टिकटॉक पर लगा बैन हटा, 'क्रिएटिव' भारतीयों में खुशी की लहर
टिक-टॉक का इस्तेमाल करने वाले भारतीयों के लिए खुशी की खबर है। मद्रास हाई कोर्ट ने चाइनीज ऑनलाइन वीडियो मेकिंग ऐप पर लगा अस्थाई प्रतिबंध हटाने के आदेश दे दिए हैं। इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इस तरह के मोबाइल एप के जरिए अश्लील और अनुचित सामग्री तैयार की जा रही है। यही वजह है कि इसे गूगल द्वारा प्लेस्टोर से भी हटा लिया गया था।
इस फैसले का स्वागत करते हुए टिक टॉक की पैरेंट कंपनी बाइट डांस द्वारा एक बयान जारी किया गया। इस बयान में कहा गया, 'हम इस फैसले को लेकर काफी खुश हैं और हमारा मानना है कि भारत में टिक टॉक यूजर्स को भी इससे काफी खुशी मिली होगी। हमें अपने यूजर्स को बेहतर सेवा देना का मौका मिला इसके लिए हम उनके आभारी हैं। हमें खुशी है कि इस प्लेटफॉर्म के खिलाफ लड़ने के लिए हमारे प्रयासों को सराहा गया, लेकिन अभी इसका अंत नहीं हुआ है और यह काम जारी है। हम इस प्लेटफॉर्म को और बेहतर बनाने के प्रयास में लगे रहेंगे।'
न्यायमूर्ति एन किरुबाकरन और एस एस सुंदर की पीठ ने टिकटोक द्वारा दायर की गई याचिका पर विचार करने के बाद यह फैसला सुनाया। पीठ ने मामले में एमिकस क्यूरी (स्वतंत्र वकील) के रूप में नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार द्वारा पेश किए गए मामले को भी सुना, जिन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत मध्यस्थ दिशानिर्देशों के महत्व को ध्यान में लाने का काम किया।
विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत संरक्षित ऑनलाइन स्पीच को हाइलाइट करने के बाद दातार ने जोर देकर कहा कि ऐसी व्यवस्था नहीं हो सकती है जहां कोई चीज वैधानिक रूप से तो अनुमेय है लेकिन न्यायिक रूप से नाजायज है। वहीं टिक टॉक की तरफ से अपनी बात रख रहे वरिष्ठ वकील इसहाक मोहनलाल ने भी एक जवाबी हलफनामा दायर कर कहा कि उनके पास ऐसी सुरक्षा तकनीक है, जो टिकटॉक पर पर नग्न और अश्लील सामग्री को फ़िल्टर कर सकती है।
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