब डॉलर से भी अधिक का नुकसान हुआ है. अब सेबी के रडार पर करीब दर्ज भर शॉर्ट सेलर्स हैं. शक हो रहा है कि क्या इस रिपोर्ट के आने से पहले ही कुछ शॉर्ट सेलर्स को इसकी भनक लग गई थी?
पिछले कई हफ्तों से भारतीय शेयर बाजार (Share Market) में हलचल मची हुई है. इसकी वजह हैं देश के दिग्गज अरबपति गौतम अडानी (Gautam Adani), जिन पर अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg Research) ने गंभीर आरोप लगाए हैं. उसके बाद से अब तक गौतम अडानी ग्रुप के शेयरों में 50-70 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली है. अडानी ग्रुप को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की वजह से 120 अरब डॉलर से भी अधिक का नुकसान हुआ है. वहीं हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी करने से पहले अडानी ग्रुप (Adani Group) के कई शेयरों में शॉर्ट पोजीशन ले ली थी, यानी शॉर्ट सेलिंग (Short Selling) की थी. सवाल ये उठता है कि आखिर हिंडनबर्ग ने शॉर्ट सेलिंग कैसे की होगी? सवाल ये भी है कि क्या सिर्फ हिंडनबर्ग ने ही शेयर शॉर्ट सेल किए या फिर और भी कोई इसमें शामिल है. इसी सवाल का जवाब देने की कोशिश की है बिजनेस स्टैंडर्ड ने, जिसने सेबी के सूत्रों के हवाले से बड़ा खुलासा किया है.
दर्जन भर शॉर्ट सेलर्स पर है सेबी की नजर
शेयर बाजार नियामक सेबी के कुछ सूत्रों से बिजनेस स्टैंडर्ड को पता चला है कि सेबी करीब दर्जन भर शॉर्ट सेलर्स पर नजर रखे हुए है. यह शॉर्ट सेलर ना सिर्फ विदेशों के हैं, बल्कि देश के अंदर के भी हैं. पता चला है कि सेबी की तरफ से अडानी-हिंडनबर्ग मामले की शुरुआत होने से पहले से ही इन शॉर्ट सेलर्स को रीव्यू करने का काम शुरू हो गया था. सेबी की तरफ से इन एंटिटी के ट्रेडिंग पैटर्न और उनके डेटा की जांच की जा रही है, ताकि ये पता किया जा सके कि उन्होंने कोई गड़बड़ तो नहीं की है.
इन शॉर्ट सेलर्स ने कमाए 30 हजार करोड़ रुपये
खबर है कि अडानी-हिंडनबर्ग मामले के बाद से इन सभी एंटिटी ने शॉर्ट सेलिंग के जरिए करीब 30 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है. सूत्रों से ये भी पता चला है कि सेबी इस बात की भी जांच कर रहा है कि उनके फंड का सोर्स क्या है. साथ ही उनके रेगुलेटरी डिस्क्लोजर पर भी सेबी की नजर है. सेबी ने पाया था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने से पहले ही अडानी ग्रुप के कई शेयर दबाव में देखे जा रहे थे. रिपोर्ट से पहले ही दिखने लगा था कि ग्लोबल बॉन्ड मार्केट में कमजोरी आ रही थी. रेगुलेटर इस बात की जांच कर रहा है कि क्या इस रिपोर्ट के पब्लिश होने से पहले ही इन दर्जन भर एंटिटी को रिपोर्ट की भनक तो नहीं लग गई थी. भारत के सिक्योरिटीज कानून के अनुसार किसी भी इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर को अपनी शॉर्ट पोजीशन डिक्लेयर करनी होती है. विदेशी निवेशकों पर भी यह नियम लागू होता है.
अडानी ग्रुप की भी हो रही है जांच
सेबी यह भी जांच कर रहा है कि क्या अडानी ग्रुप ने शेयरों की कीमत को मैनिपुलेट करने की कोशिश की है या फिर विदेशी टैक्स हैवेन देशों का इस्तेमाल किया है. ये भी जांच हो रही है कि क्या कोई रेगुलेटरी लैप्स है. साथ ही सेबी इस बात की भी जांच कर रही है कि पिछले कुछ सालों में जिस तरह अडानी ग्रुप के शेयरों में तेजी देखी गई, उसकी क्या वजहें रहीं. अडानी ग्रुप की स्टॉक मार्केट प्रैक्टिस का रिव्यू सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद हो रहा है, जिसमें अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों की जांच की बात कही गई थी. ये जांच की जा रही है कि क्या पब्लिक शेयर होल्डिंग के नियमों का अडानी ग्रुप ने उल्लंघन किया है या फिर क्या उसने शेयरों की कीमतों को मैनिपुलेट किया है. इसके अलावा इस मामले में एक पूर्व जज की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई गई है, जो ये जांच कर रही है हिंडनबर्ग रिपोर्ट की वजह से निवेशकों का जो पैसा डूबा है उसके लिए रेगुलटेरी भी तो जिम्मेदार नहीं है.