घुटने की गंभीर चोट से उबरकर बनीं दुनिया की सबसे युवा स्टाॅट कोच(फिटनेस ट्रेनर) नम्रता
नम्रता पुरोहित की दिल को छू लेने वाली दास्तान ....
उम्र कभी भी किसी चीज के सीमा नहीं बनती। अगर इरादे पक्के हों, सोच पर यकीन हो और कठिन रास्तों पर चलने की इच्छाशक्ति हो तो फिर कुछ भी संभव है। ऐसे ही काम को करने वालों का नाम दुनिया गर्व से लेती है। आप को जानकर गर्व होगा कि दुनिया की सबसे युवा मान्यता प्राप्त स्टाॅट पाइलेट कोच भारत की है और उनका नाम है नम्रता पुरोहित। इक्कीस साल की नम्रता राष्ट्रीय स्तर की स्क्वाएश खिलाड़ी, फुटबाॅलर, स्कूबा डाइवर और एक उद्यमी हैं। नम्रता पुरोहित जब 15 साल की थीं जब घुड़सवारी के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गई। उनके घुटने में गहरी चोट आई और जिसके कारण उनका स्पोटर्स कैरियर लगभग खत्म हो गया था। चिकित्सकों ने उन्हें खेलों से हमेशा दूर रहने की सलाह दी थी। पर नम्रता ने इसे अनसुना कर दिया। दोबारा फिट होने के तमाम प्रयासों के निष्फल होने पर उन्होंने मुम्बई में अपने पिता द्वारा संचालित पाइलेट कोर्स में शामिल होने का निर्णय लिया। इसमें शामिल होने के कुछ दिनों बाद वह ठीक होने लगीं और उनके घुटने का दर्द गायब हो गया।
नम्रता कहती हैं, "मैं फिर स्क्वाएश खेल पाई और यहां तक कि उस साल राष्ट्रीय प्रतियोगिता में चौथा स्थान प्राप्त किया। मैं पाइलेट के जादू की कायल हो गई। मैंने कसरत के इस रूप को अपने देशवासियों के बीच लोकप्रिय बनाने का फैसला किया"। यह वह दौर था जब नम्रता अपने चिकित्सकों की सलाहों के विपरीत अपनी मनमर्जी सबकुछ कर रही थीं। उनके मुताबिक यह सब पाइलेट का कमाल था।
वह खेलों के साथ अनेक विधाओं में जोर आजमाइश कर रही हैं। फिलहाल वह अनेक नृत्यशैलियां जैसे जावे, साल्सा, वाल्ट्ज़, कंटेम्परॅरी तथा जाज के साथ-साथ भारतीय शास्त्रीय गाायन भी सीख रही हैं। वह स्कूबा डाइवर तो हैं ही, स्काई डाइवर का कोर्स भी करना चाह रही हैं ताकि वह बिना प्रशिक्षक की मदद से खुद हवाई जहाज से छलांग लगा सकें।
नम्रता बहुत मेहनती हैं, जहां इस उम्र में लोग काॅलेज की पढ़ाई और मौजमस्ती में रमे होते हैं, वह दिन में छः-सात घंटे क्लासेज करती हैं और बाकी समय अपने व्यवसाय में लगाती हैं। इसी बीच, उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक पूरा कर लिया है। नम्रता क्रिकेट और फुटबाल खिलाड़ियों, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्क्वाएश खिलाड़ियों एवं तैराकों समेत खेल जगत के अनेक व्यक्तित्वों के साथ बाॅलीवुड की कई हस्तियों को फिटनेस ट्रेनिंग देती हैं। उनका स्टूडियो सन् 2011 और उसके बाद के वर्षों में मिस इंडिया प्रतियोगिता का आधिकारिक फिटनेस पार्टनर था। साथ ही वो अपनी पसंदीदा फुटबॉल टीम मुम्बई सिटी एफसी की आधिकारिक पाइलेट कोच थीं। वह अपने समर्पण और प्रतिबद्धता की बदौलत ही पाइलेट्स में करियर बनाने तथा अपने ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करने के साथ-साथ स्टूडियो का संचालन करने में कामयाब हुई हैं। स्टॉट पायलेट एक तरह की फिटनेस ट्रेनिंग है जिसके ज़रिए शरीर के अलग-अलग जोड़ों को मजबूत बनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत कनाडा में हुई थी।
बकौल नम्रता, काम के जज्बे से ही आधी लड़ाई जीत ली जाती है। अनुशासन सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है। कल का इंतजार नही किया जा सकता। आपको अपने समय का बखूबी इस्तेमाल करना होगा, यह सुनिश्चित करना होगा कि सबकुछ नियत हो और बिना देरी किए काम पूरा कर लिए जाएं।
बाजार में बने रहने की अपनी चुनौतियां हैं। नम्रता के अनुसार पाइलेट्स उद्योग की सबसे बड़ी चुनौती है जिम से बाहर किए जा सकने वाले कसरतों के बारे में लोगों को जागरुक बनाना। इस मामले में बहुतेरी भ्रांतियां मौजूद हैं। वह आगे कहती हैं, "जैसा आप समझते हैं, फिटनेस उससे काफी अलग है। इसमें ताकत, लचीलापन, दमखम, धैर्य, ऊर्जा आदि बहुत कुछ शामिल है।"
विगत साल नम्रता ने पाइलेट्स उद्योग में भारी परिवर्तन घटित होते देखा है। पाइलेट अपनाने वालों की तादाद बढ़ रही है। अभी हाल तक लोग मानते थे कि यह मैट आधारित कसरत है और केवल महिलाओं केलिए है। अब यह धारणा टूट रही है, पुरुष भी इसे तेजी से अपना रहे हैं। नम्रता का दावा है कि यह सबसे सुरक्षित कसरत है; आमतौर से सभी लोगों और खासतौर से दुर्घटना में घायल, ओस्टियोपाॅरिसिस, अर्थाराॅइटिस आदि रोगों से ग्रस्त लोगों केलिए बहुत लाभदायक है। वह खुद ही इसकी जीवंत मिसाल हैं।
नम्रता को अपने पिता से काफी प्रेरणा मिली है। यह युवा महिला मुम्बई में कुछ और पाइलेट केन्द्र खोलने के साथ-साथ भारत के प्रमुख शहरों में इसका क्रमिक विस्तार करना चाहती है। वह चाहती हैं कि अपनी पढ़ाई जारी रखें और फिटनेस व अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अपने ज्ञान का विस्तार करें। उन्होंने फिटनेस पर एक किताब लिखी है जिसे वह जल्द प्रकाशित करनेवाली है। लोगों केलिए उनका एक सूत्र है- ’किस’ ( KISSS) - कीप इट सेफ, सिम्पल एंड स्मार्ट।