सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के सृजन को दी मंजूरी
कैबिनेट ने शस्त्र संशोधन विधेयक में भी आधिकारिक संशोधनों को मंजूरी दे दी है...
सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल समिति ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के सृजन को मंगलवार को मंजूरी प्रदान कर दी जो सरकार के लिये एकल सैन्य सलाहकार के तौर पर काम करेगा। आधिकारिक सूत्रों ने इस आशय की जानकारी दी।
1999 में कारगिल समीक्षा समिति ने सरकार को एकल सैन्य सलाहकार के तौर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के सृजन का सुझाव दिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, सैन्य मामलों के प्रमुख होंगे और वह चार स्टार जनरल होंगे। उनका वेतन सेना प्रमुख के समान होगा।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ सैन्य मामलों के विभाग के प्रमुख होंगे जिसका सृजन रक्षा मंत्रालय करेगा और वह इसके सचिव के रूप में काम करेंगे। सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट समिति ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के नेतृत्व वाली उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी। इस समिति ने सीडीएस की जिम्मेदारियों और ढांचे को अंतिम रूप दिया था।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को घोषणा की थी कि भारत में तीनों सेना के प्रमुख के रूप में सीडीएस होगा।
समझा जाता है कि सरकार अगले कुछ दिनों में पहले सीडीएस की नियुक्ति कर सकती है और सेना प्रमुख विपिन रावत का नाम इस पद के लिये सबसे आगे बताया जा रहा है जो 31 दिसंबर को सेना से सेवानिवृत हो रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया,
‘‘सीडीएस अन्य सेना प्रमुखों के समान ही होंगे हालांकि प्रोटोकाल की सूची में सीडीएस, सेना प्रमुखों से ऊपर होंगे।’’
कैबिनेट ने शस्त्र संशोधन विधेयक में आधिकारिक संशोधनों को भी मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को शस्त्र (संशोधन) विधेयक, 2019 में आधिकारिक संशोधनों को कार्योत्तर मंजूरी प्रदान कर दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। कैबिनेट ने 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा से पारित शस्त्र (संशोधन) विधेयक, 2019 में आधिकारिक संशोधनों को कार्योत्तर मंजूरी दी है।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार,
‘‘यह अवैध हथियारों एवं इसके व्यापार और इसके विनिर्माण से संभावित अपराधियों को रोकेगा, लाइसेंस के प्रावधान सुचारू होंगे तथा आज की सुरक्षा जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा किया जा सकेगा।’’
इससे अवैध हथियारों के गैर-कानूनी व्यापार की घटनाओं से प्रभावित तरीके से निपटा जा सकेगा। इसके साथ ही कानून का पालन करने वाले लाइसेंस धारकों को शस्त्र लाइसेंस की अवधि बढ़ाने की सुविधा मिलेगी।
शस्त्र कानून में मंजूर किये गये संशोधन इलेक्ट्रॉनिक लाइसेंस उपलब्ध कराने, लाइसेंस को लंबी वैधता अवधि देने और दंड के कठिन प्रावधानों का प्रस्ताव करते हुए हथियारों के अवैध कब्जे को रोकने के लिए कठोर नियामक व्यवस्था बनाने की दिशा में अगला कदम हैं।
(Edited by रविकांत पारीक )