' पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने ईंट भट्टों का व्यवसाय भविष्य में समाप्त हो जाने संबंधी धारणाओं को खारिज करते हुए आज कहा कि ऐसी संभावना दूर-दूर तक नहीं लगती।
उन्होंने लोकसभा में सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा, ‘‘ईंट भट्टों का व्यवसाय समाप्त हो जाएगा, ऐसा अभी दूर-दूर तक नहीं लगता।’’ उन्होंने कहा कि इस बारे में किसी राज्य सरकार से ऐसी कोई सूचना भी प्राप्त नहीं हुई है।
दवे ने ईंट भट्टों से पर्यावरण प्रदूषण होने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि मुंबई जैसे शहरों में प्री-ब्रिक्स यानी प्रीकास्ट किये हुए हॉलो ब्लॉक इस्तेमाल में लाये जाते हैं, जो बहुत अच्छे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि निकट भविष्य में ईंटों का व्यापार खत्म हो जाएगा और लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

मंत्री ने कहा कि सरकार ने फ्लाई ऐश से ईंट बनाने की योजना को प्रोत्साहित किया था लेकिन अनुभव में आया कि परंपरागत ईंटों का ही इस्तेमाल निर्माण कार्यों में हो रहा है।
दवे ने ईंट भट्टों से प्रदूषण के संबंध में कहा कि गंभीर प्रदूषण पैदा करने वाले ईंट भट्टों को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोडोर्ं द्वारा लागू उत्सर्जन के नियमों और शतोर्ं का पालन करना चाहिए। मंत्री ने यह भी बताया कि मंत्रालय को ईंट भट्टा संचालकों-संघों से समय समय पर उनके सामने आने वाली समस्याओं को लेकर ज्ञापन मिल रहे हैं।
क्या ईंट भट्टे हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने के लिए जिम्मेदार हैं, इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि इनका आपस में कोई लेनादेना नहीं है। ग्लेशियर पिघलने का कारण ग्लोबल वार्मिग है। - पीटीआई