सरकार ऑफर फॉर सेल के जरिए डिस्काउंट पर बेचेगी HAL में 3.5% हिस्सेदारी
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के विनिवेश की शुरुआत साल 2018 में हुई थी. इस साल HAL ने अपना IPO जारी किया था. इसके बाद HAL में भारत सरकार की हिस्सेदारी 100% से घटकर 89.97% रह गई थी. इससे सरकार को करीब 4,229 करोड़ रुपए मिले थे.
भारत सरकार एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Ltd) में 3.5% हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है. हिस्सेदारी की बिक्री का मूल्य 2,867 करोड़ रुपये होगा, जो 2,450 रुपये के न्यूनतम मूल्य पर आधारित होगा. फ्लोर प्राइस इसके बुधवार के क्लोजिंग प्राइस 2625.20 रुपये से कम है. बुधवार को एक एक्सचेंज फाइलिंग में इसकी जानकारी दी गई. (Govt to sell up to 3.5% stake in HAL)
शेयरहोल्डिंग पैटर्न के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी में सरकार की 75.15% हिस्सेदारी है. कंपनी का मौजूदा मार्केट कैप 87,800 करोड़ रुपए है. कंपनी ने कहा कि बिक्री की पेशकश भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के सूचीबद्ध दायित्वों के अनुसार कंपनी की न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता हासिल करने के लिए की जा रही है.
2020 में, सरकार ने अपने विनिवेश कार्यक्रम के हिस्से के रूप में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL) में 15% हिस्सेदारी की बिक्री की थी और 5,000 करोड़ रुपये की बिक्री (offer for sale - OFS) की पेशकश को निवेशकों से मजबूत प्रतिक्रिया मिली थी.
स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, सरकार ने 23 मार्च और 24 मार्च को अपने इक्विटी शेयरों का 1.75% और ओवरसब्सक्रिप्शन विकल्प का प्रयोग करने की स्थिति में अतिरिक्त 1.75% हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव दिया है.
प्रस्ताव आकार का 10% वैध बोलियों की प्राप्ति के अधीन खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित होगा. खुदरा निवेशकों का मतलब एक व्यक्तिगत निवेशक है जो 2,00,000 रुपये से अधिक के कुल मूल्य के शेयरों के लिए बोली लगाता है. केंद्र के स्वामित्व वाली फर्मों में विनिवेश एक प्रमुख राजस्व-बढ़ाने वाला उपाय है जो सरकार को इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर खर्च करने में मदद करता है.
अब तक, सरकार ने 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए 500 करोड़ रुपये के अपने लक्ष्य के मुकाबले सरकारी फर्मों में अपने शेयर बेचकर 31,100 करोड़ रुपये जुटाए हैं. सरकार हिंदुस्तान जिंक (HZL) में अपनी हिस्सेदारी की आंशिक बिक्री को रोकने की योजना बना रही है, जब तक कि कंपनी वेदांता समूह की दो सहायक कंपनियों के लगभग 3 अरब डॉलर के नकद अधिग्रहण को बंद नहीं कर देती.
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के विनिवेश की शुरुआत साल 2018 में हुई थी. इस साल HAL ने अपना IPO जारी किया था. इसके बाद HAL में भारत सरकार की हिस्सेदारी 100% से घटकर 89.97% रह गई थी. इससे सरकार को करीब 4,229 करोड़ रुपए मिले थे.
23 दिसंबर 1940 को सेठ वालचंद हीराचंद ने एक अमेरिकी विमानन विशेषज्ञ विलियम डगलस पावले की मदद से हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड नाम की एक कंपनी शुरू की थी. सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान मार्च 1941 में सरकार ने कंपनी की एक-तिहाई हिस्सेदारी खरीद ली थी और स्वतंत्रता के बाद जनवरी 1951 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड को रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में ले लिया गया. अक्टूबर 1964 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड का एयरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड के साथ विलय कर दिया गया और इस तरह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अस्तित्त्व में आया.