किसानों और कृषि व्यापारियों के लिए 'फेसबुक और लिंक्डइन' बना रहा है बिहार के इस लड़के का एग्रीटेक स्टार्टअप
गुरुग्राम स्थित एग्रीटेक स्टार्टअप Krishify ने किसानों के लिए एक स्थानीय सोशल नेटवर्किंग, कृषि व्यापार और जानकारी शेयर करने वाला प्लेटफॉर्म विकसित किया है। पिछले महीने, इसने 300 करोड़ रुपये के GMV को पार कर लिया।
"कृषिफाई ऐप किसानों को कई काम करने देता है जैसे, कृषि बाजार में फसलें, मवेशी, खाद, बीज, ट्रैक्टर या अन्य उपकरण खरीदना और बेचना; मिट्टी, फसल, मौसम और खेती संबंधी सलाह प्राप्त करना; पीएम किसान योजना सहित अन्य लाभकारी सरकारी योजनाओं तक पहुंच, मवेशी के डॉक्टरों और पशु चिकित्सकों से जुड़ने, और नेटवर्क और भौगोलिक सीमाओं से परे "प्रगतिशील किसानों" और कृषि विशेषज्ञों के साथ बात करने की भी अनुमित देता है।"
राजेश रंजन अपने IIT खड़गपुर के दिनों से ही एक आंत्रप्रेन्योर रहे हैं। 2014 में, एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले बिहार के इस लड़के ने Dunzo जैसा एक हाइपरलोकल ऐप Instano की स्थापना की, जिसने यूजर्स को आस-पास के स्टोर से खोजने और खरीदारी करने में सक्षम बनाया।
इंस्टानो को 2015 में MagicTiger द्वारा खरीद लिया गया था, जिसके बाद राजेश कंपनी के प्रोडक्ट डिवीजन में शामिल हो गए। बाद में उन्होंने ixigo और Analytics Vidhya में काम किया। YourStory से बात करते हुए वह बताते हैं, "मेरी ताकत डिजिटल प्रोडक्ट तैयार करना और ग्रोथ चैनल को ढूंढना थी।"
2018 के अंत में, राजेश ने भारत में "अगली पीढ़ी के इंटरनेट यूजर्स" के लिए कुछ बनाने के लिए अपनी जॉब छोड़ दी। अप्रैल 2019 तक, राजेश ने अपने IIT-KGP के सीनियर अविनाश कुमार (सह-संस्थापक) और IIT-दिल्ली के पूर्व छात्र मनीष अग्रवाल (सह-संस्थापक) के साथ मिलकर किसानों के लिए एक सोशल नेटवर्किंग, ट्रेडिंग और जानकारी साझा करने वाले प्लेटफॉर्म Krishify शुरू किया।
वे कहते हैं, "शेयरचैट की सफलता ने हमें इस बात का एहसास दिलाया कि ऑडियंस का नया समूह ऑनलाइन आ चुका था।" वे बताते है, "हम भी कुछ खास करना चाहते थे, और कृषि मेरे दिल के करीब थी क्योंकि मैं एक किसान परिवार से हूं।"
एक महीने बाद, मई में, गुरुग्राम स्थित स्टार्टअप ने परिचालन शुरू करने के लिए Orios Venture Partners और Appyhigh से 152,000 डॉलर की सीड फंडिंग जुटाई।
किसानों के लिए वन-स्टॉप नेटवर्किंग समाधान
किसानों को सभी कृषि हितधारकों से जोड़ता है, जिसमें साथी किसान, व्यापारी, वितरक, कृषि उपकरण विक्रेता, पशु चिकित्सक, परिवहन सेवा प्रदाता आदि शामिल हैं।
संस्थापक और सीईओ राजेश बताते हैं,
