केरल की भागीरथी अम्मा ने 105 साल की उम्र में दी चौथी क्लास की परीक्षा
अपनी 105 साल की उम्र में चौथी क्लास की परीक्षा देकर केरल की भागीरथी अम्मा साक्षरता मिशन के इतिहास में सबसे बुजुर्ग समकक्ष शिक्षा हासिल करने वाली महिला बन गई हैं। पिछले साल 96 साल की कार्तिय्यानी अम्मा ने राज्य में आयोजित साक्षरता परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक हासिल किए थे।
पाराकुलम (केरल) की भागीरथी अम्मा ने 105 साल की उम्र में चौथी क्लास की परीक्षा दी है। वह केरल साक्षरता मिशन के इतिहास में सबसे बुजुर्ग समकक्ष शिक्षा हासिल करने वाली महिला बन गई हैं। जिंदगी की जद्दोजहद ने भले ही लगातार उन्हें पढ़ाई से दूर रखा हो, लेकिन वह अपना सपना कहीं दबाए हुए बैठी थीं। जब मौका मिला तो उन्होंने इसे पूरा करने का सोच लिया। कोल्लम स्थित अपने घर में जब वह चौथी कक्षा के समतुल्य परीक्षा दे रही थीं तो वह महज परीक्षा ही नहीं दे रही थीं, बल्कि पढ़ाई की चाह रखने वाले दुनिया के लोगों के लिए मिसाल कायम कर रही थीं।
पिछले साल 96 साल की कार्तिय्यानी अम्मा ने राज्य में आयोजित साक्षरता परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक हासिल किए थे। उन्होंने 100 अंक में से 98 अंक मिले थे। राज्य के इस साक्षरता मिशन का लक्ष्य अगले चार वर्षों में राज्य को पूरी तरह से साक्षर बनाना है। 2011 के आंकड़े के अनुसार राज्य में 18.5 लाख लोग निरक्षर हैं।
सच है कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। इसकी शुरुआत कभी भी हो सकती है। बस ललक होनी चाहिए। भागीरथी अम्मा के ऊपर मात्र आठ साल की उम्र में अपने भाई-बहनों की जिम्मेदारी नहीं आई होती तो वह आज से 97 साल पहले ही चौथी कक्षा पास कर चुकी होतीं। लेकिन तब न सही, अब देर आए, दुरुस्त आए। इस समय अम्मा की छह संतानें और 16 पोते-पोतियां हैं। नौ साल की उम्र में भागीरथी की मां का निधन हो गया था। इसके बाद भाई-बहनों के पालन-पोषण के लिए उन्होंने कक्षा तीसरी में पढ़ाई छोड़ दी थी। अब, जब उनके सभी बच्चों की शादी हो गई तो उन्होंने केरल साक्षरता मिशन की मदद से परीक्षा दी।
भागीरथी अम्मा की चार बेटियां और दो बेटे हैं। उनके बच्चों में से एक की और 16 पोते-पोतियों में से तीन की मौत हो चुकी है। भागीरथी के पति की मौत 70 साल पहले हो चुकी है। वे हमेशा से पढ़ना चाहती थीं मगर पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण ऐसा नहीं कर सकीं।
साक्षरता मिशन के वसंत कुमार बताते हैं कि अम्मा को लिखने में दिक्कत होती है, इसलिए उन्होंने मलयालम, गणित और पार्यावरण विषय की परीक्षा तीन दिन में दी। इसमें उनकी छोटी बेटी ने भी मदद की। आज भले ही उनकी उम्र 100 के पार है लेकिन आज भी उनकी याद्दाश्त तो ठीकठाक है ही, उन्हें देखने में भी कोई समस्या नहीं होती है। अब भी वह बहुत अच्छे से गा और सुन लेती हैं। अम्मा परीक्षा में हिस्सा लेकर बहुत खुश हैं। भागीरथी अम्मा की शिकायत है कि उन्हें विधवा या वृद्धा पेंशन नहीं मिलती है। उनके पास आधार कार्ड भी नहीं है। अब उन्हें उम्मीद है कि कुछ सुविधा मिलेगी।
अम्मा के इस उम्र में परीक्षा देने के पीछे उनकी कभी न हारने वाली हिम्मत, पढ़ने की जबर्दस्त ललक और केरल राज्य साक्षरता मिशन के सार्थक प्रयास रहे हैं। जब वह चौथी क्लास की परीक्षा देने पहुंची तो स्थानीय गणमान्य लोगों ने अपने हाथों से उन्हें प्रश्नपत्र दिया।
राज्य साक्षरता मिशन के जिला संयोजक सीके प्रदीप कुमार का कहना है कि भागीरथी की परीक्षा रविवार को शुरू हुई और मंगलवार को समाप्त। वे सीखने के इच्छुक लोगों के लिए वास्तव में एक प्रेरणा हैं। उनकी याद करने और सुनने की क्षमता अभी बेहतर है। इससे उन्हें पढ़ाई करने में आसानी हुई। वह मिशन के माध्यम से छूटी पढ़ाई जारी रखने वाली सबसे उम्रदराज छात्रा बन गई हैं। मिशन अशिक्षित, उम्रदराज या पढ़ाई बीच में छोड़ने वालों को आगे पढ़ने में मदद करता है।