भवानी देवी बनीं एशियाई चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय तलवारबाज
भवानी ने क्वार्टर फाइनल में गत विश्व चैंपियन जापान की मिसाकी एमुरा को 15-10 से हराकर इतिहास रचा. सेमीफाइनल में भवानी की भिड़ंत उज्बेकिस्तान की जेनाब डेयिबेकोवा से होगी.
ओलंपियन भवानी देवी ने सोमवार को चीन के वुक्सी में एशियाई तलवारबाजी चैंपियनशिप की महिला सेबर स्पर्धा के सेमीफाइनल में जगह बनाकर इतिहास रच प्रतियोगिता में भारत के लिए पहला पदक सुनिश्चित किया.
भवानी ने क्वार्टर फाइनल में गत विश्व चैंपियन जापान की मिसाकी एमुरा को 15-10 से हराकर इतिहास रचा. सेमीफाइनल में भवानी की भिड़ंत उज्बेकिस्तान की जेनाब डेयिबेकोवा से होगी. भवानी को राउंड ऑफ 64 में बाई मिली थी जिसके बाद अगले दौर में उन्होंने कजाखस्तान की डोस्पे करीना को हराया.
भारतीय खिलाड़ी ने प्री क्वार्टर फाइनल में भी उलटफेर करते हुए तीसरी वरीय ओजाकी सेरी को 15-11 से हराया.
भारतीय तलवारबाजी संघ के महासचिव राजीव मेहता ने भवानी को उनकी एतिहासिक उपलब्धि पर बधाई दी है. मेहता ने कहा, "यह भारतीय तलवारबाजी के लिए बेहद गौरवपूर्ण दिन है. भवानी ने वह किया है जिसे इससे पहले कोई और हासिल नहीं कर पाया. वह प्रतिष्ठित एशियाई चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय तलवारबाज हैं. पूरे तलवारबाजी जगत की ओर से मैं उन्हें बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि वह स्वर्ण पदक लेकर लौटेंगी."
ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय तलवारबाज बनीं भवानी टोक्यो खेलों में राउंड ऑफ 32 से बाहर हो गईं थी.
भवानी देवी के दिवंगत पिता एक पुजारी थे और माँ एक गृहिणी हैं. भवानी हर कदम पर अपने माता-पिता से मिले समर्थन के लिए आभारी हैं. उन्होंने बुधवार को भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा आयोजित मीडिया से बातचीत में कहा, "केवल अपने माता-पिता की वजह से, मैं कठिनाइयों को दूर कर आगे बढ़ने में सफल हुई हूँ."
भवानी देवी ने कहा, “मेरी माँ ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया. वह मुझसे हमेशा कहती हैं, "अगर आज अच्छा नहीं है, तो कल ज़रूर बेहतर होगा. यदि आप 100 प्रतिशत देते हैं, तो आप निश्चित रूप से उसके परिणाम प्राप्त करेंगे."
भवानी देवी ने कहा कि जब ओलंपिक के लिए योग्यता प्राप्त करना दूर का सपना लग रहा था, तब लोगों ने उनसे तलवारबाज़ी जारी रखने से मना कर दिया था, लेकिन उसके माता-पिता ने उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया.
उन्होंने कहा, "जब मेरी रैंकिंग योग्यता के करीब नहीं थी, तो लोग पूछते थे कि वह इतना समय क्यों लगा रही है खेल में. वह एक महिला है, वह शिक्षा प्राप्त कर सकती है और कुछ नौकरी पाने की सोच सकती है. मुझे बाहर से प्रोत्साहन नहीं मिला, लेकिन मेरी माँ और पिता ने मुझे चिंता न करने के लिए कहा.”
Edited by रविकांत पारीक