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इन स्टार्टअप्स ने उठाया जिम्मा, देश में नहीं होने देंगे पीने के पानी का संकट

नए प्रयोगों से बदल रहे हालात

इन स्टार्टअप्स ने उठाया जिम्मा, देश में नहीं होने देंगे पीने के पानी का संकट

Thursday September 20, 2018 , 7 min Read

करीबन 16 करोड़ भारतीय पीने के पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2001 से 2011 के बच प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता बेहद तेज़ी से गिरी और 1.8 मिलियन लीटर से गिरकर 1.5 लीटर पहुंच गई।

स्वजल वॉटर एटीएम

स्वजल वॉटर एटीएम


एक सकारात्मक पहलू यह है कि सिर्फ़ सरकार ही नहीं बल्कि कई बड़े उद्योगपतियों ने भी इस परिस्थिति को संज्ञान में लिया और देश को इस बड़ी चुनौती से उबारने के लिए कई आधुनिक तकनीकी उत्पाद और सुविधाएं लॉन्च कीं। 

शुद्ध पेयजल की उपलब्धता के मामले में भारत अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है। वॉटर ऐड की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत पेयजल की उपलब्धता के संदर्भ में सबसे अधिक पिछड़ा हुआ है और करीबन 16 करोड़ भारतीय पीने के पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2001 से 2011 के बच प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता बेहद तेज़ी से गिरी और 1.8 मिलियन लीटर से गिरकर 1.5 लीटर पहुंच गई। इतना ही नहीं, पीने के पानी का स्तर अभी भी तेज़ी से नीचे जा रहा है और ऐसे में सरकार को आशंका है कि 2025 और 2050 तक प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता घटकर क्रमशः 1.3 मिलियन लीटर और 1.1 लीटर पहुंच जाएगी।

एक सकारात्मक पहलू यह है कि सिर्फ़ सरकार ही नहीं बल्कि कई बड़े उद्योगपतियों ने भी इस परिस्थिति को संज्ञान में लिया और देश को इस बड़ी चुनौती से उबारने के लिए कई आधुनिक तकनीकी उत्पाद और सुविधाएं लॉन्च कीं। आईओटी (इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स) से लेकर सोलर पावर तक, योर स्टोरी ने 6 प्रमुख स्टार्टअप्स की लिस्ट तैयार की है, जो तकनीक का सहारा लेते हुए आम जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।

उरावु

2017 में हैदराबाद के रहने वाले स्वप्निल श्रीवास्तव, संदीप नुटक्की और वेंकटेशन आर ने सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली एक डिवाइस विकसित की। यह डिवाइस हीड्रोस्कोपिक मटीरियल की मदद से भाप को इकट्ठा करती है। इस डिवाइस में रात के समय पानी को एकत्रित किया जाता है और दिन के समय सौर ऊर्जा की मदद से पानी को गर्म किया जाता है। इसके बाद कन्डेंसर की मदद से पानी के तापमान को सामान्य किया जाता है। उपभोक्ता पाइप के ज़रिए पीने का पानी निकाल सकते हैं। यह प्रक्रिया, एक प्राकृतिक फ़िल्टर की तरह ही काम करती है।

कंपनी का दावा है कि यह डिवाइस बताई गई प्रक्रिया के माध्यम से रोज़ाना 50 लीटर तक पीने योग्य पानी तैयार कर सकती है। कंपनी की टीम चाहती है कि पानी की तंगी से जूझ रहे गांवों में इस डिवाइस के प्रोटोटाइप का पायलट-रन किया जाए। उरावु को एक्स प्राइज़ (XPRIZE) में सोशल ऑन्त्रप्रन्योरशिप चैलेंज के नामांकित भी किया जा चुका है।

स्वजल वॉटर एटीएम

स्वजल वॉटर एटीएम एक सोलर प्यूरीफ़िकेशन सिस्टम है, जिसकी प्रक्रिया 9 चरणों में बंटी हुई है। मेंटेनेंस के लिए यह सिस्टम आईओटी आधारित क्लाइड मॉनिटरिंग सिस्टम का इस्तेमाल करता है। सौर ऊर्जा से चलने वाला सिस्टम, विशेष रूप से उन इलाकों में पेयजल उपलब्ध करा रहा है, जहां पर बिजली की पर्याप्त सप्लाई की भी समस्या है। आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले अद्वैत कुमार और विभा त्रिपाठी ने 2014 में इसकी शुरुआत की थी। यह सिस्टम ऑनलाइन माध्यमों से भी भुगतान स्वीकार करता है। उपभोक्ता सिक्कों के माध्यम से भुगतान करके भी इस सिस्टम की सुविधाएं ले सकते हैं।

वॉटर सिस्टम लगाने के अलावा, गुरुग्राम आधारित स्वजल स्कूलों में कई तरह के कार्यक्रम भी संचालित कराता है, जिनके माध्यम से पानी से जुड़े गंभीर मुद्दों के संबंध में जागरूकता फैलाई जाती है। स्टार्टअप की वेबसाइट के मुताबिक़, स्वजल वॉटर एटीएम, अभी तक 40 स्कूलों को 28,000 लीटर शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा चुका है, जिससे करीबन 35,000 बच्चे लाभान्वित हुए। स्टार्टअप यह दावा भी करता है अपने सिस्टम के माध्यम से उसने 675 करोड़ से अधिक प्लास्टिक की बोतलें सुरक्षित की हैं।