“किसानों के दर्द को समझने के लिए हमने ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत समय बिताया। मौजूदा बाजार की कंपनियां या तो इनपुट-साइड या सप्लाई चेन के मुद्दों को हल कर रही थीं। हमने समस्या को किसान के जीवनचक्र के दृष्टिकोण से देखा। उन्हें अपनी बदलती जरूरतों के आधार पर कई हितधारकों के साथ काम करना पड़ता है। इसमें फसल या पशु स्वास्थ्य या परिवहन या कैश की आवश्यकताओं से संबंधित कोई भी जरूरत हो सकती है।"
वह बताते हैं,
"चूंकि डिजिटल का जमाना आ चुका था, इसलिए हम पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सकते थे और समस्या को हल करने के लिए उन्हें सही लोगों से जोड़ सकते थे।"
कृषिफाई ऐप किसानों को कई काम करने देता है जैसे, कृषि बाजार में फसलें, मवेशी, खाद, बीज, ट्रैक्टर या अन्य उपकरण खरीदना और बेचना; मिट्टी, फसल, मौसम और खेती संबंधी सलाह प्राप्त करना; पीएम किसान योजना सहित अन्य लाभकारी सरकारी योजनाओं तक पहुंच, मवेशी के डॉक्टरों और पशु चिकित्सकों से जुड़ने, और नेटवर्क और भौगोलिक सीमाओं से परे "प्रगतिशील किसानों" और कृषि विशेषज्ञों के साथ बात करने की भी अनुमित देता है।
इसका OLX जैसा खरीद बिक्री सेक्शन उन किसानों के लिए है जो अपने इस्तेमाल किए गए ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, या मवेशी बेचने की तलाश में हैं। वे अपने प्रोडक्ट को संभावित खरीदारों के लिए लिस्ट कर सकते हैं। खरीदारों को लिस्टिंग से मिलाने के लिए प्लेटफॉर्म एडवांस एल्गोरिदम का उपयोग करता है।
वह बताते हैं, “आपको ऐप पर लिंक्डइन, फेसबुक और ओएलएक्स के फ्लेवर मिलेंगे। लेकिन हम केवल कनेक्शन और बातचीत की ही समस्या को हल कर रहे हैं।” एक ऑनलाइन कृषि समुदाय के निर्माण के अलावा, कृषिफाई वाणिज्य को भी सक्षम बनाता है।
कोई भी कृषि वितरक, खुदरा विक्रेता, या थोक व्यापारी जो सीधे किसानों को बेचना चाहते हैं, वे कृषिफाई दुकान ऐप का इस्तेमाल करके अपना ऑनलाइन स्टोर स्थापित कर सकते हैं। वे देश भर के लाखों किसानों को बेचने के लिए बीज, कीटनाशक, उर्वरक, और जैव उत्पादों से लेकर नर्सरी, पशु चारा और कृषि मशीनरी तक सब कुछ सूचीबद्ध कर सकते हैं।
किसानों को उनकी फसलों, मवेशियों, भूगोल, या अन्य विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर एक क्यूरेटेड और व्यक्तिगत सूचना फीड भी प्राप्त होती है।
विकास और व्यापार मॉडल
लगभग दो वर्षों में, कृषिफाई ने 30 लाख किसानों का एक नेटवर्क बनाया है, जिनमें से 16 लाख से अधिक वीकली एक्टिव यूजर हैं। पिछले अक्टूबर में डेयरी और पशु व्यापार को कैटेगरीज के रूप में पेश करने के बाद से, इसका किसान-नेटवर्क दोगुना से अधिक हो गया है।
राजेश कहते हैं,
“मवेशी व्यापार की शुरुआत के साथ, अब किसान के पास कृषिफाई ऐप डाउनलोड करने के और भी कारण हैं। पशु स्वास्थ्य के मुद्दों के साथ स्थानीय किसानों की मदद करने में पशु चिकित्सकों का अपना निहित स्वार्थ है। रिटेलर्स और सेलर्स के भी अपने निहित स्वार्थ होते हैं। हम लोगों के सही सेट के बीच बातचीत चला रहे हैं।”
