अॉरगेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने कि लिए जयराम ने छोड़ दी वकालत और बन गये किसान
अॉरगेनिक खेती से जयराम वार्षिक तौर पर प्राप्त कर रहे हैं 6 करोड़ का टर्नओवर...
34 सालों तक वकालत करने के बाद जयराम ने चार अलग-अलग उद्यमों के माध्यम से अॉरगेनिक फार्मिंग (जैविक खेती) के लिए अपने जुनून की शुरुआत की है। नीलमंगलला में जैविक खेती, बेंगलुरु में खुदरा स्टोर व रेस्तरां और कूर्ग में एक होम-स्टे के साथ 68 वर्षीय जयराम 'भूले बिसरे देसी खाद्य' को फिर से लोगों तक पहुँचाने के लिए अॉरगेनिक फार्मिंग का सहारा लेते हुए प्रयासरत हैं...
बाएं- बेंगलुरु में जैविक खुदरा स्टोर और दाएं जयराम।a12bc34de56fgmedium"/>
वकील से जैविक किसान बने जयराम, जिन्हे एक समय में कर्नाटक राज्य में मोटर के सबसे अधिक मामले दर्ज करने के लिए जाना जाता था, आज जैविक खेती के अगुआ और ध्वज वाहक हैं। 34 वर्षों तक कानून की वकालत करने के बाद, आज वह नेलमंगला में एक जैविक फार्म, बेंगलुरु शहर में एक जैविक खाद्य के खुदरा स्टोर और कार्बनिक भोजन परोसने वाले रेस्तरां का संचालन करने के साथ ही कूर्ग में एक स्टेहोम भी चलाते हैं।
बेंगलुरू के केंद्र में स्थित होने के बावजूद, ‘द ग्रीन पाथ इको रेस्तरां’ ने शहर के जीवन की हलचल के लिए अपने दरवाजे को मजबूती से बंद कर रखा है और अपने यहां एक शांत एवं सौम्य वातावरण स्थापित किया है। शांत आंतरिक साज-सज्जा, पुनर्नवीनीकृत फर्नीचर, इनडोर पौधे बिक्री के लिए अलमारियों में रखे बाजरे के साथ तैयार दिखते हैं। इसका पूरा परिवेश रेगिस्तान में नख़लिस्तान जैसा है। जयराम की इस तीन मंजिला इमारत में कोई एयर कंडीशनर नहीं है, लेकिन फिर भी यहां रहस्यमय तरीके से गर्मियों में खुद को ठंडा रखने का इंतजाम है। वकील से जैविक किसान बने जयराम जैविक खेती के अगुआ और ध्वज वाहक हैं। जयराम को एक समय में कर्नाटक राज्य में मोटर के सबसे अधिक मामले दर्ज करने के लिए जाना जाता था। 34 वर्षों तक कानून की वकालत करने के बाद, आज वह नेलमंगला में एक जैविक फार्म, बेंगलुरु शहर में एक जैविक खाद्य के खुदरा स्टोर और कार्बनिक भोजन परोसने वाले रेस्तरां का संचालन करने के साथ ही कूर्ग में एक स्टेहोम भी चलाते हैं।
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तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमाओं पर के एक छोटे से गांव से आने वाले जयराम का बचपन बहुत आसान नहीं था। उनके माता-पिता, अलग-अलग जातियों से संबंद्ध रखते हैं। उन्होंने अपने परिवार की मर्जी के विरुद्ध शादी कर ली थी, जिसके चलते उन्हें उनके परिवार से अलग कर दिया गया था। जयराम और उनके दो छोटे भाई अपने पैतृक परिवार के साथ बिना किसी संपर्क या बातचीत के बड़े हुए हैं। खेती में वे अपने माता-पिता की मदद किया करते थे और इन्ही शुरूआती यादों ने जयराम को आगे चलकर खेती करने के लिए प्रेरित किया। जयराम याद करते हुए बताते हैं,
"मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद, मेरी मां हमारी पढ़ाई को लेकर बहुत ही सजग थीं और इसलिए उन्होंने हमें पास के सरकारी स्कूल में दाखिला दिलवा रखा था, इस तरह हम अच्छी तरह से शिक्षित हुए।"
