बजरंग, रवि कुमार ने रोम रैंकिंग सीरीज में स्वर्ण पदक जीते, टूर्नामेंट में भारत ने हासिल किये सात पदक
भारतीय स्टार पहलवान बजरंग पूनिया हालांकि अपने सर्वश्रेष्ठ के करीब नहीं रहे लेकिन उन्होंने और रवि कुमार दहिया ने यहां रोम रैंकिंग सीरीज टूर्नामेंट में अपने वजन वर्गों में स्वर्ण पदक जीतकर ओलंपिक वर्ष में शानदार शुरूआत की।
रोम, भारतीय स्टार पहलवान बजरंग पूनिया हालांकि अपने सर्वश्रेष्ठ के करीब नहीं रहे लेकिन उन्होंने और रवि कुमार दहिया ने यहां रोम रैंकिंग सीरीज टूर्नामेंट में अपने वजन वर्गों में स्वर्ण पदक जीतकर ओलंपिक वर्ष में शानदार शुरूआत की।
बजरंग ने शनिवार रात 65 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग के फाइनल में अमेरिका के जोर्डन माइकल ओलिवर के खिलाफ शानदार वापसी करते हुए 4-3 से जीत हासिल की।
रवि अपने नियमित 57 किग्रा के बजाय 61 किग्रा वर्ग में भाग ले रहे हैं। उन्होंने शनिवार की रात फाइनल में कजाखस्तान के नुरबोलाट अब्दुलीयेव पर 12-2 से जीत हासिल कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
सोनीपत के 23 साल के इस पहलवान ने मोलदोवा के एलेक्सांद्रू चिरतोआका और कजाखस्तान के नुरीस्लाम सानायेव पर शानदार जीत के बाद फाइनल दौर में प्रवेश किया था।
भारत ने इस तरह टूर्नामेंट से सात पदक हासिल किये।
विनेश फोगाट और अंशु मलिक ने महिला स्पर्धा में अपने वजन वर्गों में क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किया था। वहीं ग्रीको रोमन में गुरप्रीत सिंह (82 किग्रा) ने स्वर्ण, सुनील कुमार (97 किग्रा) ने रजत जबकि सजन भानवाल (77 किग्रा) ने कांस्य पदक हासिल किया था।
बजरंग ने स्वीकार किया कि वह अपनी सर्वश्रेष्ठ फार्म में नहीं थे। उन्होंने पीटीआई से कहा,
‘‘हां, मुकाबले करीबी थे, यह सत्र का पहला ही टूर्नामेंट था इसलिये मैं इतना फुर्तीला नहीं था। टूर्नामेंट में जाने से पहले मुझे लग रहा था कि मेरा प्रदर्शन थोड़ ऊपर नीचे हो जायेगा।’’
उन्होंने कहा,
‘‘लेकिन करीबी मुकाबले होना चिंता की बात नहीं है, यह अच्छा है। इससे मैं सतर्क रहता हूं और अपनी कमियों पर विचार करने का कोई मौका नहीं छोड़ता।’’
बजरंग के व्यक्तिगत कोच शाको बेनटिनिडिस रोम में उनके साथ नहीं थे, इससे भी भारती पहलवान के प्रदर्शन पर असर पड़ा।
उन्होंने कहा,
‘‘उन्हें वीजा संबंधित कुछ मुद्दे थे, इसलिये वह मेरे साथ नहीं हो पाये। उनकी अनुपस्थिति से भी मेरे प्रदर्शन पर असर पड़ा। मैचों के दौरान मुझे उनके मार्गदर्शन की काफी कमी खली।’’
भारत के टोक्यो ओलंपिक में पदक के प्रबल दावेदार 25 साल के बजरंग के खिलाफ मुकाबले में हारने के बाद ओलिवर ने ट्वीट करते हुए स्वीकार किया कि यह मेरी रात नहीं थी।
अमेरिकी पहलवान ने बजरंग की प्रतिस्पर्धी जज्बे की प्रशंसा की। उन्होंने ट्वीट किया,
‘‘यह मेरी रात नहीं थी। लेकिन मैं जहां पहुंचना चाहता हूं, उसके लिये मुझे काफी काम करने की जरूरत है। बजरंग पूनिया शानदार, तुम कड़े प्रतिद्वंद्वी हो। ’’
बजरंग को हालांकि पहले दौर में अमेरिका के जैन एलेन रदरफोर्ड के खिलाफ पसीना बहाना पड़ा था, लेकिन वह 5-4 से जीत हासिल करने में सफल रहे थे।
क्वार्टरफाइनल में शीर्ष भारतीय पहलवान ने एक और अमेरिकी जोसफ क्रिस्टोफर मैक केना को 4-2 से और फिर सेमीफाइनल में यूक्रेन के वासिल शुपतार को 6-4 से शिकस्त दी थी।
हालांकि जितेंदर का 74 किग्रा में और विश्व चैम्पियनशिप के रजत पदकधारी दीपक पूनिया का 86 किग्रा में सफर समाप्त हो गया है।
जितेंदर ने पहले दौर में यूक्रेन के डेनिस पावलोव को 10-1 से हराया था लेकिन वह क्वार्टरफाइनल में तुर्की के सोनेर देमिरतास से 0-4 से हार गये।
उन्हें रेपेचेज में खेलने का मौका मिला क्योंकि देमिरतास फाइनल में पहुंच गये थे। पर यह भारतीय इस मौके का फायदा नहीं उठा सका और कजाखस्तान के दानियार काईसानोव से 2-9 से पराजित हो गया।
वहीं 86 किग्रा वर्ग में दीपक को शुरूआती दौर में पुअर्तो रिको के इथान एड्रियन रामोस से 1-11 से शिकस्त का सामना करना पड़ा।
सत्यव्रत कादियान (97 किग्रा) और सुमित मलिक (125 किग्रा) पदक दौड़ में पहुंचने में नाकाम रहे थे।