Bank Privatisation: क्या SBI को छोड़ बाकी सारे बैंक होंगे प्राइवेट? ये दो बड़े अर्थशास्त्री तो यही चाहते हैं!
दो बड़े अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर बाकी सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण कर देना चाहिए. वहीं दूसरी ओर सरकारी बैंकों के कर्मचारी निजीकरण के विरोध में हड़ताल तक कर रहे हैं.
मोदी सरकार ने कई सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में सौंप दिया है और कई के निजीकरण (Disinvestment) की तैयारी चल रही है. किसी साल में सरकार निजीकरण (Privatisation) से कितना पैसा जुटाने की योजना बनाती है, इसके बारे में बजट में घोषणा भी की जाती है. पिछले कुछ सालों से बैंक प्राइवेटाइजेशन (Bank Privatisation) यानी बैंको के निजीकरण की चर्चा भी हो रही है. यह लगभग तय भी हो चुका है कि दो बैंकों का निजीकरण किया जाएगा. हालांकि, अभी तक सरकार ने इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की है कि ये दो बैंक कौन से होंगे. इसी बीच एक रिपोर्ट में दो अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को छोड़कर देश के बाकी सभी बैंकों का निजीकरण कर दिया जाना चाहिए.
तो क्या सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक ही रहेगा सरकारी?
एक तरफ देश में सरकारी बैंकों के निजीकरण का विरोध हो रहा है. सरकारी कर्मचारी इसके खिलाफ हड़ताल तक कर रहे हैं. उसी बीच दो बड़े अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर बाकी सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण कर दिया जाना चाहिए. इनमें से एक अर्थशास्त्री हैं नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया. वहीं दूसरी अर्थशास्त्री हैं एनसीएईआर (National Council of Applied Economic Research) की डायरेक्टर जनरल और प्रधानमंत्री को आर्थिक विषयों पर सलाह देने वाली परिषद की सदस्य पूनम गुप्ता.
इंडिया पॉलिसी फोरम में दोनों अर्थशास्त्रियों ने एक पॉलिसी पेपर में कहा है कि सरकारी बैंकों का निजीकरण करना सभी के लिए फायदे वाली बात है. अगर अधिकतर बैंक प्राइवेट सेक्टर में जाएंगे तो भारतीय रिजर्व बैंक पर भी दबाव बढ़ेगा कि वह पूरी प्रक्रिया, नियमों और कानूनों को सही से लागू करे. इसके नतीजे बेहद अच्छे होंगे.
बजट में हुई थी दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए 2022 में दो सरकारी बैंकों का निजीकरण करने की घोषणा की थी. वहीं नीति आयोग ने कहा है कि इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का निजीकरण कर दिया जाना चाहिए. हालांकि, सरकार ने अभी तक इसे लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है कि किस बैंक का निजीकरण किया जाएगा. वित्त मंत्री ने तो एक बीमा कंपनी को भी बेचने की बात कही थी.
कितने सरकारी बैंक हैं अभी, देखिए लिस्ट
मौजूदा वक्त में भारतीय स्टेट बैंक सहित कुल 12 सरकारी बैंक हैं. एसबीआई के अलावा इस लिस्ट में बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाबन नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक शामिल हैं.
सरकार की तैयारी कहां तक पहुंची?
मोदी सरकार को 2021-22 में निजीकरण से 13,561 करोड़ रुपये मिले थे. यह सरकार के कुल 1.72 लाख करोड़ रुपये के टारगेट का सिर्फ 8 फीसदी था. अब मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए निजीकरण का टारगेट 65 हजार करोड़ रुपये रखा है. यानी पिछले साल की तुलना में टारगेट को एक तिहाई कर दिया गया है. इसमें भी 20,560 करोड़ रुपये तो एलआईसी के आईपीओ से ही मिल चुके हैं, यानी सरकार ने अपना करीब एक तिहाई टारगेट हासिल कर लिया है. उम्मीद की जा रही है कि इस साल बैंकों के निजीकरण से भी सरकार की तगड़ी कमाई होगी. हालांकि, इस मानसून सत्र में भी शायद ही बैंकों के निजीकरण का बिल संसद में पेश हो पाए. सरकार इसे आगे के लिए टालने पर विचार कर रही है.