जयराम की शुरुआती स्कूली शिक्षा उनके अपने गांव में ही हुयी थी और बाद में उनकी प्रतिभा को देख कर उनके माता-पिता ने उन्हें गांव के बाहरी इलाके में स्थित एक स्कूल में स्थानांतरित कर दिया था, लेकिन समाज द्वारा स्वीकार नहीं किये गए उनके परिवार के इस लड़के का भविष्य स्पष्ट नहीं था। ऐसे में अपने परिवार को सामाजिक स्वीकृति दिलाने के लिए जयराम ने अपनी महाविद्यालय की शिक्षा बेंगलुरु से करने का फैसला लिया।
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1972 में युवा जयराम बेंगलुरु शहर आने के बाद एक सामुदायिक छात्रावास में रहे। जहाँ उनके बोर्डिंग और लॉजिंग के साथ ही उनके भोजन का भी प्रबंध था। वे कहते हैं,
"हमें 55 रुपए वार्षिक शुल्क का भुगतान करना पड़ता था जो उस समय एक बड़ी रकम थी। मेरे कॉलेज के प्रिंसिपल मेरे अंक और मेरी पीछे की जीवन-यात्रा से बहुत प्रभावित थे और उन्होंने जोर दिया कि मुझे मुख्यधारा में अपना भविष्य बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इसलिए मैंने रेणुकाचार्य कॉलेज में कानून की पढ़ाई के लिए दखिला ले लिया। इसका मतलब ये भी था, कि मैं तब सभी जाति के उत्पीड़न और उन दुरूह स्थितिओं जिनका सामना मुझे, मेरे परिवार और मेरे जैसे तमाम लोगों को करना पड़ा था, के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकता था।"
कानून की पढ़ाई के बाद जयराम ने अपने करियर की शुरुआत उन वकीलों की मदद करके की, जिनके पास सफल मामलों की विरासत थी। उनके द्वारा मार्गदर्शन और सुझाव दिए जाने के बाद, अंततः उन्होंने अपनी फर्म शुरू की और मोटर मामलों के शहर में एक अग्रणी वकील बन गए। वे मुस्कुराते हुए बताते हैं,
"एक समय पर, मेरे नीचे 30 वकील काम करते थे। कानून में मेरे पास एक सफल कैरियर था।"
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द ग्रीन पाथ का बेंगलुरु स्थित रेस्टोरेंटa12bc34de56fgmedium"/>
करिअर में शुरुआती सफलता का मतलब वित्तीय स्थिरता था, लेकिन जयराम रुकने वाले कहां थे। 1998 में उन्होंने कैरियर का एक साहसी फैसला लिया और अपनी अच्छी खासी चलती हुयी वकालत छोड़ दी। उन्होंने नीलमंगल में आठ एकड़ का एक भूखंड खरीदा, जो उस समय युकेलिप्टस के पेड़ों का एक छोटा सा जंगल था। उन्होंने उस पूरे स्थान की सफाई करके वहां की बंजर पड़ी भूमि को खेती के लिए उपयुक्त जमीन में परिवर्तित कर दिया। जयराम बताते हैं,
"हमने ज्वार और बाजरा के साथ अपनी खेती की शुरुआत की। हालांकि हम शुरू में अपनी फसल के लिए रसायनों का इस्तेमाल करते थे, लेकिन जल्द ही हमें एहसास हुआ कि जैविक खेती ही सतत कृषि के रूप में एक स्थायी समाधान है। जब मेरे माता-पिता खेती करते थे, तो इनमें से कोई भी रसायन मौजूद ही नहीं था, इसलिए यह बदलाव मेरे लिए ज्यादा मुश्किल नहीं था।"
आज, वही बंजर खेत 40 एकड़ के पूर्ण विकसित जैविक कृषि फार्म में बदल चुका है, जिसमें एक कृत्रिम झील और एक डेयरी फार्म भी है और जो 15 स्थानीय किसानों को रोजगार भी देता है। इस फार्म पर एक बायोगैस संयंत्र भी है, जहां सभी जानवरों के गोबर से खाद बनायी जाती है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए जय राम कहते हैं,
