यहां जानिए Budget की ABCD, आसान भाषा में समझें बजट से जुड़े शब्दों का मतलब
अगर आपको भी बजट से जुड़े शब्दों को समझने में दिक्कत होती है तो आइए आपको आसान भाषा में बताते हैं इन शब्दों का मतलब.
जब भी बजट (Budget 2023) आता है तो हर शख्स उसे देखना चाहता है, लेकिन बजट में कई ऐसे शब्द होते हैं जिन्हें लोग नहीं समझ पाते. अगर आपको भी बजट से जुड़े शब्दों को समझने में दिक्कत होती है तो आइए आपको आसान भाषा में बताते हैं इन शब्दों का मतलब. आइए जानते हैं बजट की पूरी ABCD, यानी A से Z तक सब कुछ.
सबसे पहले समझिए क्या होता है Budget
अगर सरकार की तरफ से जारी किए जाने वाले यूनियन बजट की बात करें तो इसमें सरकार बताती है कि वह कितने पैसे कहां खर्च करेगी. यह ठीक वैसा ही है जैसे हम अपने घर के राशन के लिए बजट बनाते हैं कि कितने पैसे खर्च होंगे.
Fiscal Deficit
राजकोषीय घाटा सरकार की कुल आय और खर्चों के अंतर को कहा जाता है. अगर आय कम होती है और खर्चे अधिक तो इसे राजकोषीय घाटा कहते हैं. वहीं अगर आय अधिक होती है और खर्चे कम तो उसे Fiscal Surplus कहते हैं.
Financial Year & Assessment Year
फाइनेंशियल ईयर 1 अप्रैल से शुरू होता है और 31 मार्च को खत्म होता है. वहीं दूसरी ओर असेसमेंट ईयर फाइनेंशियल ईयर का अगला साल होता है. जैसे 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 अगर फाइनेंशियल ईयर है तो असेसमेंट ईयर 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2017 तक होगा.
Economic Survey
बजट आने से एक दिन पहले सरकार की तरफ से Economic Survey पेश किया जाता है. इसमें बताया जाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था पिछले साल कैसी रही. साथ ही ये बताते हैं कि किस सेक्टर में कैसा ट्रेंड देखा गया. देखा जाए तो इकनॉमिक सर्वे एक तरह से बीते हुए साल का हिसाब-किताब होता है.
Current Account Deficit
ये दूसरे देशों को बेचे गए सामान यानी निर्यात से आए पैसे और दूसरे देशों से सामान खरीदने यानी आयात पर खर्च हुए पैसों के बीच का अंतर होता है. अगर आयात ज्यादा होता है और निर्यात कम तो ऐसी स्थिति में चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit) होता है. वहीं अगर निर्यात से आए पैसे आयात में गए पैसों से अधिक होते हैं तो उसे करंट अकाउंट सरप्लस कहा जाता है.
Disinvestment
अगर सरकार अपनी किसी कंपनी की कुछ हिस्सेदारी या पूरी हिस्सेदारी बेच देती है तो इसे विनिवेश (Disinvestment) कहा जाता है. इस तरह से सरकार कुछ पैसे जुटाती है. कुछ समय पहले ही भारत सरकार ने एयर इंडिया का विनिवेश किया है. इस कंपनी को सरकार ने 18 हजार करोड़ रुपये में टाटा ग्रुप को बेचा है.
Direct Tax
ये वो टैक्स होता है जो सरकार देश की जनता से सीधे तौर पर वसूलती है. इनकम टैक्स एक तरह का डायरेक्ट टैक्स है.
Indirect Tax
ये वो टैक्स होते हैं जो सरकार सीधे तौर पर नहीं वसूलती. जीएसटी अप्रत्यक्ष कर यानी Indirect Tax होता है, क्योंकि वह सरकार आपसे अप्रत्यक्ष रूप से लेती है.
GDP
जीडीपी यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट किसी भी देश में उत्पादन की जाने वाले सभी प्रोडक्ट और सेवाओं का मूल्य होता है, जिन्हें किसी के द्वारा खरीदा जाता है. इसमें रक्षा और शिक्षा में सरकार की तरफ से दी जाने वाली सेवाओं के मूल्य को भी जोड़ते हैं, भले ही उन्हें बाजार में नहीं बेचा जाए. यानी अगर कोई शख्स कोई प्रोडक्ट बनाकर उसे बाजार में बेचता है तो जीडीपी में उसका योगदान गिना जाएगा. वहीं अगर वह शख्स प्रोडक्ट बनाकर उसे ना बेचे और खुद ही इस्तेमाल कर ले तो उसे जीडीपी में नहीं गिना जाएगा. जानकारी के लिए बता दें कि कालाबाजारी और तस्करी जैसी चीजों की भी गणना जीडीपी में नहीं होती.
Long Term Capital Gains
कैपिटल गेन किसी पुराने निवेश की बिक्री से होने वाला मुनाफा होता है. इस पर जो टैक्स लगता है उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स कहा जाता है. मान लीजिए कि आप कोई 1 लाख रुपये का घर खरीदते हैं और कुछ साल बाद उसे 4 लाख रुपये में बेच देते हैं तो आपको 3 लाख रुपये का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होगा. इसी तरह छोटी अवधि में होने वाले मुनाफे को Short Term Capital Gain कहा जाता है. शेयरों के मामले में 1 साल की अवधि और रीयल एस्टेट में 2 साल की अवधि को लॉन्ग टर्न कैपिटल गेन कहा जाता है.
VAT
GST आने के बाद अधिकतर चीजों के ऊपर से इस अप्रत्यक्ष कर को हटा दिया गया है. हालांकि, पेट्रोल-डीजल पर अभी भी VAT यानी Value Added Tax लगता है और इससे तमाम राज्य खूब पैसे कमाते हैं.
Custom Duty & Excise Duty
कस्टम्स ड्यूटी वह चार्ज होता है जो देश में आयात होने वाले सामान पर लगाया जाता है. वहीं दूसरी ओर एक्साइज ड्यूटी वह चार्ज होता है जो देश के भीतर बनाए जाने वाले सामान पर लगाया जाता है.