किस्मत ने जिनको तबाह कर दिया, उन दो महिला किसानों के स्टार्टअप को न्यूयॉर्क में मिला पुरस्कार
दो साधारण सी किसान गोदावरी और कमल मिलकर अब हजारों अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में सहायता कर रही हैं। हाल ही में, एसएसपी भारत का एकमात्र संगठन था, जिसे इक्वेटोर अवार्ड 2017 से नवाजा गया था। वे पुरस्कार पाने के लिए विभिन्न देशों के 15 अन्य विजेताओं में शामिल थे।
गोदावरी ने हजारों महिलाओं के किसानों को इकट्ठा करने और खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए सब्जियों और खाद्य फसलों का विकास किया। एक साल बाद उन्होंने महिलाओं के आर्थिक और नेतृत्व कौशल के विकास पर काम करने के लिए पहली महिला महासंघ की स्थापना की। आज इस फेडरेशन में 5000 से ज्यादा सदस्य हैं।
दूसरी ओर कमल की मुहिम चूड़ियां बेचने के एक छोटे से व्यवसाय के साथ शुरू हुई। उन्होंने स्वयं सहायता समूह के लोगों को ग्रीन एनर्जी और जलवायु नेटवर्क में शामिल करवाकर अपना जीवन बदल दिया। सबसे पहले उन्होंने एक स्वच्छ ऊर्जा व्यापार के साथ शुरुआत की।
गोदावरी डांगे की शादी तब हुई जब वह 15 वर्ष की थीं। उनके दो बच्चे थे, और जब वे अभी भी बहुत छोटे थे, तो उसने अपने पति को एक दुर्घटना में खो दिया। उस समय एक साल तक के लिए उसके भविष्य के लिए कोई उम्मीद नहीं थी। उनको मजबूरी में अपने पति का घर भी छोड़ना पड़ा। वह केवल कक्षा 7 तक पढ़ी थीं। उनको समझ नहीं आ रहा था कि इतनी कम पढ़ाई में उन्हें नौकरी कैसे मिलेगी। आगे कहां जाना था, क्या करना था कुछ भी स्पष्ट नहीं था। गोदावरी के ही जीवन की ही तरह एक और महिला का भी जीवन डांवाडोल हो रहा था। गोदावरी की तरह, कमल कुंभार भी सिर्फ घर के कामों तक ही सीमित थीं। जिस तरह से उनका जीवन जा रहा था, ऐसा लग रहा था कि वह सारी जिंदगी ही खेतों में मजदूरी करती रह जाएंगी।
हालांकि वो दोनों पहले कभी नहीं मिले थे। उस समय तो गोदावरी और कमल को ये भी नहीं पता था कि उनकी यात्राएं कितनी समान थीं। गोदावरी महाराष्ट्र के सबसे खतरनाक क्षेत्रों में से एक में रहती थीं। वहीं पर वह स्वयं शिक्षण प्रयोग (एसएसपी) द्वारा एक महिला स्वयं सहायता समूह का एक हिस्सा बन गई। यहां उन्हें प्रशिक्षण मिला जिसने उनका जीवन बदल दिया। अन्य महिलाओं के साथ उनके निरंतर संपर्क के माध्यम से गोदावरी ने बहुत सारी जरूरी बातें सीखीं। कॉम्यूनिकेशन स्किल, खेती की उन्नत तकनीकें और नेतृत्व कौशल के बारे में और ज्यादा जानकरियां हासिल करने के लिए वह जल्द ही विभिन्न स्वयं सहायता समूह में अन्य महिलाओं को जुटाने लगी। गोदावरी ने जल्द ही स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता और आजीविका जैसे कई अनिवार्य मुद्दों पर विशेषज्ञता हासिल कर लीं।
हजारों की लीडर गोदावरी, कमल-
गोदावरी बताती हैं कि महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित जिलों में कैसे उन्होंने जानवरों की तरह जीवित लोगों को देखा। उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था और स्वयं को जिंदा रखने का भी कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। 2012 से 2015 तक मराठवाड़ा क्षेत्र में गंभीर सूखा पड़ा है। संकट से निपटने के लिए एक उपाय के रूप में, गोदावरी ने हजारों महिलाओं के किसानों को इकट्ठा करने और खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए सब्जियों और खाद्य फसलों का विकास किया। एक साल बाद उन्होंने महिलाओं के आर्थिक और नेतृत्व कौशल के विकास पर काम करने के लिए पहली महिला महासंघ की स्थापना की। आज इस फेडरेशन में 5000 से ज्यादा सदस्य हैं।
दूसरी ओर कमल की मुहिम चूड़ियां बेचने के एक छोटे से व्यवसाय के साथ शुरू हुई। उन्होंने स्वयं सहायता समूह के लोगों को ग्रीन एनर्जी और जलवायु नेटवर्क में शामिल करवाकर अपना जीवन बदल दिया। सबसे पहले उन्होंने एक स्वच्छ ऊर्जा व्यापार के साथ शुरुआत की। जिसकी सफलता ने उन्हें जमीन खरीदने और उसे अपना खेत 1 से 5 एकड़ तक बढ़ाने के लिए सक्षम किया। और यह केवल एकमात्र व्यवसाय नहीं था, जिसमें वो सफल रहीं। इसके अलावा उनके पास कई कृषि-संबद्ध और नवीकरणीय ऊर्जा व्यवसाय चल रहे हैं। एक और बड़ी उपलब्धि उनके हाथ है। उन्होंने सौर ऊर्जा वाले उपकरणों के साथ 3,000 से अधिक घरों को रोशनी मुहैया कराया है। आज वह 37 साल की हैं और 3000 ग्रामीण महिलाओं के लिए एक गुरु हैं। वो गांवों में उन्हें छोटे व्यवसाय शुरू करने में मदद करती हैं।
आशा और प्रेरणा की मिसाल-
स्वयं शिक्षण प्रयोग की सहायता से वो जमीनी स्तर पर महिलाओं के सामूहिक अधिकारों को शक्ति प्रदान करती हैं। दो साधारण सी किसान गोदावरी और कमल मिलकर अब हजारों अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में सहायता कर रही हैं। हाल ही में, एसएसपी भारत का एकमात्र संगठन था, जिसे इक्वेटोर अवार्ड 2017 से नवाजा गया था। वे पुरस्कार पाने के लिए विभिन्न देशों के 15 अन्य विजेताओं में शामिल थे। इसे प्राप्त करने के लिए, उन्होंने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को गोदावरी और कमल को भेजा। संगठन ने अपने जलवायु-लचीला खेती मॉडल के लिए यह पुरस्कार प्राप्त किया, जो कि विभिन्न अभिनव प्रथाओं के माध्यम से सीमांत खेती वाले परिवारों के लिए कृषि व्यवहार्य बनाता है।
पुरस्कार मिलने के बाद गोदावर उत्साहित होकर कहती हैं, यह एक बहुत बड़ा पुरस्कार है और मैं बहुत खुश हूं कि हम सूखा प्रभावित क्षेत्र में खेती को संभव बनाने में सक्षम हैं। यह हमारी समूह की महिलाओं की वजह से है क्योंकि सबके साथ से ही हम ऐसा करने में सक्षम हो सके।
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