छुपा कर अंडरगारमेंट्स सुखाने वाले देश में कैसे सफल हुआ एक ऑनलाइन लॉन्जरी पोर्टल
ज़िवामे की सफलता एक उदाहरण है कि कैसे एक रूढ़ मानसिकता का ध्वंस करके अपने विश्वास के बल पर एक नया काम शुरू किया जा सकता है, न सिर्फ शुरू किया जा सकता है बल्कि उसको सफलता की बुलंदियों पर ले जाया जा सकता है। हर तरफ हो रही ज़िवामे की जयकार के पीछे एक ही महिला का दृढ़निश्चय है, जिसका नाम है रिचा कर।
रिचा ज़िवामे की फाउंडिंग सीईओ हैं। रिचा की इस सफलता के लिए उसे 2014 में फॉर्च्यून इंडिया की ‘अंडर 40’ लिस्ट में शमिल किया जा चुका है। रिचा की कंपनी की वेल्यू आज 270 करोड़ रुपए है। उनका रेवेन्यू सालाना आधार पर 300 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। ज़िवामे के ऑनलाइन लॉन्जरी स्टोर में फिलहाल 5 हजार लॉन्जरी स्टाइल, 50 ब्रांड और 100 साइज हैं।
रिचा लड़कियों को संदेश देती हैं कि ‘अपनेआप को कभी कम महसूस न करें, अपने पर विश्वास बनाए रखें। साथ ही मेहनत, लगन और धैर्य बनाए रखें, किसी बात से डरे नहीं, उस का समाधान पाने की कोशिश करें।’ रिचा ने अपनी हिम्मत से साबित कर दिया कि अगर इरादे पक्के हों तो लाखों चुनौतियां सामने आ जाएं सफलता मिल ही जाती है।
जिवामे, एक ऑलाइन स्टोर जिसने देश की हजारों लड़कियों और औरतों को उनके अंतर्वस्त्र खरीदने में होने वाली हिचक को दूर कर रहा है। साथ ही ये जागरूकता फैला रहा है कि सही साइज का इनर वियर पहनना स्वास्थ्य के लिए कितना जरूरी होता है। जिवामे हिबूर भाषा का शब्द है, जिस का अर्थ है ‘मुझे कांतिमान बनाएं'। जिवामे की सफलता एक उदाहरण है कि कैसे एक रूढ़ मानसिकता का ध्वंस करके अपने विश्वास के बल पर एक नया काम शुरू किया जा सकता है, न सिर्फ शुरू किया जा सकता है बल्कि उसको सफलता की बुलंदियों पर ले जाया जा सकता है। हर तरफ हो रही जिवामे की जयकार के पीछे एक ही महिला का दृढ़निश्चय है, जिसका नाम है रिचा कर। क्या कोई अंडरगारमेंट ऑनलाइन जाकर खरीदना पसंद करेगा? कुछ बरसों पहले तक यह सवाल थोड़ा अटपटा लगता था लेकिन रिचा ने इस सवाल से एक बड़ा और कामयाब बिजनेस खड़ा कर दिखाया।
रिचा जिवामे की फाउंडिंग सीईओ हैं। रिचा की इस सफलता के लिए उसे 2014 में फॉर्च्यून इंडिया की ‘अंडर 40’ लिस्ट में शमिल किया जा चुका है। आज हर कोई सुंदर दिखना चाहता है। ऐसे में सही इनरवियर का चयन आवश्यक है। एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 5 में से 4 महिलाएं अपनी ब्रा का सही साइज नहीं जानतीं, तो 53% महिलाएं बहुत पुरानी ब्रा का इस्तेमाल करती हैं। जबकि 82% महिलाओं ने सही साइज की ब्रा ढूंढ़ने में किसी ऐक्सपर्ट की राय कभी नहीं ली। इसलिए जिवामे के कैंपेन ‘फिट इज माई राइट’ के तहत देश की महिलाएं सही साइज की ब्रा पहनने के बारे में जान सकेंगी और करीब 5 लाख महिलाएं 1 साल में इस अभियान से जुड़ेंगी।
रिचा का आइडिया इतना क्रांतिकारी था कि एक साल बाद ही बड़े-बड़े इन्वेस्टर्स ने इनकी कंपनी में इन्वेस्ट करने शुरू कर दिए। आज कई निवेशक उनकी कंपनी में निवेश भी कर रहे हैं जिनमें टाटा, यूनीलेजर वेंचर्स, जोडियस टेक्नोलॉजी फंड और खजानाह नेशनल बेरहद भी शामिल हैं। रिचा की कंपनी की वेल्यू आज 270 करोड़ रुपए है। उनका रेवेन्यू सालाना आधार पर 300 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। जिवामे के ऑनलाइन लॉन्जरी स्टोर में फिलहाल 5 हजार लॉन्जरी स्टाइल, 50 ब्रांड और 100 साइज हैं। कंपनी ट्राई एट होम, फिट कंसल्टेंट, विशेष पैकिंग और बेंगलुरु में फिटिंग लाउंज जैसी ऑफरिंग्स दे रही है। कंपनी इस समय भारत में सभी पिन कोड पर डिलिवरी करती है। अत्यंत नम्र व हंसमुख स्वभाव की रिचा कर हमेशा अपने काम पर फोकस्ड रहीं। यही वजह है कि वे सफल रहीं।
जब मां ने ही जता दिया था अविश्वास
