इस शख़्स की बदौलत वॉलमार्ट डील के बाद भी फ़्लिपकार्ट के हाथों में बहुत कुछ!
अरबों की डील के पीछे जिस शख्स ने निभाई अहम भूमिका...
46 वर्षीय कल्याण, 6 सालों तक ई-बे के साथ भी काम कर चुके हैं और 2011 में वह टाइगर ग्लोबल के साथ जुड़े। कल्याण ने एशियन इन्स्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट (फिलीपींस) और यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलिनॉइस (अर्बाना-शैंपेन) से एमबीए की डिग्रियां ली हैं।
कल्याण फ़्लिपकार्ट की हालत सुधारने में कामयाब भी हुए। उन्होंने कुछ सीनियर एग्ज़िक्यूटिव्स को कंपनी से निकाला। स्मार्टफोन ब्रैंड्स के साथ बात करके कई एक्सक्लूसिव डील्स कीं। रणनीतिक स्तर पर बड़े बदलावों का फ़ायदा फ़्लिपकार्ट को बीबीडी के दौरान मिला।
हाल ही में ई-कॉमर्स कंपनी फ़्लिपकार्ट की यूएस फ़र्म वॉलमार्ट के साथ डील हुई और अब कंपनी के 77 प्रतिशत शेयर वॉलमार्ट के पास हैं। आज हम आपको फ़्लिपकार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने इस अधिग्रहण के बाद भी यह सुनिश्चित कर रखा है, कि फ़्लिपकार्ट का वजूद अब भी उतना ही मज़बूत रहे, जितना कि डील से पहले था। 2015-16 से फ़्लिपकार्ट का मार्केट शेयर लगातार गिरने लगा और कंपनी लगातार अपनी साख को बचाने के लिए जूझ रही थी। कल्याण की बदौलत ही कंपनी ने न सिर्फ़ अपनी स्थिति को सुधारा, बल्कि अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी ऐमजॉन से फिर से टक्कर लेने को तैयार हुई।
एक साल से भी कम वक़्त में फ़्लिपकार्ट ने अपनी क़ीमत को दोगुना कर लिया। 2017 में कंपनी का वैल्यूएशन 11.6 बिलियन डॉलर का था, जो अब 21 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। दो साल पहले तक लगातार निवेशकों के फ़्लिपकार्ट से दूरी बनाने की ख़बरें ज़ोरों पर थीं, पर अब फ़्लिपकार्ट, ऐमज़ॉन के साथ बराबरी से मुक़ाबला करने को तैयार है। अगर इस बढ़ोतरी और विकास का सबसे अधिक श्रेय किसी शख़्स को जाता है, तो वह हैं फ़्लिपकार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति।
2015 और 2016 में फ़्लिपकार्ट का ग्राफ़ लगातार नीचे जा रहा था। इस समय तक मिन्त्रा भी सिर्फ़ ऐप-बेस्ड हो चुका था और फ़्लिपकार्ट को भी सिर्फ़ ऐप तक ही सीमित करने की बात चल रही थी। मिन्त्रा को इस प्रयोग से काफ़ी नुकसान हुआ और फ़्लिपकार्ट के मैनेजमेंट ने इस आइडिया से किनारा कर लिया। इसके अलावा, सिलिकन वैली से बुलाए गए सीनियर लीडर्स भी कंपनी की स्थिति में कुछ ख़ास सुधार नहीं कर पाए। एक पूर्व कर्मचारी से बात करने पर पता चला कि इस दौरान कंपनी के अंदर अलग-अलग विचारधाराओं वाले समूह बनने लगे और इसका नुकसान कंपनी के प्रोडक्ट्स और सर्विसेज़ ने उठाया। उदाहरण के तौर पर कंपनी ने पूरी उम्मीद के साथ पिंग नाम से इन-ऐप सोशल चैट सर्विस शुरू की थी, लेकिन इसे भी कुछ वक़्त बाद बंद करना पड़ा।
2014 में स्मार्टफोन ब्रैंड्स के साथ एक्सक्लूसिव पार्टनरशिप्स की बदौलत फ़्लिपकार्ट ने अपनी ग्रॉस मार्केट वैल्यू और मार्केट शेयर बढ़ाया था। लेकिन 2015 में और फिर 2016 में ऐमज़ॉन ने इस दिशा में अधिक तेज़ी से कदम बढ़ाए और फ़्लिपकार्ट अपना मार्केट शेयर गंवाने लगा। इस दौरान ही फ़्लिपकार्ट के पास ग्राहकों द्वारा ख़राब सर्विस की शिकायतों की संख्या लगातार बढ़ने लगी और ऐमज़ॉन ने इस क्षेत्र में भी बाज़ी मार ली।
इस दौरान ही टाइगर ग्लोबल के मैनेजिंग डायरेक्टर कल्याण कृष्णमूर्ति को फ़्लिपकार्ट में बतौर कैटेगरी डिज़ाइन ऑर्गनाइज़ेशन हेड के तौर पर बुलाया गया। उनके सामने सबसे पहला और बड़ा टारगेट था कि सालाना होने वाली बिग बिलियन डेज़ (बीबीडी) सेल में फ़्लिपकार्ट अपने खोए हुई मार्केट शेयर को फिर से हासिल कर ले और ऐमज़ॉन से टक्कर ले सके।
