MSME बैड लोन नियमों में ढील देने के लिए बैंकों ने खटखटाया RBI का दरवाजा
भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, ECLGS ने 1.46 करोड़ एमएसएमई को बंद होने से बचाया और इस तरह लगभग 16.5 करोड़ श्रमिकों के रोजगार को बचाया.
बैंकों ने MSME सेक्टर में नॉन-परफॉर्मिंग असेट्स (NPAs) की पहचान करने में छूट की मांग करते हुए रिज़र्व बैंक से संपर्क किया है.
बैंक चाहते हैं कि कोविड पैकेज के तहत पुनर्गठित एमएसएमई खाते को नवीनतम तारीख से एनपीए माना जाए न कि पुनर्गठन से पहले की तारीख से. इससे बैंकों को कुछ राहत मिलेगी क्योंकि इससे उनके प्रावधान का बोझ कम होगा.
कुछ मामलों में, बैंकों को कहा गया था कि वे ऐसे खातों को खराब ऋण के रूप में मानें, जब उनका पुनर्गठन किया गया था और इसके अनुसार प्रावधान करें.
मामले से वाकिफ एक सीनियर बैंक एग्जिक्यूटिव के हवाले से ईटी ने बताया, "अगर आरबीआई इस तरह की छूट की अनुमति देता है, तो ऐसे खातों पर प्रावधान नई तारीख से होगा, जब वे NPA हो जाएंगे और बैकडेट नहीं होंगे, जिससे उधारदाताओं पर बोझ कम होगा. उन्होंने कहा कि बैंकों ने इस महीने की शुरुआत में बैंकिंग नियामक से संपर्क किया था."
आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 22 में एमएसएमई सेक्टर के लिए बकाया अग्रिम ₹20.44 लाख करोड़ था. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) में एमएसएमई से संबंधित सकल (एनपीए) अनुपात वित्त वर्ष 2021-22 में 7.6% था और वित्त वर्ष 2022-23 में 31 दिसंबर तक 6.1% तक पहुंच गया.
एग्जिक्यूटिव ने कहा, "हमने अनुरोध किया है कि केवल उन खातों पर विचार किया जाए जिन्होंने कोविड महामारी के दौरान पुनर्गठन के बाद निर्दिष्ट अवधि में संतोषजनक प्रदर्शन किया और बाद में एनपीए श्रेणी में फिसल गए."
बता दें कि महामारी के दौरान, कम नकदी प्रवाह को देखते हुए MSMEs को समर्थन देने के लिए एक विशेष पुनर्गठन खिड़की बनाई गई थी.
अगस्त 2020 में घोषित रिज़ॉल्यूशन फ्रेमवर्क 1.0 के तहत, जिसने मार्च 2021 तक पुनर्गठन के कार्यान्वयन की अनुमति दी, और मई 2021 में घोषित रिज़ॉल्यूशन फ्रेमवर्क 2.0, जिसने 30 सितंबर, 2021 तक पुनर्गठन को लागू करने की अनुमति दी, जिसे 90 दिनों की अवधि के भीतर पूरा किया जाना था.
एक अन्य बैंक अधिकारी ने कहा, "कम प्रावधान करने से बैंकों को विभिन्न योजनाओं के तहत पात्र संस्थाओं को अधिक ऋण देने में मदद मिलेगी."
FY24 के बजट में, सरकार ने इस फंड में 9,000 करोड़ रुपये डालने की घोषणा की है, जिससे क्रेडिट की कम लागत पर 2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त कोलेटरल-फ्री गारंटीड क्रेडिट मिलेगा.
ताजा आंकड़ों के अनुसार, एमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ECLGS) के तहत गारंटीशुदा ऋणों में एमएसएमई की हिस्सेदारी 95.17% है.
योजना के तहत गारंटीकृत कुल 2.40 लाख करोड़ रुपये का लगभग 66% एमएसएमई को जाता है. भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, ECLGS ने 1.46 करोड़ एमएसएमई को बंद होने से बचाया और इस तरह लगभग 16.5 करोड़ श्रमिकों के रोजगार को बचाया.