अगर सचिन और बिन्नी बंसल के फाइनल एग्जाम में अच्छे नंबर आ जाते तो क्या फ्लिपकार्ट बन पाती?
फ्लिपकार्ट की कहानी...
अगर सचिन और बिन्नी बंसल को अच्छे नंबर मिले होते या अच्छी कंपनी में प्लेसमेंट हो गया होता तो क्या तब फ्लिपकार्ट का जन्म संभव हो पाता? क्या होता अगर पहली बार आईआईटी के एग्जाम में अच्छे नंबर न लाने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में ही फिजिक्स पढ़ रहे होते?
सचिन की उम्र 36 है तो बिन्नी 35 साल के हैं। अभी उनके पास काफी लंबा वक्त है। देखना है कि 10 साल में 20 बिलियन डॉलर की कंपनी खड़ी कर देने वाले युवा अगले 10 साल में क्या करते हैं?
हाल ही में अमेरिकी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट द्वारा फ्लिपकार्ट का अधिग्रहण कर लिए जाने के बाद भारतीय स्टार्ट अप इंडस्ट्री में कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। फ्लिपकार्ट को स्थापित करने वाले दो युवा इंजिनियर सचिन और बिन्नी बंसल ने सिर्फ दस साल पहले अपने स्टार्ट की शुरुआत की थी। लेकिन दोनों की जिंदगी दिलचस्प कहानियों से भरी है। अगर सचिन और बिन्नी बंसल को अच्छे नंबर मिले होते या अच्छी कंपनी में प्लेसमेंट हो गया होता तो क्या तब फ्लिपकार्ट का जन्म संभव हो पाता? क्या होता अगर पहली बार आईआईटी के एग्जाम में अच्छे नंबर न लाने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में ही फिजिक्स पढ़ रहे होते?
क्या होता अगर सचिन और बिन्नी को आईआईटी के फाइनल एग्जाम में अच्छे नंबर मिल जाते और दोनों गर्मी में आईआईटी दिल्ली में अपना कोर्स पूरा करने के लिए मेहनत न कर रहे होते? लेकिन दोनों की किस्मत में ही शायद मिलना लिखा था। क्योंकि सचिन और बिन्नी दोनों ही चंडीगढ़ से हैं और आईआईटी से पहले कभी दोनों की मुलाकात तक नहीं हुई। 2005 में दोनों की मुलाकात पहली बार IIT दिल्ली के FPGA हार्डवेयर लैब में हुई थी जहां वे अपने-अपने स्कोर को बेहतर करने की कोशिश कर रहे थे। उस वक्त सचिन की उम्र 24 साल और बिन्नी की उम्र 23 साल थी।
IIT में अपना कोर्स खत्म करने के बाद दोनों बेंगलुरु चले आए। लेकिन दोनों की नौकरी अलग-अलग कंपनियों में थी। बिन्नी को गूगल ने दो बार रिजेक्ट कर दिया था। सचिन ने ऐमजॉन के वेब डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में नौकरी जॉइन कर ली थी। कुछ समय बाद 2007 में बिन्नी ने भी ऐमजॉन जॉइन कर लिया और दोनों एक ही टीम में काम करने लगे। एक ही कंपनी में काम करते हुए दोनों के दिमाग में स्टार्ट अप शुरू करने का ख्याल आया। लेकिन ये साल 2007 का वक्त था और तब अपना बिजनेस शुरू करना उतना अच्छा नहीं माना जाता था। सचिन और बिन्नी ने शुरू में प्राइस कंपैरिजन की वेबसाइट बनाने के बारे में सोचा था। लेकिन मार्केट रिसर्च करने के बाद उनके मन में ई-कॉमर्स साइट बनाने का ख्याल आया।
और इस तरह 2007 के अक्टूबर महीने में फ्लिपकार्ट का जन्म हुआ। इसके बाद कुछ बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि बाकी सब अब इतिहास है। फ्लिपकार्ट को वॉलमार्ट द्वारा अधिग्रहीत करने के बाद कंपनी की कुल कीमत 20 बिलियन डॉलर आंकी गई। जब सचिन और बिन्नी ने अपनी कंपनी शुरू की थी तब उनके माता-पिता उन्हें 10,000 रुपये महीने भेजते थे ताकि बेंगलुरु में वे अपना खर्च चला सकें। यह सिलसिला 18 महीनों तक चला था। सचिन और बिन्नी ने अपनी सेविंग्स से 2 लाख रुपये लगाकर इस बिजनेस की शुरुआत की थी। दोनों अपने कोरमंगला इलाके में दो बेडरूम वाले फ्लैट में अपनी वेबसाइट पर काम करते थे। उनके पास उस वक्त सिर्फ दो कंप्यूटर हुआ करते थे।