कल्याण फ़्लिपकार्ट की हालत सुधारने में कामयाब भी हुए। उन्होंने कुछ सीनियर एग्ज़िक्यूटिव्स को कंपनी से निकाला। स्मार्टफोन ब्रैंड्स के साथ बात करके कई एक्सक्लूसिव डील्स कीं। रणनीतिक स्तर पर बड़े बदलावों का फ़ायदा फ़्लिपकार्ट को बीबीडी के दौरान मिला। रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इस सालाना सेल में कंपनी ने 5 हज़ार करोड़ रुपए की सेल की, जबकि ऐमज़ॉन 4-4.5 हज़ार करोड़ के आंकड़े तक सीमित रहा।
जनवरी में कल्याण को फ़्लिपकार्ट का सीईओ बना दिया गया। फ़्लिपकार्ट मोबाइल्स, फ़ैशन और लार्ज अप्लाइंसेज़ की कैटेगरीज़ में अन्य सभी ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म्स से आगे है। 2017 के फ़ेस्टिव सीज़न में भी फ़्लिपकार्ट सेल्स के बड़े आंकड़े छूने में कामयाब रहा। अडवाइज़री फ़र्म रेडसीर कनसल्टिंग के मुताबिक़, सीज़न की पहली बड़ी सेल में ऐमज़ॉन के 26 प्रतिशत मार्केट शेयर की अपेक्षा फ़्लिपकार्ट ने 58 प्रतिशत का मार्केट शेयर हासिल किया। कहा जा रहा है, फ़्लिपकार्ट ने तब से अपनी लय को बरक़रार रखा हुआ है। वॉलमार्ट के साथ हुई हालिया डील की घोषणा के बाद इनवेस्टर प्रेज़ेंटेशन में वॉलमार्ट के हवाले से ही जानकारी मिली कि पिछले वित्तीय वर्ष में फ़्लिपकार्ट ने 7.5 बिलियन डॉलर की ग्रॉस मार्केट वैल्यू का आंकड़ा हासिल किया है।
फ़्लिपकार्ट ने ग्राहकों को डिस्काउंट आधारित ख़रीदारी से बचाने की भी रणनीति बनाई है। कंपनी ने नो-कॉस्ट ईएमआई, पहले ख़रीदें और बाद में भुगतान करें और प्रोडक्ट एक्सचेंज जैसे कई ऐसे फ़ीचर्स लॉन्च किए, जिनके माध्यम से लोगों के लिए फ़्लिपकार्ट प्लेटफ़ॉर्म को अधिक से अधिक किफ़ायती बनाया जा सके और उन्हें ख़रीदारी करने के लिए डिस्काउंट या सेल का इंतज़ार न करना पड़े। इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक़, कंपनी ने कैश बर्न में भी बड़ी कटौती की। इंडस्ट्री के अनुमानों के अनुसार, कैश बर्न ग्रॉस मार्केट वैल्यू का 12-15 प्रतिशत हो गया। इतना ही नहीं, इसकी बदौलत पिछले साल कंपनी ने 4 बिलियन डॉलर की रिस्क या वेंचर कैपिटल बनाई है।
46 वर्षीय कल्याण, 6 सालों तक ई-बे के साथ भी काम कर चुके हैं और 2011 में वह टाइगर ग्लोबल के साथ जुड़े। कल्याण ने एशियन इन्स्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट (फिलीपींस) और यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलिनॉइस (अर्बाना-शैंपेन) से एमबीए की डिग्रियां ली हैं। कल्याण अधिक से अधिक काम अपने स्तर पर ही करना चाहते हैं। उदाहरण के तौर पर अच्छी डील्स सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने ख़ुद ही स्मार्टफोन ब्रैंड्स के साथ मीटिंग कीं। वह अक्सर फ़ील्ड पर भी जाते रहते हैं और ग्राहकों से भी मिलते रहते हैं।
वॉलमार्ट से डील के बाद भी कल्याण ही फ़्लिपकार्ट के सीईओ रहेंगे। अगर मार्केट में चल रहीं अफ़वाहों पर गौर करें तो फ़्लिपकार्ट के को-फ़ाउंडर सचिन बंसल, वॉलमार्ट डील के बाद कंपनी में और भी बड़ी भूमिका चाहते थे, लेकिन कल्याण इसके ख़िलाफ़ थे। बोर्ड का मत भी कल्याण की तरफ़ था और इस वजह से सचिन को अपने पक्ष से पीछे हटना पड़ा। फ़्लिपकार्ट के साथ काम कर चुके एक कन्सलटेन्ट का कहना है, "कल्याण पर उनकी टीम को पूरा भरोसा है और उनकी गैर-मौजूदगी में टीम बिखर जाएगी।"
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