भारतीय कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायेरक्टर्स में महिलाओं की संख्या बढ़कर हुई 18 फीसदी
कंसल्टिंग फर्म ‘ईवाई’ की रिपोर्ट के मुताबिक 2013 से 2022 तक भारतीय कंपनियों के निदेशक मंडल में महिलाओं की हिस्सेदारी छह फीसदी बढ़ी.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की साल 2022 की रिपोर्ट कहती है कि पूरी दुनिया में जेंडर बराबरी का लक्ष्य हासिल करने में हमें अभी 132 साल लगेंगे. लेकिन इतने समय में भी यह लक्ष्य तभी पूरा होगा, जब धीमी गति से ही सही, लेकिन हम दिशा में लगातार अपने कदम बढ़ा रहे हों.
भारत में हाल ही में आई एक रिपोर्ट धीमी गति से हो रहे इस बदलाव की ओर इशारा कर रही है. इस रिपोर्ट के मुताबिक इस साल भारतीय कंपनियों के निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत बढ़कर 18 फीसदी हो गया है.
10 साल पहले यह आंकड़ा 12 फीसदी था. यानी पिछले 10 सालों में हमने छह फीसदी की बढ़त हासिल की है. रफ्तार हालांकि बहुत धीमी है, फिर भी यह रिपोर्ट थोड़ी उम्मीद तो जगाती है.
एक जानी-मानी कंसल्टिंग फर्म ‘ईवाई’ ने यह रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट कह रही है कि वर्ष 2013 से लेकर 2022 तक भारतीय कंपनियों के निदेशक मंडल में महिलाओं की हिस्सेदारी में छह फीसदी की इजाफा हुआ है और यह बढ़कर 18 फीसदी हो गई है.
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) में महिलाओं की 18 फीसदी हिस्सेदारी के बावजूद भारत अभी भी दुनिया के कई विकसित देशों के मुकाबले बहुत पीछे है. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड, आइसलैंड और डेनमार्क जैसे देशों में संसद से लेकर कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स तक में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत कहीं ज्यादा है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस की कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी का प्रतिशत 44.5 है. ईवाई की इस रिपोर्ट में सबसे ऊपर फ्रांस ही है. फ्रांस के बाद दूसरे नंबर पर है स्वीडन, जहां की कंपनियों में महिला डायरेक्टर्स का प्रतिनिधित्व 40 फीसदी है. नॉर्वे में यह अनुपात 36.4 फीसदी है. नॉर्वे के बाद अगला नंबर कनाडा का है, जहां कंपनियों में 35.4 फीसदी डायरेक्टर्स महिलांए हैं.
ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का नंबर कनाडा के बाद आता है. ब्रिटेन में 35.3 फीसदी डायरेक्टर्स महिलाएं हैं और ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं का यह प्रतिशत 33.5 फीसदी है.
दुनिया के सबसे अमीर और ताकतवर मुल्क में शुमार होने के बावजूद अमेरिकी कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायेरक्टर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत बहुत कम है, जहां सिर्फ 28.1 फीसदी महिलाएं उस ऊंची पोजीशन तक पहुंची हैं. सिंगापुर में 20.1 फीसदी महिलाएं बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का हिस्सा हैं.
ईवाई फर्म ने इस रिपोर्ट के लिए निफ्टी की 500 कंपनियों का अध्ययन किया है. इन 500 कंपनियों में कुल मिलाकर साढ़े चार हजार के करीब निदेशक हैं, जिनमें 18 फीसदी महिलाएं हैं.
अब सवाल ये उठता है कि महिला निदेशकों की संख्या में पिछले 10 सालों में हुई इस बढ़ोतरी का श्रेय किसे जाना चाहिए. क्या हमारे समाज में व्याप्त जेंडर पूर्वाग्रह कम हो रहे हैं या इसकी वजह 2011 में आया वह कंपनी एक्ट है, जिसमें निफ्टी के तहत आने वाली हर कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में एक महिला सदस्य का होना अनिवार्य कर दिया गया था.
उसके बाद से हुए कई सर्वे और आंकड़े लगातार महिला बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की संख्या में हुई बढ़ोतरी की ओर इशारा कर रहे हैं, 18 फीसदी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स होने के बावजूद आज भी कंपनियों में महिला सीईओ, चेयरपर्सन या कंपनी हेड की संख्या सिर्फ 5 फीसदी है.
Edited by Manisha Pandey