"LIC की बड़ी भूमिका है, यह सिर्फ विनिवेश के मामलों में उबारने वाली कंपनी नहीं है"
पीटीआई
वित्त मंत्री अरण जेटली ने चालू वित्त वर्ष के लिए तय 69,000 करोड़ रपए के विनिवेश का महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करने के प्रति भरोसा जताते हुएकहा कि सरकार तेजी से आगे बढ़ी है और इस मुद्दे पर पर होटलों की रणनीतिक बिक्री समेत सारे विकल्प खुले हैं।
उन्होंने ऐसे संकेतों को खारिज किया कि भारतीय जीवन बीमा निगम :एलआईसी: ही ऐसी कंपनी है जो विनिवेश के मामले में सरकार को उबार रही है और कहा कि सरकारी बीमा कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र में वैसे ही निवेश करती है जैसे निजी क्षेत्र की सार्वजनिक पेशकशों में।
जेटली ने सिंगापुर और हांगकांग की चार दिवसीय की यात्रा के आखिरी दिन यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने इस साल के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। चालू वित्त वर्ष के और चार महीने बचे हैं।’’ यह पूछने पर कि क्या बाजार के हालात विनिवेश की पहल को प्रभावित कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि ‘‘पिछले दो महीनों में हम तेजी से आगे बढ़े हैं लेकिन बाजार में कुछ उतार-चढ़ाव रहा है।’’ जेटली ने कहा ‘‘क्या आप ऐसे समय में बाजार में प्रवेश करते हैं जब यह अविश्वसनीय दौर में है या फिर आप चाहते हैं कि यह स्थिर हो? दरअसल इंडियन आयल का विनिवेश उस दिन हुआ जिस दिन चीन में अवमूल्यन के बाद बाजार बुरी तरह लुढ़का।’’ विनिवेश के मामले में राहत देने के लिए एलआईसी के इस्तेमाल के संबंध में पूछने गए सवालों पर मंत्री ने कहा ‘‘एलआईसी भारतीय शेयर बाजार की सबसे प्रमुख कंपनी है इसलिए किसी भी सार्वजनिक पेशकश में इसे प्रमुखता मिलेगी।’’
जेटली ने कहा ‘‘एलआईसी सिर्फ ऐसी संस्था नहीं है जो सरकार को विनिवेश के मामले में उबारती है। निजी कंपनियों की पेशकशों में भी एलआईसी हिस्सा लेती है। निजी कंपनियों के मामले में भी एलआईसी भाग लेती है। वह निवेश के तौर पर शेयर जमा करती है और उचित समय पर बेचती है।’’ यह पूछने पर कि क्या सरकार ने रणनीति बिक्री का विकल्प खुला रखा है, जेटली ने कहा ‘‘मैंने बजट में कहा है कि रणनीति विनिवेश हमारे एजेंडे में है। विनिवेश विभाग कुछ प्रस्तावों पर विचार कर रहा है जिनमें विशेष तौर पर होटल शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा ‘‘हम होटलों पर विचार कर रहे हैं। सारे रास्ते खुले हैं। हम इस पर विचार कर रहे हैं कि नुकसान में चल रही कंपनियों का क्या किया जा सकता है।’’ वाह्य वाणिज्यिक रिण :ईसीबी: के जरिए वित्तपोषण से जुड़ी समस्या के बारे में पूछे गए सवाल पर जेटली ने कहा ‘‘यदि कोई मुश्किल है तो हम पूंजी बाजार सुधार के जरिए उन पर विचार करेंगे। यह क्षेत्र विशेष से जुड़ा मुद्दा है और मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा। लेकिन ईसीबी निश्चित तौर पर हमारे लिए वित्तपोषण का स्रोत है। यदि कोई दिक्कत होती है हमारा पूंजी बाजार विभाग इस पर विचार करेगा।’’ यह पूछने पर कि उन्हें मुख्य नीतिगत दर के संबंध में आरबीआई से क्या उम्मीद है, जेटली ने कहा ‘‘इसे आरबीआई पर छोड़ दें।’’ नयी मौद्रिक नीति समिति :एमपीसी: के जरिए आरबीआई के क्षेत्राधिकार में कमी के संबंध में उन्होंने कहा ‘‘फिलहाल आरबीआई फैसला करता है और जब एमपीसी आएगी तो वह फैसला करेगी। अभी यह पता नहीं कि इसका स्वरूप कैसा होगा। मैं इतना ही कह सकता हूं कि इस दिशा में काफी प्रगति हुई है और सरकार तथा आरबीआई का विचार एक जैसा है।’’ यह पूछने पर कि जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं बदला, जेटली ने कहा कि वह इससे इत्तफाक नहीं रखते।