ट्रांसजेंडर और दिव्यांग समुदाय के लोगों के जीवन को सकारात्मक ढंग से बदल रहा है रायपुर का ये कैफे
इस कैफे की खास बात यह है कि यहाँ काम करने वाले सभी लोग इन्हीं उपेक्षित समुदाय से हैं। इस कैफे के जरिये आज वे ना सिर्फ अपने लिए आजीविका अर्जित कर रहे हैं, बल्कि वे समाज में अपनी सम्मानजनक जगह भी बना रहे हैं।
एलजीबीटी समुदाय को कानूनी तौर पर भले ही बराबरी का अधिकार हासिल हो लेकिन इस समुदाय से जुड़े लोग समाज में अभी भी अपनी बराबरी के लिए संघर्षरत हैं। इसी के साथ दिव्यांग समुदाय से आने वाले युवाओं को भी कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
ऐसे लोगों की मदद के लिए छत्तीसगढ़ के रायपुर में स्थित एक कैफे बेहद ही सराहनीय पहल कर रहा है। इस कैफे की खास बात यह है कि यहाँ काम करने वाले सभी लोग एलजीबीटी समुदाय से हैं। इस कैफे के जरिये आज वे ना सिर्फ अपने लिए आजीविका अर्जित कर रहे हैं, बल्कि समाज में अपनी सम्मानजनक जगह भी बना रहे हैं।
इस खास कैफे की शुरुआत साल 2013 में प्रियांक पटेल ने की थी, जिसका नाम कैफे नुक्कड़- ‘चायटैस्टिक टीफे’ है। राजधानी स्थित इस कैफे में ट्रांसजेंडर के साथ-साथ मूक-बधिर और अन्य दिव्यांगजन ही नौकरी करते हैं।
मिली आर्थिक स्वतंत्रता और सम्मान
मीडिया से बात करते हुए प्रियांक ने बताया है कि शुरुआत में इन लोगों को कैफे में नौकरी करने के लिए समझाना पड़ा था, हालांकि अब उन सभी ने अपने काम के जरिये उनसे जुड़े समाज के सारे मिथकों को तोड़ दिया। ये सभी लोग अब समाज में आर्थिक स्वतंत्रता और सम्मान के साथ अपना जीवन जी रहे हैं।
प्रियांक के अनुसार, ट्रांस लोगों के साथ काम करने को लेकर बड़ी उपलब्धि यह रही है कि उनके बारे में समाज के फैले कलंक खत्म करना जरूरी है और कैफे के जरिये उन्हें रोजगार देकर और इसे बरकरार रखते हुए इस काम में काफी हद तक सफलता हासिल की गई है।
कई मायनों में खास है ये कैफे
इसके अलावा कैफे अपने कलात्मक माहौल के सामाजिक प्रयोगों के लिए भी जाना जाता है। यहाँ पर कई खास पहल चलाई जाती हैं, जहां मेहमान अपने लेखन को साझा कर सकते हैं या सामाजिक रूप से प्रभावशाली व्यक्तित्वों के साथ बातचीत कर सकते हैं।
कैफे में आने वाले ग्राहकों के लिए डिजिटल डिटॉक्स की भी सुविधा उपलब्ध है, जहां कोई भी ग्राहक अपना फोन जमा करके कैफे में छूट प्राप्त कर सकता है। कैफे के भीतर ‘बोल-दो’ नाम की भी एक पहल चलाई जाती है, जिसके जरिये डिप्रेशन से ग्रसित लोगों को मदद उपलब्ध कराई जाती है। इसी के साथ सोशल टैबू के बारे में भी चर्चा के लिए सेशन आयोजित किए जाते हैं।
फिलहाल कैफे में चाय की 20 से अधिक किस्मों को ग्राहकों के सामने परोसा जाता है। वर्तमान में, नुक्कड़ टी कैफे के दो शहरों में चार आउटलेट हैं और कैफे के जरिये अब तक 200 से अधिक ट्रांसजेंडर व दिव्यांग समुदाय के सदस्यों को रोजगार देकर उन्हें सशक्त बनाने का काम किया जा चुका है। साल 2020 में नुक्कड़ कैफे को उनके इस काम के लिए बेस्ट एम्प्लोयर का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। इसी के साथ कैफे को प्रतिष्ठित हेलेन केलर पुरस्कार भी मिल चुका है।
Edited by Ranjana Tripathi