जो लोग उन्हें जानते हैं और उनके साथ काम करते हैं, उनका कहना है कि इन दोनों का स्वभाव एक दूसरे से काफी अलग है। कई लोग कहते हैं कि सचिन बड़ी जल्दी नाराज हो जाते हैं वहीं बिन्नी के अंदर गजब का धैर्य है। सचिन थोड़े हंसमुख मिजाज के हैं तो वहीं बिन्नी का स्वाभाव गंभीर है। उनकी लिंक्डइन प्रोफाइल पर फ्लिपकार्ट के सीईओ के रूप में लिखा है, 'ऑड जॉब्स'। सचिन सहज ज्ञान से युक्त हैं तो बिन्नी को डेटा के साथ खेलने में मजा आता है। दोनों में एक बात कॉमन है और वह यह है कि वे तकनीक में काफी रुचि रखते हैं। लेकिन वे हमेशा मीडिया से दूरी बनाकर रखते हैं।
योरस्टोरी की रिपोर्टर ने जब पहली बार सचिन का इंटरव्यू लिया था तो उन्होंने काफी संक्षिप्त में अपनी बात खत्म कर दी थी। लेकिन धीरे-धीरे वे खुलने लगे और ढेर सारी बातें बताईं। सीईओ के तौर पर सचिन हमेशा फ्लिपकार्ट का चेहरा बने रहे। बिन्नी 2016 तक चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर का पदभार संभाले रहे। 2007 में दोनों ने कोरमंगला स्थित एक बंगले को अपना ऑफिस बनाया था। आज कंपनी का हेडक्वॉर्टर 30 मंजिल की तीन तीन बिल्डिंग्स में है। लेकिन फिर भी उन्होंने अपने पहले ऑफिस को संभाल कर रखा हुआ है। कुछ टीम इस ऑफिस में भी रहती है। कुछ दिन पहले जब सचिन एक प्रॉडक्ट पर काम कर रहे थे तो उन्होंने अपनी टीम को यहीं इकट्ठा कर रखा था।
ऐमजॉन के भारत में आने के बाद फ्लिपकार्ट ने 1 बिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई थी। यहां काम करने वाले कई कर्मचारी बाद में खुद का स्टार्ट अप चलाने लगे। फ्लिपकार्ट पहली ऐसी कंपनी थी जिसने 1 बिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई थी। लेकिन सचिन और बिन्नी ने इस सफर में कई सारे गलत कदम भी उठाए। 2015 में उन्होंने मिंत्रा को सिर्फ ऐप बेस्ड प्लेटफॉर्म कर दिया था। उसके बाद मिंत्रा की सेल घटती चली गई। वे फ्लिपकार्ट को भी सिर्फ ऐप तक ही सीमित कर देना चाहते थे। लेकिन उन्हें अपनी सोच बदलुनी पड़ी। कई लोगों का कहना है कि सिर्फ ऐप तक सीमित रह जाने का फैसला सचिन का था।
2015 में ही फ्लिपकार्ट ने सिलिकॉन वैली के कई बडे़ और सीनियर एग्जिक्यूटिव को मोटे पैकेज पर हायर किया था। लेकिन उनमें से अधिकतर लोग एक साल के भीतर छोड़ कर चले गए। इसके बाद 2016 में सचिन ने बिन्नी को सीईओ के तौर पर रिप्लेस किया। ऐमजॉन के आने के बाद फ्लिपकार्ट की स्थिति खराब होती गई। फंडिंग कम होने लगी। लेकिन इसी बीच कल्याण कृष्णमूर्ति ने सीईओ पद की जिम्मेदारी संभाली और बिन्नी को ग्रुप सीईओ बना दिया गया।
वॉलमार्ट के अधिग्रहण के बाद सचिन पूरी तरह से फ्लिपकार्ट से बाहर हो गए हैं, जबकि बिन्नी की कुछ साझेदारी कंपनी में रहेगी। लेकिन अभी कुछ नहीं पता है कि दोनों का अगला कदम क्या होगा। योरस्टोरी ने एक सर्वे कराया और लोगों की राय जाननी चाही कि इस अधिग्रहण के बाद दोनों क्या करेंगे? 52प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इन्वेस्टर्स बन जाएंगे, 30 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वे फिर से कोई स्टार्ट अप शुरू करेंगे। वहीं 18 फीसदी लोगों का सोचना है कि वे कुछ नहीं करेंगे और अपने परिवार और बच्चों को साथ खाली समय का आनंद लेंगे। दोनों अभी युवा हैं- सचिन की उम्र 36 बै तो बिन्नी 35 साल के हैं। अभी उनके पास काफी लंबा वक्त है। देखना है कि 10 साल में 20 बिलियन डॉलर की कंपनी खड़ी कर देने वाले युवा अगले 10 साल में क्या करते हैं?
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