ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण
ओडिशा के चांदीपुर से किया परीक्षण
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के चांदीपुर में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का मंगलवार सुबह सफल परीक्षण किया है।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, जमीन पर मार करने में सक्षम इस मिसाइल का मोबाइल ऑटोनॉमस लांचर से सुबह करीब साढ़े आठ बजे चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज में लांच कॉम्प्लेक्स-3 से परीक्षण किया गया।
डीआरडीओ के एक सूत्र ने बताया है कि
"सतह से सतह पर मार करने में सक्षम मिसाइल का परीक्षण परीक्षण सभी मापदंडों पर खरा रहा है।"
ब्रह्मोस मिसाइल मध्यम दूरी तक मार करने वाली रामजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी, जहाज, लड़ाकू विमान के साथ ही जमीन से लांच किया जा सकता है। यह सफलता भारत के लिए बेहद खास है, क्योंकि आज चीन और पाकिस्तान के साथ भी कोई ऐसी मिसाइल नहीं है, जिसे जमीन, हवा और पानी तीनों जगह से लांच किया जा सके। इस मिसाइल को और बेहतर बनाने के लिए भारत और रूस मिलकर काम कर रहे हैं।
इस खास मिसाइल को भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया ने एक साथ मिलकर विकसित किया है। ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है।
ब्रह्मोस मिसाइल ध्वनि से तीन गुनी रफ्तार पर निशाने की ओर बढ़ती है, ऐसे में दुश्मन को संभलने तक का मौका नहीं मिलता है। ब्रह्मोस की यही खूबी उसे सब मिसाइलों से अलग खड़ा करती है। ब्रह्मोस मिसाइल की खास बात यह है कि इसे दिन और रात किसी भी समय दागा जा सकता है। साथ ही रैमजेट इंजन की मदद से इस मिसाइल की मारक क्षमता को 3 गुना तक बढ़ाया जा सकता है।
इसी साल ब्रह्मोस मिसाइल को सुखोई-30 विमान के साथ जोड़कर सफल परीक्षण किया गया था, जिसके बाद सरकार ने 40 से अधिक सुखोई लड़ाकू विमानों को ब्रह्मोस मिसाइल से लैस करने का निर्णय लिया था।
ब्रह्मोस मिसाइल का पहला सफल परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था। इसके बाद उड़ीसा के चांदीपुर रेंज में 27 दिसंबर 2002 को ब्रह्मोस का दूसरा सफल परीक्षण किया गया। तब से ब्रह्मोस के साथ हो रहे लगातार परीक्षणों से ब्रह्मोस लगातार बेहतर होती चली गई है।