बच्चों को पढ़ाने के लिए बनीं बालासोर की पहली महिला ऑटो ड्राइवर, 15 साल की उम्र में हुई थी शादी, फिर पति ने छोड़ा
15 साल की उम्र में शादी और फिर पति द्वारा छोड़ दिये जाने के बाद मधुमिता ने अपने बच्चों को पालने के लिए ऑटो चलाने का फैसला लिया। मधुमिता बालासोर की पहली महिला ऑटो ड्राइवर हैं।
किसी महिला के लिए सबसे बुरा होता है उसके पति द्वारा उसे बीच राह छोड़ देना। ऐसी घटना एक महिला के लिए किसी त्रासदी से कम नहीं होती। इससे महिला का बचा जीवन तहस-नहस हो जाता है। हालांकि कुछ महिलाएं होती हैं जो ऐसी घटनाओं से अपनी बाकी जिंदगी को बर्बाद नहीं होने देतीं। वे अपने हौसले और जज्बे से अपनी बाकी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीती हैं। उड़ीसा के बालासोर शहर में ऑटो चलाने वालीं मधुमिता भी ऐसी ही महिलाओं में से एक हैं।
शहर की पहली महिला ऑटो ड्राइवर
मधुमिता उड़ीसा के बालासोर शहर की पहली महिला ऑटो ड्राइवर हैं। मधुमिता सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं, खासकर उन महिलाओं के लिए जिन्हें उनके पति ने बीच राह में छोड़ दिया हो। 29 साल की मधुमिता उड़ीसा के मयूरभंज जिले के गंधाली गांव की रहने वाली हैं।
मधुमिता ने ऑटो ड्राइवर बनकर समाज के उस मिथक को तोड़ा है जिसमें माना जाता है कि ऑटो चलाना केवल पुरुषों का काम है। मधुमिता 7वीं कक्षा तक पढ़ी हैं। 15 साल की उम्र में उनकी शादी हुई और बाद में उनके पति ने किसी दूसरी लड़की से शादी करने के लिए मधुमिता को छोड़ दिया।
वह कहती हैं,
"हालांकि मैं एक गरीब परिवार से हूं। फिर भी मेरे पति के छोड़ देने पर मैंने हिम्मत नहीं हारी। मैंने अपने जीवन को दोबारा से शुरू किया और जो मेरे पास था, उसी की मदद से लड़ाई लड़ी। एक ऐसे समाज में जहां महिलाओं को उत्पीड़ित किया या दबाया जाता है, अपने अधिकारों की खातिर खड़ा होने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए।"
घर भी संभाल रही हैं मधुमिता
घर का सारा काम करने और अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बाद वह ऑटो चलाती हैं। वह शहर और उसके आसपास के 60 किलोमीटर इलाके में यह सुविधा देती हैं। वह पिछले 9 महीने से ऐसा कर रही हैं।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक, 'उनके ऑटो के कुछ नियमित यात्री हैं जिनमें से अधिकतर महिलाएं हैं। मधुमिता के अच्छे व्यवहार के कारण कई महिला यात्री सिर्फ उन्हीं के साथ यात्रा करती हैं। वह गरीबों को और जरूरतमंदों को फ्री सफर करवाती हैं।' मधुमिता का सपना अपने दोनों बच्चों को अच्छी शिक्षा देना है।
वह कहती हैं,
'मैं यह सुनिश्चित करना चाहती हूं कि मेरे बच्चों को अच्छी हायर एजुकेशन मिले और इसके लिए मैं रोज अतिरिक्त घंटों तक ऑटो चलाती हूं ताकि अधिक पैसे कमा सकूं।'
वह हर महीने 10,000 रुपये कमाती हैं। वह बताती हैं कि उनके साथ कोई भी यात्री दुर्व्यवहार नहीं करता है।
इससे पहले हमने आपको कोमल नाम की एक लड़की की प्रेरणादायक कहानी बताई थी। 19 साल की कोमल के पिता नहीं चाहते थे कि कोमल अपनी पढ़ाई पूरी करे। इसलिए पिता ने बचपन में ही उसकी पढ़ाई छुड़वा दी लेकिन कोमल ने हिम्मत नहीं हारी। अपनी इच्छाशक्ति और जज्बे की बदौलत उसने दिल्ली में कैब चलाना शुरू किया। वह रोज कैब चलाती और मिले पैसों को अपनी पढ़ाई पूरी करने में लगाती है। कोमल की प्रेरक कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें....