कॉम्पिटिशन की तैयारी करने वाले बच्चों को खुद पढ़ा रहे जम्मू के एसपी संदीप चौधरी
वो एसपी जो नि:स्वार्थ भाव से कर रहे हैं ज़रूरतमंद बच्चों की मदद...
दक्षिण जम्मू के एसपी संदीप चौधरी ने 'ऑरपरेशन ड्रीम्स' नाम से एक पहल शुरू की है जिसका मकसद छात्रों को सही मार्गदर्शन देकर उनका भविष्य संवारना है। ये ऐसे छात्र हैं जो कोचिंग की मोटी फीस का खर्च नहीं उठा सकते।
2012 बैच के आईपीएस ऑफिसर संदीप ने अपने ऑफिस चैंबर में 10 बच्चों को पढ़ाने से शुरुआत की थी। जम्मू-कश्मीर में पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के एग्जाम के लिए उन्हें पढ़ाया। जिसका एग्जाम इसी जून महीने के अंत में है।
अगर आप भारत की प्रशासनिक सेवाओं से वाकिफ होंगे तो आपको बताने की जरूरत नहीं है कि एक आईएएस या आईपीएस की जिंदगी कितनी व्यस्त रहती है। लेकिन उस व्यस्त समय में भी वक्त निलाकर बच्चों को पढ़ाना कितना बड़ा काम है इसकी अहमियत जम्मू के उन छात्रों से पूछनी चाहिए जिन्हें एसपी संदीप चौधरी रोजाना कोचिंग देते हैं। दक्षिण जम्मू के एसपी संदीप चौधरी ने 'ऑरपरेशन ड्रीम्स' नाम से एक पहल शुरू की है जिसका मकसद छात्रों को सही मार्गदर्शन देकर उनका भविष्य संवारना है। ये ऐसे छात्र हैं जो कोचिंग की मोटी फीस का खर्च नहीं उठा सकते।
2012 बैच के आईपीएस ऑफिसर संदीप ने अपने ऑफिस चैंबर में 10 बच्चों को पढ़ाने से शुरुआत की थी। जम्मू-कश्मीर में पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के एग्जाम के लिए उन्हें पढ़ाया। जिसका एग्जाम इसी महीने है। हालांकि ये छात्रों की ये संख्या बढ़ती गई और अब विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले लगभग 150 छात्र IPS संदीप से पढ़ते हैं। छात्रों की संख्या बढ़ने पर संदीप चौधरी ने अपनी क्लास को जम्मू एयरपोर्ट के पास एक प्राइवेट कम्यूनिटी सेंटर में शिफ्ट कर दी। सेंटर के मालिक ने बच्चों की भलाई के लिए अपनी स्वेच्छा से यह जगह खाली करवा दी।
मीडिया से बात करते हुए संदीप ने कहा, 'मैं अपने सहयोगियों से राज्य में होने वाले सब इंस्पेक्टर के एग्जाम के बारे में चर्चा कर रहा था तभी मेरे दिमाग में ये आइडिया आया।' संदीप की इस क्लास में छात्रों की संख्या रोजाना बढ़ती ही जा रही है। अच्छी बात ये है कि क्लास में लड़कियों की भी संख्या 25 से ज्यादा है। मूल रूप से पंजाब से ताल्लुक रखने वाले संदीप ने 30 मई को अपने ऑफिस से इस पहल की शुरुआत हुई थी। लेकिन 1 जून को ही उन्हें इसे दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा। ये क्लासेज 23 जून तक चलेंगी। क्योंकि उसके एक दिन बाद ही एग्जाम है।
संदीप बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उन्हें अपनी कहानी से प्रेरित भी करते हैं। उन्होंने बताया कि यूपीएससी क्लियर करने के लिए उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली। यहां तक कि ग्रैजुएशन भी उन्होंने किसी कॉलेज से नहीं बल्कि डिस्टेंस से पूरा किया। उन्होंने कहा, 'मैंने अपना बीए और एमए इग्नू से किया। मैंने जर्नलिज्म की पढ़ाई करने के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया लेकिन कुछ दिनों बाद ही उसे छोड़ना पड़ा। फिर मैंने इग्नू से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए किया।' उन्होंने बताया कि डिस्टेंस माध्यम से पढ़ाई करने की वजह से उन्हें काफी कम पैसे खर्च करने पड़े।
वह बताते हैं कि अच्छी पढ़ाई के लिए बहुत मंहगी फीस या कोचिंग की कोई जरूरत नहीं है। संदीप अपनी वर्दी में ही क्लास में बच्चों को पढ़ाते हैं। क्लास में पढ़ने वाली प्रीती बताती हैं, 'मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे संदीप सर के मार्गदर्शन में पढ़ने का मौका मिल रहा है। उनके काम ने मुझे पुलिस विभाग में काम करने के लिए प्रेरित किया। हालांकि मुझे सेलेक्शन में साफ-सुथरी प्रक्रिया के बारे में संशय था, लेकिन संदीप सर जैसे पुलिस अधिकारियों की मेहनत देख काफी प्रेरणा मिलती है।' संदीप मानते हैं कि शिक्षा के बगैर हर नागरिक को राजनीतिक रूप से जागरूक करना मुमकिन नहीं है। बेरोजगारी युवाओं के लिए एक बड़ी चुनौती है और उन्हं इस लायक बनाकर उन्हें एक बेहतर नागरिक भी बनाया जा सकता है।
यह भी पढ़ें: अपना सपना पूरा करने के लिए यह यूपीएससी टॉपर रेलवे स्टेशन पर पूरी करता था नींद