"हम बेंगलुरु को भारत की जैविक राजधानी बनाना चाहते हैं। मेरी परियोजना के माध्यम से मैं अधिक से अधिक अगुआ बनाना चाहता हूं, अनुयायी नहीं, तभी समाज बदल पायेगा।"
भारत में आज सभी लोग अस्वस्थ भोजन के विकल्प की तलाश में हैं, क्योंकि जीवनशैली से सम्बंधित बीमारियां तेज़ी से बढ़ रही हैं। स्वास्थ्यप्रद भोजन की मांग है लेकिन उपभोक्ताओं और बाजार के बीच अभी भी अन्तराल है और इसी अंतराल को काम करने के लिए ग्रीन पाथ जैसी कंपनियां अपने अस्तित्व को स्थापित करती हैं। वे किसानों और खरीदारों को जोड़ने में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करती हैं। जयराम का 'द ग्रीन पाथ खुदरा स्टोर' बहुत से छोटे-छोटे जैविक किसानों के साथ काम करता है और उनके लिए एक वितरण इकाई है। वे कहते हैं,
"हमने अभी तक ऑनलाइन बाजार का रुख नहीं किया है, लेकिन हम सहज-सुलभ सक्रिय उपभोक्ताओं के लिए एक भंडार स्थापित करने पर काम कर रहे हैं, क्योंकि ताजा फसल के रखरखाव के लिए हमारे पास समय की बाधा है।"
जयराम की द ग्रीन पाथ फर्म देश में जैविक पर्यटन को बढ़ावा देती है, जिससे लोगों को इस मॉडल को अपनाने में मदद मिलती है। इनमें से अधिकांश पर्यटक स्वीडन, जर्मनी और ब्रिटेन से होते हैं। जयराम ने अॉरगेनिक फार्मिंग में रुचि रखने वाले लोगों के लिए इसके लाभों को सूचीबद्ध किया है,
-जैविक खेती में कम निवेश से उच्च वापसी होती है।
-इसके हर चरण में कृषि के स्वस्थ रूपों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जाता है।
-मिट्टी की भरपाई होती है और खेती के मौजूदा रूपों की तुलना में भूमि की क्षति कम होती है।
-इस खेती में कम पानी की आवश्यकता होती है, जबकि पैदावार अधिक होती है।
-चूंकि आजकल जैविक खाद्य की मांग अधिक है, इसलिए इस खेती से अच्छा लाभ मिलना सुनिश्चित है।
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6 करोड़ रुपये के वार्षिक टर्नओवर के साथ द ग्रीन पाथ आज अपने सभी चार उद्यमों फार्म, खुदरा स्टोर, रेस्तरां और एक रिसॉर्ट में 200 से अधिक कर्मचारियों को रोजगार दे रहा है। इन चार अलग-अलग परियोजनाओं में से रेस्तरां (जो सिर्फ एक ही साल पुराना है) काफी अच्छा परिणाम दे रहा है। जैविक क्षेत्र को बढ़ावा देने में सरकार की भूमिका के बारे में, जयराम कहते हैं,
"अभी तक जैविक क्षेत्र की मदद करने के लिए कोई नीति नहीं है, लेकिन हम आशा करते हैं कि भविष्य में इस दिशा में कुछ नीतियां बनेंगी। भारतीय कृषि हमारे देश का भविष्य है, लेकिन दुर्भाग्य से किसानों को देश में अच्छी तरह से सहयोग नहीं किया गया है। इसी वजह से भारत में या तो किसान आत्महत्या कर रहे हैं या वैकल्पिक व्यवसाय की तलाश कर रहे हैं।"
चलते-चलते जयराम ने कहा कि वे अपने प्रयासों को तभी सफल मानेगें जब वे जैविक के उपयोग को लोगों तक पहुँचाने में सक्षम होंगे और सभी आर्थिक पृष्ठभूमि के लोगों को स्वस्थ खानपान के लिए प्रभावित कर सकेंगें।
-अनुवाद: प्रकाश भूषण सिंह