क्रेडिट कार्ड से घर का किराया देने वालों के लिए बुरी खबर, कंपनियों ने शुरू की सख्ती
पिछले कुछ सालों में कई फिनटेक कंपनियों और प्राइवेट मैनेजमेंट सर्विस स्टार्टअप्स ने कस्टमर्स को चेक या नेटबैंकिंग जैसे पारंपरिक तरीके से हटकर किराएदारों को मकान मालिकों का रेंट क्रेडिट कार्ड के माध्यम से पेमेंट का विकल्प दिया है.
क्रेडिट कार्ड से घर का किराया देने वालों के लिए बुरी खबर है. अब क्रेडिट कार्ड से घर का किराया देना कोई आकर्षक विकल्प नहीं रह जाएगा. इसका कारण है कि क्रेडिट कार्ड से किराया देने वाले उसका दुरुपयोग करने लगे हैं. क्रेडिट कार्ड से घर का किराया देने में दुरुपयोग को देखते हुए क्रेडिट कार्ड कंपनियों ने ऐसे ट्रांजैक्शनों पर पाबंदी लगाने की शुरुआत कर दी है.
पिछले कुछ सालों में कई फिनटेक कंपनियों और प्राइवेट मैनेजमेंट सर्विस स्टार्टअप्स ने कस्टमर्स को चेक या नेटबैंकिंग जैसे पारंपरिक तरीके से हटकर किराएदारों को मकान मालिकों का रेंट क्रेडिट कार्ड के माध्यम से पेमेंट का विकल्प दिया है. इनमें से कुछ ने ऐसे ट्रांजैक्शंस पर कैशबैक के भी विकल्प देने शुरू कर दिए.
इन बैंकों ने लगाया चार्ज
20 अक्टूबर से ICICI बैंक कार्डहोल्डर्स को किराए पर 1 फीसदी चार्ज देना होगा. वहीं, 15 नवंबर से एसबीआई कार्ड 99 रुपये का प्रोसेसिंग फीस (टैक्स के अलावा) लगाएगा. HDFC बैंक ने किराए के पेमेंट पर रिवार्ड पॉइंट्स को 500 पॉइंट्स पर सीमित कर दिया है. यस बैंक ने रेंट पेमेंट को एक महीने में दो बार तक सीमित कर दिया है.
हालांकि, अभी तक कार्ड जारी करने वाली कंपनियों ने कार्डहोल्डर्स से फीस चार्ज करने या ट्रांजैक्शन की लिमिट तय करने को लेकर कोई कारण नहीं बताया है.
क्रेडिट कार्ड से रेंट पेमेंट के दुरुपयोग के मामले आ रहे सामने
एक बैंकर ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि प्रतिबंध इस लिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि हो सकता है कि ये पेमेंट्स असली नहीं होते हों. बैंकर ने कहा कि लोग इन सेवाओं का इस्तेमाल मकान मालिक के बजाय दोस्तों और परिवार के सदस्यों को पैसे ट्रांसफर करने के लिए कर रहे हैं क्योंकि मकान मालिक के वेरिफेशन का कोई सबूत नहीं है.
रेंट पेमेंट्स की राशि बड़ी होने के कारण कार्डहोल्डर्स को न केवल ज्यादा संख्या रिवार्ड पॉइंट्स मिलते हैं बल्कि इससे वे अपनी सालाना लीमिट को भी पूरा कर लेते हैं और इससे उन्हें क्रेडिट कार्ड रिन्यूबल फीस पर छूट मिलती है.
इंडस्ट्री के एक सदस्य ने कहा कि बैंक क्रेडिट कार्ड से कैश निकालने पर फीस लेते हैं लेकिन अब वे देख रहे हैं कि कस्टमर्स रेंट पेमेंट सेवाओं में खामियों का इस्तेमाल करके वर्चुअली कैश निकाल रहे हैं.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेंट पेमेंटंस की सुविधा मुहैया कराने वाले प्लेटफॉर्म्स सुविधा शुल्क भी लगाते हैं लेकिन यह क्रेडिट कार्ड से एटीएम के माध्यम से पैसे निकालने से भी सस्ता है.
उनका कहना है कि अगर पेमेंट कंपनियां मकान मालिकों को KYC (अपने कस्टमर को जानिए) के माध्यम से मर्चेंट के रूप में दर्ज कर लेती हैं तो कार्ड जारी करने वाले प्लेटफॉर्म्स को समस्या नहीं होगी.
महंगे इलाज का दंश देख 1.5 लाख का कर्ज लेकर लॉन्च किया ऐप; आज 51 करोड़ की है कंपनी
Edited by Vishal Jaiswal