स्टार्टअप का दावा है कि महामारी के बाद से उसके सभी वर्टिकल महीने-दर-महीने 40 प्रतिशत बढ़े हैं। मई 2021 में, प्लेटफॉर्म ने 300 करोड़ रुपये का GMV (Gross merchandise volume) देखा। यह 12 से 18 महीनों में 10 मिलियन उपयोगकर्ताओं और 300-400 मिलियन डॉलर के GMV को छूने की कोशिश कर रहा है।
जहां किसानों के लिए यह प्लेटफॉर्म फ्री है, तो वहीं कृषिफाई उपकरण विक्रेताओं और कृषि इनपुट प्रदाताओं के माध्यम से हर ऑर्डर पर लेनदेन शुल्क लेकर इसका मोनेटाइजेशन कर रहा है। यह ग्रामीण ऋण और बीमा वितरित करने वाली कृषि वित्त कंपनियों के साथ भी काम कर रहा है।
अधिकांश किसान हिंदी भाषी राज्यों से आते हैं, लेकिन कृषिफाई की योजना मराठी, तेलुगु, कन्नड़, गुजराती, बंगाली और पंजाबी जैसी स्थानीय भाषाओं को भी जोड़ने की है।
वह कहते हैं, "भाषा इंटरफेस की स्पष्ट मांग है। ज्यादातर किसान अशिक्षित हैं। इसलिए, हमने वॉयस-टू-टेक्स्ट रूपांतरण सुविधाएं भी सक्षम की हैं।"
फंडिंग और इंडस्ट्री ओवरव्यू
फरवरी 2021 में, कृषिफाई ने इम्पैक्ट इन्वेस्टर अंकुर कैपिटल, मौजूदा निवेशक ओरियोस वेंचर पार्टनर्स और अन्य के नेतृत्व में प्री-सीरीज ए राउंड में 2.7 मिलियन डॉलर जुटाए। स्टार्टअप इस साल के अंत में अपने सीरीज ए राउंड को क्लोज करना चाह रहा है।
अंकुर कैपिटल के मुताबिक, “कृषिफाई का कृषि नेटवर्क न केवल स्थानीय नेटवर्क के लिए ऑप्टिमाइजेशन ऑफर करता है, बल्कि किसानों और व्यापारियों को दूर-दराज के अवसरों का लाभ उठाने की भी अनुमति देता है। वाणिज्य सुविधाओं के साथ नेटवर्किंग इस पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बड़े पैमाने पर क्षमता प्रदान करती है।"
राजेश कहते हैं कि भारत में 500 मिलियन से अधिक किसान और एग्री इकोसिस्टम कंपनियां हैं। वह कहते हैं, "इसमें से कम से कम 20 प्रतिशत को अगले 3-4 वर्षों में हमारे प्लेटफॉर्म पर सक्रिय होना चाहिए।"
इसके अलावा, IBEF के अनुसार, भारत की 60 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। हालांकि, अधिकांश कृषि व्यापार असंगठित और गैर-पारदर्शी है।
कृषि बाजार, मेरा किसान, क्रोफार्म, कृषिहब, देहात, बीजक, सतसुरे जैसे साथियों के साथ कृषिफाई जैसे नए जमाने के एग्रीटेक स्टार्टअप पहेली के विभिन्न टुकड़ों को हल कर रहे हैं। उनका अंतिम लक्ष्य बिचौलियों को खत्म करना और कृषि मूल्य श्रृंखला में समस्याओं को कुशलतापूर्वक, स्थानीय और लागत प्रभावी ढंग से हल करना है।
राजेश कहते हैं,
"किसानों को 360 डिग्री के नजरिए से समझना समय की जरूरत है। टेक्नोलॉजी के साथ संयुक्त समुदाय हमारा दृष्टिकोण है। हमारी यूएसपी यूजर्स का हमसे जुड़ा रहना है; अधिकांश किसान हमारे आजीवन उपयोगकर्ता बन जाएंगे। हम बहुत ही लक्षित और कुशल तरीके से कृषक समुदाय के लिए प्रवेश द्वार का निर्माण कर रहे हैं।”
Edited by Ranjana Tripathi