लेकिन उनका लिंजरी की ऑनलाइन कंपनी ओपन करना आसान नहीं था। बतौर रिचा इसको लेकर उनके घर में ही महाभारत हुई, उनकी मम्मी इस बिजनेस को लेकर काफी टेंशन में थीं। रिचा ने जब अपनी मां को बताया कि महिलाएं दुकान पर जाकर इनरवियर्स खरीदने में हिचकिचाती हैं, इसलिए मैं ऑनलाइन लिंजरी बेचना चाहती हूं, तो मां नाराज हो गईं और बोलीं कि मैं लोगों को क्या, बताऊंगी कि मेरी बेटी कंप्यूटर पर ब्रा-पैंटी बेचती है। रिचा ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी अपनी पूरी कोशिशें पूरा ध्यान पर अपने लक्ष्य को पूरा करने में लगा दिया जिसका रिजल्ट आज उनके सामने है और वो आज इंडिया की टॉप मोस्ट बिजनेस गर्ल है।
जमशेदपुर में जन्मी ऋचा ने बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग की और नरसी मोंजी मैनेजमैंट स्टडीज से एमबीए किया। जिसके बाद कर ने स्पैंसर और सैप में जॉब की लेकिन अपनी खुद की कंपनी खोलने के लिए उन्होंने ये नौकरी छोड़ दी। रिचा ने जिवामे की शुरुआत 35 लाख रुपये में की थी। इस रकम को उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार वालों से जुटाया था इसमें उनकी अपनी सेविंग्स भी शामिल थी। उनकी कंपनी का पहला ग्राहक इंदौर का जिसने 7,000 रुपये का ऑर्डर दिया था। अब कंपनी इंडिया की लीडिंग ऑनलाइन वेबसाइट स्टोर है जहां से गर्ल्स 5000 से ज्यादा के स्टाइलिश लिंजरी अपने लिए खरीद सकती हैं।
रिचा कहती हैं कि आनेवाले 5-7 साल में मैं जिवामे को 100 करोड़ डॉलर बिजनेस में तब्दील करना चाहती हूं। 32 साल की रिचा मानती हैं कि जब आप कोई बिजनेस शुरू कर रहे होते हैं तो आप अपने परिवार के साथ ज्यादा वक्त नहीं बिता पाते। लेकिन रिचा ने यह सब सोचने के बाद ही स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया। फिलहाल वह सुबह 9 से रात 9 बजे तक काम करती हैं। वह कहती हैं कि मैं पार्टियों में नहीं जाती, सोशलाइज नहीं करती, यहां तक कि मेरे पास पैरंट्स से बातचीत के लिए भी टाइम नहीं है। मैं सिर्फ काम करती हूं। रिचा की शादी एक इंटरनेट प्रफेशनल के साथ हुई है। रिचा ने अपने कैरियर के बारे में ज्यादा कुछ नहीं सोचा था। पर वे ऐसा कुछ जरूर करना चाहती थीं जिस से किसी का लाभ हो सके। उन की यही सोच उन्हें लिंजरी के व्यवसाय में लाई।
वे बताती हैं, ‘जब मैं ने लिंजरी मार्केट के बारे में पढ़ा तो पता चला कि महिलाएं अकसर अपने अंतर्वस्त्र के बारे में खुल कर बात नहीं करतीं। उन्हें अपनी ब्रा का सही साइज तक पता नहीं होता। वे हमेशा गलत साइज की ब्रा पहनती हैं। दुकान में अगर पुरुष सेल्समैन हो तो झट से खरीद कर निकल जाती हैं। जबकि यह हमारे पहनावे का अहम अंग है। इस के अलावा उम्र होने पर वे ब्रा पहनना छोड़ देती हैं, जिस से उन्हें पीठ व कमर दर्द की प्रॉब्लम हो जाती है। यह सब जान कर मुझे उस क्षेत्र में जाने की प्रेरणा मिली।'
खुद पर यकीन हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं
फिटिंग के इनरवियर की समझ बढ़ाने के लिए जिवामे का पहला लाउंज बेंगलुरु में खोला गया जहां लाखों महिलाएं अपनी ब्रा ठीक साइज देख कर खरीदती हैं। मुंबई में अनूठा मोबाइल फिटिंग लाउंज खोला गया। इस में 3 ट्रायलरूम व 3 फिटिंग विशेषज्ञ हैं। यह टीम कालेज में पढ़ने वाली हजारों लड़कियों को उन की सही ब्रा साइज बताएगी। यह सुझाव नि:शुल्क होगा। इस के बाद वे ऑनलाइन शॉपिंग के जरीए या रिटेलर के पास जा कर अपनी सही साइज की ब्रा खरीद सकेंगी। ऐसा अनुमान है कि 2015 के अंत तक करीब 5 लाख महिलाएं इस में शामिल हो जाएंगी। मुंबई के बाद यह मोबाइल फिटिंग लाउंज दिल्ली, कोलकाता, चंडीगढ़ और कई और शहरों में होगा। महिलाओं में जागरूकता लाने का यह बड़ा प्रयास है। रिचा लड़कियों को संदेश देती हैं कि ‘अपनेआप को कभी कम महसूस न करें, अपने पर विश्वास बनाए रखें। साथ ही मेहनत, लगन और धैर्य बनाए रखें, किसी बात से डरे नहीं, उस का समाधान पाने की कोशिश करें।’ रिचा ने अपनी हिम्मत से साबित कर दिया कि अगर इरादे पक्के हों तो लाखों चुनौतियां सामने आ जाएं सफलता मिल ही जाती है।
ये भी पढ़ें- प्लास्टिक छोड़, समानवी के इस गन्ने की लुगदी से बने सामानों को आजमाओ