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देश के लिए एक सैनिक के रूप में लड़ने से लेकर सस्ते हवाई सफर के सपने को हकीकत में बदलने वाले कैप्टेन गोपीनाथ

एयर डेक्कन एक मात्र ऐसी हवाई सेवा थी, जिसने हर मध्यम वर्गीय भारतीय के हवाई यात्रा के सपने को हकीकत में बदला था और ये मुमकिन हो पाया था कैप्टन गोपीनाथ की वजह से।

देश के लिए एक सैनिक के रूप में लड़ने से लेकर सस्ते हवाई सफर के सपने को हकीकत में बदलने वाले कैप्टेन गोपीनाथ

Monday May 01, 2017 , 4 min Read

भारतीय सेना के सफल सैनिक, उद्यमी और एयर डेक्कन के संस्थापक कैप्टन गोपीनाथ कई भूमिकाए एक साथ निभाने वाले व्यक्ति हैं। सशस्त्र बलों में अपने शानदार इतिहास के बाद, उन्होंने एक चार्टर हेलिकॉप्टर सेवा की शुरुआत की, जिसने बाद में भारत को सबसे कम किराये वाली हवाई सेवा एयर डेक्कन दी। बाद में 2007 में पूरे भारत के 69 शहरों को जोड़ने वाली एयर डेक्कन का अधिग्रहण किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा कर लिया गया। अपनी कई परियोजनाओं सहित 1996 में शुरू की गयी डेक्कन एविएशन भारत और श्रीलंका की सबसे बड़ी निजी हवाई चार्टर कंपनीओं में से एक है।

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कैप्टन गोपीनाथ, फोटो साभार: Indiatimesa12bc34de56fgmedium"/>

गोपीनाथ सेना में आठ साल रहे और 1971 में बांग्लादेश को आज़ाद करने वाले भारत पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया। लेकिन हर अच्छे काम का भी एक अंत होता है और उन्होंने समय पूर्व सेवानिवृति ले ली। 28 की उम्र में उन्होंने एक पारिस्थितिक रूप से स्थायी रेशम उद्योग (सेरीकल्चर फार्म) की स्थापना की। इस अभिनव प्रयास के लिए उन्हें 1996 में रोलेक्स पुरस्कार मिला।

कर्नाटक के हसन जिले के एक दूरदराज गांव गोरूर के मूल निवासी गोरूर रामास्वामी अय्यंगार गोपीनाथ अपने माता-पिता की आठ संतानों में दूसरे स्थान पर थे। गोपीनाथ के पिता (जो एक स्कूल शिक्षक थे) ने घर पर उन्हें व्यक्तिगत तौर पर प्रशिक्षित किया था। 1962 में गोपीनाथ ने बीजापुर के सैनिक स्कूल की प्रवेश परीक्षा पास कर ली थी और अंततः ये स्कूल राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) की प्रवेश परीक्षा में उनकी सफलता में मददगार साबित हुआ।

विद्यालय के बाद गोपीनाथ ने भारतीय सेना में कमीशन प्राप्त किया और कैप्टन बने। वे सेना में आठ साल रहे और 1971 में बांग्लादेश को आज़ाद करने वाले भारत पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया। लेकिन हर अच्छे काम का भी एक अंत होता है और उन्होंने समय पूर्व सेवानिवृति ले ली। 28 की उम्र में उन्होंने एक पारिस्थितिक रूप से स्थायी रेशम उद्योग (सेरीकल्चर फार्म) की स्थापना की। इस अभिनव प्रयास के लिए उन्हें 1996 में रोलेक्स पुरस्कार मिला।

1997 में गोपीनाथ ने डेक्कन एविएशन नामक एक चार्टर हेलीकॉप्टर सेवा की सह-स्थापना की। उसके बाद गोपीनाथ ने एक कम किराये वाली एयरलाइन एयर डेक्कन की स्थापना की, जिसका बाद में (2007 में) किंगफिशर एयरलाइंस में विलय हो गया था। 2009 में उन्होंने डेक्कन 360 फ्रेट फ्लाईट बिजनेस की स्थापना की थी, हालांकि बाद में डेक्कन 360 को कुछ कानूनी मुद्दों के कारण कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश से जुलाई 2013 में बंद कर देना पड़ा।

मई 2006 में कैप्टन गोपीनाथ को फ्रांसीसी सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “Chevalier de la Legion d’Honneur” प्रदान किया गया था। उन्होंने एक पुस्तक सिम्पली फ्लाई: ए डेक्कन ओडिसी भी लिखी है, जिसे कोलिन्स बिज़नेस ने 2010 में प्रकाशित किया था। बंगलुरु स्थित कंपनी एयर डेक्कन ने भारतीयों को सस्ती हवाई सेवा देने की शुरुआत की थी। इंडियाटाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने ज्यादातर लंबी दूरी के यात्रियों को लक्ष्य किया था, जिन्हे ट्रेन से यात्रा करने पर कई दिन ट्रेन में ही बिताने पड़ते थे। अपने चरम समय में इस एयरलाइन्स के पास 43 हवाई जहाजों का बेड़ा था, जिससे वो 61 स्थलों के लिए 350 दैनिक उड़ानें संचालित करती थी। ये रिपोर्ट बताती है, कि उड्डयन क्षेत्र के यात्रियों में एयर डेक्कन की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत थी, लेकिन कंपनी को 2007 में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा और यही वो समय था जब विजय माल्या ने हस्तक्षेप किया और एयर डेक्कन का अधिग्रहण कर लिया।

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विजय माल्या के साथ कैप्टन गोपीनाथ, फोटो साभार: Indiatimesa12bc34de56fgmedium"/>

एयर डेक्कन एक मात्र ऐसी हवाई सेवा थी, जिसने हर मध्यम वर्गीय भारतीय के हवाई यात्रा के सपने को हकीकत में बदला था और ये मुमकिन हो पाया था कैप्टन गोपीनाथ की वजह से। देश के लिए लड़ने वाले कैप्टन ने सस्ती हवाई सेवा शुरू करके इतिहास रच दिया था। बाद में कैप्टन ने 2009 और 2014 में लोकसभा चुनाव भी लड़ा, जो कि एक असफल प्रयास साबित हुआ। लेकिन अपने प्रयासों से कैप्टन ने एयरलाइंस के इतिहास में हमेशा-हमेशा के लिए अपना नाम लिख लिया।

-प्रकाश भूषण सिंह