बिहार पुलिस अधिकारी द्वारा यातायात उल्लंघन का अनोखा समाधान, नहीं काटते हैं चालान
बिहार के मोतिहारी शहर के मुकेश चंद्र कुंवर हेलमेट नहीं होने के कारण वाहन चालको का चालान नहीं करते अपितु उन्हें चेकपोस्ट के पास लगी हेलमेट की दुकान का रुख कराते हैं।
नव सुधार कृत मोटर यान अधिनियम (Motor Vehicle Act) शहर में चर्चा का विषय हो गया है, खासकर तब जब वाहन चालकों को छोटी से छोटी गलती पर कड़ा दंड दिया जा रहा है।
एक ट्रक चालक पर भारी भरकम 1,40,000 रुपये दंड भरने से लेकर एक यात्री का 23000 रुपये चालान के लिए अपने 15000 रुपये का स्कूटर छोड़ने तक, ऐसे ढेरों मामले देशभर से उजागर हो रहे हैं। जबकि गुजरात, उत्तराखंड और अन्य राज्यों ने यात्रियों पर भारी जुर्माने की राशि को घटाया है, लेकिन इन सब अराजक खबरों के बीच बिहार के मोतिहारी शहर के एक पुलिस अधिकारी अपने चालान काटने के अनोखे तरीके के लिए चर्चा का विषय बने हुए हैं।
छतौनी पुलिस स्टेशन के एसएचओ मुकेश चंद्र कुंवर ने यातायात नियमों की अवहेलना करने वालों की मदद करने के लिए अनोखी पहल की है।
पीटीआई से बात करते हुए कुंवर ने कहा
"अगर कोई मोटरयान चालक बिना हेलमेट के बिना बीमा के कागजात के बाहर चलते पकड़ा जाता है तब उसे दंडित नहीं किया जाएगा बल्कि इसके बदले अवहेलना करने वालों को नजदीकी चेकप्वाइंट के पास हेलमेट विक्रेता या बीमा एजेंसी के पास भेजा जाएगा।"
साथ ही उन्होंने ये भी कहा,
"मैंने कुछ हेलमेट विक्रेताओं और बीमा एजेंटों को अनुबंधित किया जिन्होंने जांच केंद्र के नजदीक ही अपना स्टॉल लगाया है। चालकों से दंड नहीं वसूला जा रहा है क्योंकि ऐसा करने पर उन्हें एक अपराधी जैसा महसूस होगा। इसके बदले उन्हें हेलमेट खरीदने एवं बीमा नवीनीकरण करने के लिए कहा जा रहा है।"
इसके अतिरिक्त एसएचओ ने डाइरेक्ट ट्रांसपोर्ट अधिकारी से दूसरे अधिकारी को नियुक्त करने का अनुरोध किया है, जो कि मौके पर हीं नवसीखिया अनुज्ञप्ति पत्र जारी कर दें।
मिंट पर प्रकाशित सूचना के अनुसार, यह पुलिस अधिकारी लोगों के मन में विश्वास पैदा करने का काम कर रहे हैं, जो अन्यथा यह सोचते हैं कि संशोधित मोटर यान अधिनियम ने ट्रैफिक पुलिस को लूटेरा बना दिया है। जब उनसे इस सोच के बारे में पूछा गया, तो कुंवर ने कहा,
"मैंने इस शहर के समृद्ध गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा ली और इस योजना के साथ आया जो कि हमें संशोधित विधेयक के उद्देश्यों की पूर्ति करने में मानवीय लेकिन कारगर रूप से मदद करेगा। और यह भी कि यदि हमने किसी को नशे के हालत में वाहन चलाते पाया तो हमारे पास सिवाय उनके खिलाफ कार्यवाई करने के कोई और विकल्प नहीं होगा, क्योंकि बिहार में शराब पर पूर्णतः प्रतिबंध है।"