पीरामल सर्वजल

2008 में आनंद शाह ने सर्वजल सोशल एंटरप्राइज़ की शुरुआत की थी, जो सौर ऊर्जा से संचालित क्लाउट-कनेक्टेड वॉटर एटीएम के ज़रिए पिछले इलाकों में पीने के पानी की सप्लाई का दावा करता है। कंपनी ने पिरामल समूह से सीड फ़ंडिंग की थी। उपभोक्ताओं को इस्तेमाल के हिसाब से भुगतान करना होता है और भुगतान के लिए वे सिक्कों या फिर डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस एटीएम के साथ रिमोट मॉनिटरिंग तकनीक भी लगी हुई है। इस एटीएम सर्विस का प्रबंधन फ़्रैंचाइज़ी मॉडल के माध्यम से किया जाता है। सर्वजल ने देश के 16 राज्यों में पीने के पानी के लिए 1 हज़ार से भी अधिक स्टेशन्स स्थापित किए हैं।

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‘वाह’ वॉटर वेंडिंग मशीन

2016 में विनीत वत्स ने लखनऊ से वाह की शुरुआत की थी। उनका उद्देश्य था कि पीने के शुद्ध पानी को सस्ती से सस्ती क़ीमत पर आम जनता तक पहुंचाया जाए। वाटर वॉटर वेंडिंग मशीन मात्र 2 रुपए में रीसायकल होने वाले पेपर कप में 250 मिली. शुद्ध ठंडा पानी उपलब्ध कराती है। मीडिया रिपोर्ट्स भी कहती हैं कि हर वॉटर एटीएम पर इस्तेमाल होने वाले पेपर कप, फ़ूड-ग्रेड रीयसायक्लेबल पेपर से तैयार किए हैं।

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ये एटीएम क्लाउड ऐप्लिकेशन के माध्यम से संचालित होते हैं, इसलिए इनमें पानी की गुणवत्ता के साथ गड़बड़ होने की संभावना रहती है। लेकिन इन मशीनों की ख़ास बात यह है कि पानी की गुणवत्ता में किसी भी तरह की कमी आने पर ये मशीनें अपने आप ही बंद हो जाती हैं। इस मशीन की ऑनलाइन क़ीमत 2 लाख रुपए है। वाह का सालाना टर्नओवर 2-5 करोड़ रुपए तक का है और करीबन 100 कर्मचारी वाह के साथ काम कर रहे हैं। आईआईटी कानपुर ने अपने इनवेंट प्रोग्राम के अंतर्गत इस स्टार्टअप को 50 लाख रुपए दिए थे।

अमृत

आईआईटी मद्रास के शोधार्थियों के एक समूह ने प्रोफ़ेसर टी. प्रदीप की अध्यक्षता में 2013 में अमृत की शुरुआत की थी। अमृत नैनोपार्टिकल आधारित तकनीक पर काम करता है और यह भारत में आर्सेनिक से मुक्त पानी उपलब्ध कराने का काम कर रहा है। अमृत (आर्सेनिक ऐंड मेटल रीमूवल बाय इंडियन टेक्नॉलजी) पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर इस्तेमाल हो रहा है। केंद्रीय पेयजल एंव स्वच्छता मंत्रालय ने आर्सेनिक युक्त पानी की समस्या से प्रभावित सभी राज्यों से अपील की है कि वे अमृत वॉटर प्यूरिफ़ायर्स का इस्तेमाल करें। 18 मिलियन डॉलर्स के निवेश की बदौलत, अमृत 900 जगहों पर मात्र 5 पैसे में 1 लीटर शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा रहा है। अमृत के माध्यम से करीबन 6 लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं। अमृत ने अपनी तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए यूरेका फ़ोर्ब्स को पेटेंट राइट्स दे दिए हैं।

ओसीईओ

विक्रम गुलेचा, महेंद्र दंतेवाड़िया, हसमुख गुलेचा और राजीव कृष्णा ने 2017 में इस स्टार्टअप की शुरुआत की थी। बेंगलुरु आधारित स्टार्टअप ओसीईओ एक आईओटी आधारित स्मार्ट वॉटर प्यूरिफ़ायर, जो उपभोक्ताओं से प्रति लीटर पानी के हिसाब से पैसे चार्ज करता है। यह प्यूरिफ़ायर उपभोक्ता द्वारा बताई गई लोकेशन पर लगा दिया जाता है और वे वेब ऐप्लिकेशन या मोबाइल के माध्यम से प्यूरिफ़ायर रीचार्ज करा सकते हैं। इसका सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि इस सिस्टम में उपभोक्ताओं को मेंटेनेंस की क़ीमत या फिर मशीन के लिए भुगतान नहीं करना पड़ता। उपभोक्ता उतनी ही क़ीमत चुकाता है, जितने का उसने पानी इस्तेमाल किया हो।

योर स्टोरी के साथ एक इंटरव्यू में विक्रम ने कहा था, “हमारे सिस्टम की मदद से उपभोक्ता को मशीन के मेंटेनेंस इत्यादि की चिंता नहीं करनी पड़ती और वह बिना किसी परेशानी के अपनी सुविधानुसार शुद्ध पानी इस्तेमाल कर सकता है। हमने देखा है कि आमतौर पर उपभोक्ता एक दिन में 15-20 लीटर पानी का इस्तेमाल कर लेते हैं।” मार्च, 2018 तक स्टार्टअप ने 9,000 उपभोक्ताओं को अपने साथ जोड़ लिया था। हाल में, यह स्टार्टअप चेन्नई और हैदराबाद में फ़ील्ड ट्रायल्स कर रहा है।

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